Jyotirlinga and Shivlinga | देश का कोई भी राज्य हो,शहर हो या फिर कोई भी गली हो वहाँ पर एक शिवजी का मंदिर मिल ही जाता है. शिवजी के मंदिर में शिवलिंग की पूजा होती हैं जिसे भगवान शिव का प्रतीक माना गया है. किसी भी अन्य देवी देवताओं के मंदिर में पूजा करने के लिए पुजारी या विद्वान होते हैं लेकिन शिवलिंग की पूजा करने के लिए किसी पुजारी या फिर विद्वान की आवश्यकता नहीं होती हैं. देश भर में बहुत प्राचीन और कई सारे शिवलिंग है,कुछ ऐसे है जो कि स्वयंभू हैं यानी कि भूमि से अपने आप उद्गम(निकले) और कुछ ऐसे भी शिवलिंग है जो मनुष्यों द्वारा निर्मित है.सनातन धर्म में भगवान शिव की पूजा दोंनो रूपों यानि कि शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग दोंनो ही रूपों में की जाती है लेकिन अधिकांश लोगों को शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग के बीच में अंतर नहीं पता होता हैं. शिवलिंग तो दुनिया के हर इलाकों में मिल जाएंगे लेकिन ज्योतिर्लिंग देश में सिर्फ 12 (बारह) हैं.
Jyotirlinga and Shivlinga | आखिर शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग में क्या अंतर है
शिवलिंग –
शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग का अर्थ होता हैं “अनंत “यानि कि जिसका ना तो कोई शुरुआत हैं और ना ही अंत हैं. शिवलिंग भगवान शिव और माता पार्वती के आदि अनादि का एक ही रूप है. शिवलिंग सिर्फ पुरूष और प्रकृति की समानता का प्रतीक ही नहीं बल्कि शिवलिंग यह भी बताता है कि केवल पुरुष नहीं और ना ही स्त्री दोनों का अलग अलग इस संसार में कोई वर्चस्व नहीं हैं जबकि पुरूष व स्त्री दोनों बराबर है. शिवलिंग मानव के द्वारा स्थापित किये गए हैं जिनमें से कुछ शिवलिंग को मनुष्य द्वारा निर्मित हैं तो कुछ शिवलिंग ऐसे भी है जो स्वयंभू हैं जिसको फिर उन्हें मंदिरों में स्थापित किया जाता हैं.
ज्योतिर्लिंग –
धार्मिक मान्यता के अनुसार ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के स्वयंभू का अवतार हैं. ज्योतिर्लिंग का शाब्दिक अर्थ होता हैं भगवान शिव का ज्योति के रूप में प्रकट होना,ज्योतिर्लिंग मनुष्यों द्वारा निर्मित नहीं होते हैं जबकि वे स्वयंभू होते है और जिनको सृष्टि के कल्याण व गातिमान को बनाए रखने के लिए स्थापित किए गए हैं. शिवलिंग कई (अनगिनत) होते है लेकिन ज्योतिर्लिंग सिर्फ 12(बारह)हैं और सबसे खास बात है कि ये सभी ज्योतिर्लिंग भारत देश में स्थित हैं. माना जाता हैं कि जहां जहां ज्योतिर्लिंग हैं वहां भगवान शिव ने स्वयं दर्शन देकर एक ज्योति के रूप में उत्पन्न हुए.इन्हीं 12 ज्योतिर्लिंग की वजह से पृथ्वी का आधार बना और जिसके कारण पृथ्वी अपनी धुरी पर घूम रही हैं और साथ ही इसी कारण की वजह से पृथ्वी पर जीवन यापन बना हुआ है.
Jyotirlinga | अब जानते है ज्योतिर्लिंग से जुड़ी पौराणिक कथा को
शिवमहापुराण के अनुसार एक बार भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच अपने अपने श्रेष्ठता को लेकर विवाद छिड़ गया जब इनका विवाद ज्यादा बढ़ गया ,तब अग्नि की ज्वालाओं के लिपटा हुआ एक लिंग दोनों (भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु) के बीच आकर स्थापित हुआ लेकिन दोनों इस लिंग का रहस्य समझ नहीं पाए और इस रहस्य को जानने के लिए भगवान विष्णु व ब्रह्मदेव ने हज़ार सालों तक खोज किया फिर भी उन दोनों को इस लिंग का स्त्रोत नहीं मिल पाया.दोनो देवगण निराश होकर वापस वहीं आ गए जहां लिंग स्थापित हुआ था ,यहां आने पर उन्हें ओम(ॐ) की ध्वनि सुनाई दिया जिनको सुनने के बाद उन दोनों को अहसास हुआ कि यह कोई शक्ति है और वो दोंनो उस ओम की आराधना करने लगें. भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु की आराधना से प्रसन्न होकर उस लिंग से भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें सद्बुद्धि का वरदान देकर चले गए उसके बाद तय हुआ कि ब्रह्माजी और विष्णु जी से श्रेष्ठ ये लिंग हैं. इसी लिंग स्तम्भ को ज्योतिर्लिंग कहा गया है यहीं लिंग प्रतीक हैं भगवान शिव का ज्योति के रूप में प्रकट होना और सृष्टि के निर्माण का प्रतीक.तब से लेकर भगवान शिव की ज्योतिर्लिंग के स्वरूप में पूजा जाता हैं.
FAQ – सामान्य प्रश्न
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