Lord Shiva And Suryadev | सूर्यदेव महर्षि कश्यप के पुत्र थे और एक बार भगवान शिव ने अपने भक्तों की रक्षा के लिए अपने त्रिशूल से अपने प्रहार से उनका वध कर दिया जिससे कि सृष्टि में हाहाकार मच गया. सृष्टि को बचाने के लिए फिर ब्रह्माजी ने भगवान शिव को प्रार्थना किया. तो चलिए जानते हैं कि इस रहस्य को विस्तार से.
Lord Shiva And Suryadev | भगवान शिव ने सूर्यदेव का वध करने के बाद उनको जीवनदान क्यों दिया :
गणेश पुराण की कथा अनुसार प्राचीन काल में माली ओर सुमाली नामक दो राक्षस भाई थे और वह दोनों ही भगवान शिव के परम भक्त थे इसके साथ ही ये दोनों भाई भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठिन तपस्या किया करते थे. माली और सुमाली की कठिन तपस्या को देखते हुए भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन दोनों भाई को वरदान मांगने को कहा और माली सुमाली ने वरदान में भगवान शिव से अपने स्वयं की रक्षा करने का वरदान मांग लिया. भगवान शिव से वरदान प्राप्त करने के बाद वह दोनों भाई धरती लोक पर अत्याचार करने लगे और जब वह दोनों भाई का धरती लोक पर किए अत्याचार से मन भर गया तो वह आकाश की ओर चल पड़े लेकिन जब इस बात का पता सूर्यदेव को चला तो उन्होंने माली और सुमाली का रास्ता रोक लिया और अपना रास्ता रोकते हुए देखकर उन दोनों भाई ने सूर्यदेव से युद्ध करने लगा.
काफी दिनों तक युद्ध चला रहा लेकिन युद्ध का कोई परिणाम नहीं निकला तो माली और सुमाली ने भगवान शिव के पास जाकर अपनी रक्षा करने की प्रार्थना किया और वरदान के कारण भगवान शिव को वहां आना पड़ा और वहां जाकर भगवान शिव ने सूर्यदेव से कहा कि आप इन दोनों भाइयों की राह से हट जाइए किंतु सूर्यदेव ने अपना रास्ता को नहीं छोड़ा इसके पश्चात स्वयं भगवान शिव ने सूर्य देव से युद्ध करने लगे. भगवान शिव और सूर्यदेव के बीच बहुत देर तक युद्ध चला फिर अंत में भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से सूर्यदेव पर प्रहार कर दिया जिसके वजह से सूर्य देव के तीन टुकड़े हो गए.
महर्षि कश्यप को जब अपने पुत्र सूर्यदेव के बारे में इस बात की जानकारी हुआ तो वह फौरन वहां जहां पहुंचे और फिर उन्होंने भगवान शिव को श्राप देते हुए कहा कि आपको भी एक दिन इसी त्रिशूल से अपने पुत्र का वध करना पड़ेगा माना जाता है कि महर्षि कश्यप के इसी श्राप के कारण से भगवान शिव ने गणेश जी का सर धड़ से अलग कर दिया था. महर्षि कश्यप के दिए गए श्राप के कारण भगवान शिव बहुत ही क्रोधित हो गए और यह सब देखकर ब्रह्मा जी वहां प्रकट हुए और भगवान शिव से बोले है देवाधिदेव महादेव ! सूर्य देव को जीवनदान दे दीजिए क्योंकि सूर्यदेव के वध हो जाने के कारण तीनों लोकों में अंधकार छा गया है अगर सूर्य देव को अपने जीवित नहीं किया तो सृष्टि का संतुलन बिगड़ जाएगा चारों ओर हाहाकार मच जाएगा. ब्रह्माजी की इन बातों को सुनकर भगवान शिव का क्रोध शांत हुआ और फिर उन्होंने सूर्य देव को पुनः जीवित कर दिया जिससे कि चारों ओर अंधेरा नहीं हो.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) किन दो राक्षस भाइयों ने भगवान शिव की तपस्या किया था ?
माली और सुमाली राक्षस.
2) भगवान शिव के किनका वध किया था ?
सूर्यदेव का.
3) सूर्यदेव किनके पुत्र थे ?
महर्षि कश्यप.
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