Adhik Maas 2026 | सूर्य संक्रांति जिस मास में नहीं होती हैं तो वह मास अधिकमास, मिल मास या फिर पुरुषोत्तम मास कहलाता है. अधिकमास को सरल और आसान शब्दों में कहा जाए तो जिस मास में अमावस्या से दूसरे अमावस्या के बीच में कोई सूर्य की संक्रांति नहीं पड़ रही हो तो उसे अधिकमास कहा जाता हैं तो वहीं सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश को संक्रांति कहा जाता हैं.
अधिकमास की गणना कैसे होती हैं :
How is Adhik Maas calculated? अधिकमास 32 मास 16 दिन और 04 घंटे के अंतर से होता हैं जिसकी गणना ऐसे किया जाता है कि सौर वर्ष 365 दिन और लगभग 06 मिनट का होता हैं तो वहीं चंद्र वर्ष 354 दिन का होता हैं और इस तरह से सौर वर्ष और चंद्र वर्ष में 11 दिन, 01घंटा, 31 मिनट और 12 सेकंड का अंतराल होता हैं और यह अंतराल जैसे – जैसे हर साल बढ़ता है इस प्रकार से तीन वर्षों में एक मास का हो जाता हैं जो अधिकमास कहलाता हैं.
अधिकमास को पुरुषोत्तम मास क्यों कहा जाता हैं :
Why is Adhik Maas called Purushottam Maas? धार्मिक मान्यतानुसार अधिकमास के स्वामी भगवान विष्णु हैं. हर मास का कोई न कोई स्वामी यानि कि अधिपति होते हैं किंतु अधिकमास का कोई अधिपति नहीं था जिससे कि अधिकमास की घोर निंदा होती थी तब ऐसे में अधिकमास भगवान विष्णु के शरण में गये और अपनी समस्या बताई तब भगवान विष्णु ने कहा – मैं अधिकमास को सर्वोपरि अपने तुल्य करता हूं और सद्गुण, कीर्ति, प्रभाव, ऐश्वर्य, पराक्रम भक्तों को वरदान देने का सामर्थ्य आदि जितने गुण सम्पन्न होते है यह सबको मैने इस अधिमास को सौंपता हूं और इन्हीं गुणों के कारण से जिस तरह से मैं वेदों, लोकों और शास्त्रों में पुरुषोत्तम नाम से विख्यात हूं इसी तरह से भूतल में यह अधिकमास भी पुरुषोत्तम नाम से प्रसिद्ध होगा और मैं स्वयं इस अधिकमास का स्वामी हूं.
अधिकमास में पूजा करने के महत्व :
Importance of worshipping in Adhik Maas. धार्मिक मान्यता है कि अधिकमास या पुरुषोत्तम मास में दान – पुण्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है और इस मास में दान करने के अलावा इस मास में ब्राह्मणों और संतों की सेवा को भी सर्वोत्तम माना गया है. कहा जाता है कि इस मास में दान में खर्च किया धन कभी खत्म नहीं होता बल्कि बढ़ता ही जाता है जैसे कि छोटे बीज से विशाल पेड़ का जन्म होता हैं ठीक ऐसे ही अधिकमास में किया गया दान बहुत ही फलदायक सिद्ध होता हैं.
अधिकमास में क्या काम नहीं करना चाहिए
What work should not be done in Adhik Maas? अधिकमास में धार्मिक संस्कार जैसे कि नामकरण, यज्ञ – हवन, शादी, गृहप्रवेश नहीं करना चाहिए और ना ही कोई भी नई बहुमूल्य वस्तुओं को ही खरीदना चाहिए.
साल 2026 में अधिकमास कब से कब तक रहेगा :
adhik maas 2026 date | साल 2026 में अधिकमास 17 मई 2026 दिन रविवार से 15 जून 2026 दिन रविवार तक रहेगा और 2026 में इसे ज्येष्ठ अधिकमास भी कहा जाएगा क्योंकि यह ज्येष्ठ महीने के दौरान पड़ेगा और कुल अवधि एक महीना होगा.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) अधिकमास का स्वामी कौन होते हैं ?
भगवान विष्णु.
2) साल 2026 में अधिकमास कब से कब तक रहेगा ?
17 मई 2026 से 15 जून 2026.
3) अधिकमास 2026 में किस मास के दौरान पड़ेगा ?
ज्येष्ठ मास.
4) अधिकमास को ओर किस नाम से जाना जाता हैं ?
पुरुषोत्तम मास.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.


