Chhath Puja | छठ पूजा के नहाय खाय के दिन क्यों खाया जाता है लौकी की सब्जी और जानेंगे नहाय खाय के नियम को.

Chhath Puja

Chhath Puja | आस्था का महापर्व छठ पूजा जो कि महिलाएं संतान सुख, उसकी लंबी उम्र और उज्जवल भविष्य की कामना के लिए करती हैं. इस दिन छठी मैया की पूजा के साथ साथ सूर्य उपासना का भी विधान होता हैं. छठ पूजा चार दिनों तक चलता हैं जिसकी शुरुआत नहाय खाय से होती हैं. नहाय खाय अर्थात स्नान करके भोजन करना. कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय खाय मनाया जाता हैं इस दिन व्रती स्नान करके नये वस्त्र धारण करते हैं और सात्विक भोजन करती हैं और इस दिन से लहसुन प्याज का इस्तेमाल भोजन में नहीं होता हैं और इसके साथ व्रती घर में बिस्तर पर नहीं सोया करते बल्कि चार दिनों तक ज़मीन पर सोते हैं. नहाय खाय के दिन लौकी की सब्जी, चना दाल और चावल को खाने का विशेष महत्व होता हैं.

Chhath Puja | आइए जानतें हैं कि नहाय खाय के दिन क्यों खाया जाता है लौकी की सब्जी :

छठ पूजा के नहाय खाय के दिन व्रती महिलाएं और घर के बाकी सदस्य तेल में तली हुई चीजें नही खाते हैं बल्कि सात्विक भोजन किया जाता है इसलिए चना दाल, चावल और लौकी की सब्जी को बनाया जाता हैं इस भोजन को बहुत ही शुद्ध और पवित्र माना जाता है और मूल रूप से नहाय खाय (Nahay Khay) का संबंध पवित्रता से होता हैं और व्रती खुद को पवित्र रखने के साथ ही सात्विक भोजन करती हैं और छठ का व्रत रखती हैं सात्विक भोजन में लौकी की सब्जी को बहुत महत्व माना गया है क्योंकि लौकी की सब्जी (bottle gourd vegetable) को पूरी तरह से सात्विक माना जाता है यही कारण है कि इसको खाकर छठ पूजा व्रत (Chhath Puja Mein) को शुरू किया जाता हैं मान्यता है कि लौकी खाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार की क्षमता बढ़ने के साथ लौकी आसानी से पचने वाली सब्जी होती हैं. वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार लौकी (bottle gourd vegetable) में 98% पानी और शरीर के लिए आवश्यक पोषक जैसे कि फॉस्फोरस, विटामिन्स, सोडियम, आयरन और पोटैशियम होता है जो कि व्रती को थकान का एहसास होने नहीं देता है.

Chhath Puja |आइए अब जानतें है छठ पूजा के नहाय खाय के नियमों को :

नहाय खाय करते समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए जिससे छठ मैया का पूरा आशीर्वाद मिल सकें :

1) छठ पर्व में शुद्धता का विशेष महत्व रहता है इसलिए नहाय खाय के पहले ही पूरे घर की साफ सफाई कर लेना चाहिए.

2) नहाय खाय के दिन सुबह जल्दी उठकर नदी, तालाब, कुएं में नहाना चाहिए अगर यह संभव नही हो सके तो नहाने के पानी में गंगा जल को मिलाकर स्नान करें क्योंकि ऐसा करना शुभ होता हैं.

3) स्नान करने के बाद साफ कपड़े को धारण करना चाहिए.

4) छठ करने वाली व्रती महिला या फिर पुरूष चने के दाल और लौकी की सब्जी को शुद्ध घी में बनाया जाता हैं और सेंधा नमक ही डाला जाता हैं और घर के बाकी सदस्य भी यही खाते हैं.

5) साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए और पूजा की किसी भी चीज को जूठे या फिर गंदे हाथों से नही छूना चाहिए.

6) नहाय खाय से लेकर छठ पूजा के आखिरी दिन तक तामसिक भोजन को गलती से भी सेवन नहीं करे सिर्फ सात्विक भोजन ही करना चाहिए.

7) चार दिन के महापर्व छठ पूजा में व्रती महिलाओं और पुरुषों को फर्श पर चटाई या फिर चादर बिछाकर सोना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.

8) छठ पूजा का प्रसाद मिट्टी के नए बने चूल्हे पर बनाना चाहिए क्योंकि मिट्टी का चूल्हा पवित्र माना जाता है.

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FAQ – सामान्य प्रश्न

छठ महापर्व की शुरुआत किस दिन से होती हैं ?

नहाय खाय से

नहाय खाय के दिन किसकी सब्जी खाना आवश्यक होता हैं ?

लौकी की सब्जी.

लौकी की सब्जी खाने का क्या महत्व होता हैं ?

सकारात्मक ऊर्जा की संचार की क्षमता को बढ़ता है. 


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