Kalsarpa Dosha | ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प दोष को बहुत ही अशुभ माना जाता है ऐसी मान्यता है कि अगर किसी जातक की कुंडली में यह दोष हो तो उसके जीवन में कई तरह की परेशानियां जन्म लेती हैं जैसे कि उसको जीवन में आर्थिक तंगी, मानसिक तनाव और पारिवारिक कलह – क्लेश जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और ऐसे में इस दोष के निजात के लिए कालसर्प दोष पूजा एक बहुत ही प्रभावशाली उपाय माना गया है.
कालसर्प दोष क्या होता हैं :
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब किसी जातक की जन्म कुंडली में राहु और केतु एक विशेष स्थिति में आते हैं और सारे ग्रह इन दोनों के बीच फंस जाते हैं और ऐसी स्थिति में कालसर्प योग बनता है. राहु लग्न में और केतु सप्तम भाव में चूंकि छाया ग्रह होते हैं और जब इनके बीच सारे ग्रह आ जाते हैं तब इसे कालसर्प दोष कहा जाता है. धार्मिक मान्यता है कि पिछले जन्म के किसी कर्म, अपराध या फिर किसी श्राप के फलस्वरूप भी कालसर्प योग का निर्माण होता हैं.
कालसर्प दोष के लक्षण :
1) कुंडली में कालसर्प दोष होने पर जातक को अक्सर सपनें में मृत व्यक्ति दिखाई देने के साथ ही सपने में सांप भी दिखाई देते हैं.
2) जिस किसी जातक के कुंडली में कालसर्प दोष होता है उसे जीवन में बहुत संघर्ष से गुजरना पड़ता है इसके साथ उसे अक्सर मानसिक तनाव और अकेलापन महसूस होता हैं.
3) कालसर्प दोष से पीड़ित जातक के वैवाहिक जीवन में तनाव होने के साथ ही छोटी – छोटी बात पर जीवनसाथी से वाद विवाद भी होते रहता हैं.
4) कालसर्प दोष के कारण से कारोबार पर बहुत ही नकारात्मक प्रभाव पड़ने के साथ बार – बार कारोबार में हानि भी होती हैं और नौकरी करने वाले जातक को भी संघर्ष का सामना करना पड़ता हैं.
5) कालसर्प दोष के कारण से सिर दर्द, त्वचा रोग और मन में अक्सर बेचनी बनी रहती है.
6) कालसर्प दोष से पीड़ित जातक को नींद में अक्सर शरीर पर सांप को रेंगते हुए देखने के अलावा सांप को खुद को डसते हुए देखना.
कालसर्प दोष से निजात पाने के लिए उपाय :
कालसर्प दोष से निजात यानि कि मुक्ति पाने के लिए कालसर्प दोष पूजा एक असरदार और पवित्र उपाय होता हैं. कहा जाता है कि भगवान शिव नागों को अपने गले में धारण करते हैं इसलिए इस दोष के असर को शांत करने के लिए भगवान शिव की आराधना किया जाता है. कालसर्प दोष पूजा सोमवार से शुरू किया जाता है जिसमें सोने या फिर चांदी के नाग – नागिन के जोड़े को ख़ासतौर पर बनाकर इनका रुद्राभिषेक करें जिसमें सबसे पहले भगवान शिव का जल, दूध और बेलपत्र के साथ अन्य समाग्री से अभिषेक महामृत्युंजय मंत्र के साथ किया जाता है.
इस पूजन की शुरुआत अनुभवी पंडितगण के अनुसार विशेष संकल्प लेकर किया जाता है जिसमें जातक का नाम, पिता का नाम और गोत्र लिया जाता है और संकल्प के बाद विधिपूर्वक पूजा पूर्ण किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि हनुमान चालीसा का नियमित रूप से 11बार पाठ करने से भी कालसर्प दोष से मुक्ति पाया जा सकता हैं.
कालसर्प दोष पूजा के लाभ :
1) कालसर्प दोष पूजा से जातक का वैवाहिक जीवन बेहतर होने के साथ ही पति – पत्नी के बीच प्रेम और स्नेह बना रहता हैं.
2) इस पूजा के प्रभाव से जातक के अंदर आत्मविश्वास प्रबल होता है. जीवन में चल रही सुस्ती और रुकावट दूर होने के साथ ही नया जोश, स्थिरता और आगे बढ़ने की प्रेरणा प्राप्त होती हैं.
3) कालसर्प दोष पूजा करने से जातक को नौकरी, कारोबार और करियर से जुड़ी समस्याए दूर होती हैं.
4) इस पूजा के असर से नकारात्मक स्वप्न और बुरे विचारों से भी मुक्ति मिलती है.
5) कालसर्प दोष पूजा करने से छाया ग्रहों का दोष शांत होने से भाग्य का द्वार खुलता है इसके अलावा राहु की दिशा में स्पष्टता और केतु की गहराई में समझ बढ़ने से निर्णय क्षमता मजबूत होती हैं.
उम्मीद है कि आपको ज्योतिष शास्त्र से जुड़ा यह लेख पसंद आया होगा तो इसे अधिक से अधिक अपने परिजनों और दोस्तों के बीच शेयर करें और ऐसे ही ज्योतिष शास्त्र से जुड़े अन्य लेख को पढ़ने के लिए जुड़े रहे madhuramhindi.com के साथ.
FAQ – सामान्य प्रश्न
1) कालसर्प दोष का योग कैसे बनता हैं ?
राहु और केतु के बीच में सभी ग्रहों का आना.
2) कालसर्प दोष की पूजा में किस भगवान की पूजा किया जाता हैं ?
भगवान शिव.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.


