Devi Lakshmi | हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों के अनुसार तीन प्रमुख परमेश्वर रूपों में से भगवान विष्णु एक है और पुराणों में इनको जगत का पालनहार कहा जाता है तो वहीं त्रिमूर्ति के अन्य दो रूप भगवान शिव और ब्रह्माजी को कहा है. ब्रह्माजी को इस संसार को निर्माता कहा जाता है तो वहीं भगवान शिव (Shiv ji) को जगत का संहारक कहा जाता हैं लेकिन विष्णु पुराण के अनुसार एक बार देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु का मस्तक कटने का श्राप दिया था.
आखिर क्यों देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु का मस्तक कटने का श्राप दिया था :
विष्णु पुराण के अनुसार एक बार बैकुंठ में भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर आराम कर रहे थे और नजदीक में बैठी देवी लक्ष्मी उनके पैर को दबा रही थी. कुछ समय बीतने के बाद जब भगवान विष्णु ने अपनी आँखें खोली तो अपने सामने बैठी देवी लक्ष्मी को देखने के पश्चात् हंसने लगे. भगवान विष्णु को इस तरह से हंसते हुए देखकर देवी लक्ष्मी को लगा कि भगवान विष्णु ने उनका उपहास किया और देवी को ऐसा मालूम हुआ कि उनकी सुंदरता का मजाक उड़ाया है इन सभी बातों को सोचकर देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को क्रोध में आकर श्राप दिया कि जिस खूबसूरत चेहरे पर आपको घमंड है वो सिर ही धर से अलग हो जाएगा.
कुछ समय बीतने के बाद भगवान विष्णु (Vishnu ji) दस हजार तक दैत्यों से युद्ध करके बहुत थक गए थे जिनके कारण से उनको नींद आने लगी तब उन्होंने नींद में आकर अपने धनुष को पृथ्वी यानि कि जमीन पर सीधा खड़ा कर धनुष के दूसरे सिरे पर अपना सिर टिकाकर सो गए और इसी समय स्वर्गलोक के समस्त देवताओं ने एक यज्ञ का आयोजन किया और कहा जाता हैं कि जब तक ब्रह्मा, विष्णु और महेश यज्ञ की आहुति को स्वीकार नहीं कर लेते तब तक यज्ञ पूर्ण नहीं होता हैं. देवताओं के द्वारा आयोजित यज्ञ जब समापन की ओर था, तब विष्णु जी को जगाने की आवश्यकता पड़ी लेकिन डर था कि निद्रा को भंग करना ब्रह्म हत्या के समान ही पाप होगा तब देवताओं की यह चिंता को देखकर ब्रह्माजी ने एक युक्ति निकाला फिर उन्होंने दीमक को विष्णुजी के धनुष की डोरी को काटने के लिए भेजा और जब धनुष की डोरी कटी तो डोरी के झटके और एक भयंकर ध्वनि से भगवान विष्णु का मस्तक उनके धड़ से अलग होकर कहीं दूर गिर पड़ा. अचानक हुए इस घटना से सारे सृष्टि में हाहाकार मच गया और विलाप करते हुए देवताओं को देखकर ब्रह्माजी ने देवताओं को समझाकर अपने समुख सशरीर वेदों को महामाया देवी भगवती का आह्वान करने की आज्ञा दिया.
ब्रह्माजी की आज्ञा का पालन करके वेदों ने देवी की स्तुति किया और वेदों द्वारा स्तुति करने पर आदिशक्ति महामाया भगवती प्रसन्न हुई और इस घटना के पीछे के वजह को बताया कि विष्णु जी देवी लक्ष्मी को देखकर हंसे थे और तब क्रोधित देवी के शरीर में तापसी शक्ति का उद्गम हुआ जिसके कारण उन्होंने विष्णु जी का सिर धड़ से अलग होने का श्राप दिया था इसके साथ ही महेश्वरी महामाया ने यह भी बताया कि इस घटना के पीछे एक बड़ा वजह था और हो था हयग्रीव नामक दैत्य जिसने तपस्या करके यह वरदान प्राप्त किया कि उनकी मृत्यु केवल हयग्रीव यानि कि घोड़े के सिर वाले भगवान के हाथों से होगा और तब देवी के अनुसार एक घोड़े का सिर काट कर भगवान विष्णु के धड़ पर लगा दिया गया और भगवान विष्णु के हयग्रीव अवतार ने हयग्रीव दैत्य का वध किया.
उम्मीद है कि आपको पौराणिक कथा से जुड़ा यह लेख पसंद आया होगा तो इसे अधिक से अधिक अपने परिजनों और दोस्तों के बीच शेयर करें और ऐसे ही अन्य पौराणिक कथा से जुड़े लेख को पढ़ने के लिए जुड़े रहे madhuramhindi.com के साथ.
FAQ – सामान्य प्रश्न
1) भगवान विष्णु के मस्तक कटने का श्राप किस देवी ने दिया था ?
देवी लक्ष्मी.
2) हयग्रीव दैत्य ने क्या वरदान प्राप्त किया था ?
घोड़े वाले सिर वाले भगवान से मृत्य प्राप्त करना.
3) भगवान विष्णु ने किस अवतार ने दैत्य का वध किया था ?
हयग्रीव अवतार.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.


