Vidur Neeti | महात्मा विदुर महाभारत काल के एक महान दार्शनिक और ज्ञानी व्यक्ति होने के साथ ही यह हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री, धृतराष्ट्र व पांडु के भाई और कौरवों, पांडवों के काका थे लेकिन इनका जन्म एक दासी के गर्भ से हुआ था. विदुर की बुद्धिमत्ता, ज्ञान और नीतियां आज भी जीवन में अपनाने लायक होती हैं क्योंकि हम सभी जीवन में सुख, शांति और सफलता को पाने की कोशिश करते हैं लेकिन इसमें विफल हो जाते हैं तब हमें इस समय एक ऐसे मार्गदर्शक की आवश्यकता होती हैं जो हमें सही राह दिखाएं. महात्मा विदुर द्वारा कही गई ऐसे ही अमूल्य सूत्रों का संग्रह हैं जो विदुर नीति से प्रचलित हैं और इनके ज्ञानवर्धक सूत्र आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितना कि महाभारत काल में थी. विदुर नीति के द्वारा बताएं ऐसे अमूल्य सूत्र जिसको अगर जीवन में अपनाया जाए तो केवल सोच ही नहीं बदलेगी बल्कि जीवन शैली में भी बदलाव आएगा.
जानते हैं विदुर नीति के अनुसार इन अमूल्य सूत्र को जो बदल देंगी जिंदगी :
1) वाणी पर संयम रखना :
विदुर नीति कहती है कि मनुष्य को हमेशा सोच समझकर बोलना चाहिए क्योंकि जहां कटु वचन रिश्तों को तोड़ते हैं वहीं मधुर और संयमित वाणी बिगड़ते रिषको भी जोड़ने का कार्य करती हैं.
2) समय की कद्र करना :
महात्मा विदुर कहते हैं कि समय सब कुछ हैं और जो मनुष्य समय का सम्मान करता है वो कभी भी असफल नहीं होता हैं. आलस्य करना, देरी करना और टालमटोल करना जीवन को बहुत पीछे लेकर चले जाता हैं.
3) क्रोध पर नियंत्रण करना :
विदुर नीति के अनुसार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु क्रोध होता है क्योंकि क्रोध में लिया गया फैसला हमेशा गलत ही साबित होता हैं जिसके कारण से रिश्ते खराब और मन अशांत रहता है. विदुर नीति हमें शांत और धैर्य से कार्य करने की प्रेरणा देता है क्योंकि क्रोध को काबू में करके न केवल बेहतर फैसला लेते हैं बल्कि अपने आसपास के वातावरण को भी खुशनुमा और सकारात्मक बना देते हैं.
4) धन का उचित उपयोग और बचत करना :
महात्मा विदुर कहते हैं कि धन कमाने पर ही केवल जोर नहीं देना चाहिए बल्कि उसके उचित उपयोग और बचत करने के महत्व को समझना चाहिए क्योंकि फिजूलखर्ची से बचाव और भविष्य के लिए कुछ संग्रह यानि कि बचाकर रखना ही बुद्धिमानी कहलाती हैं.
5) सत्य ही सबसे बड़ी नीति :
विदुर नीति में बताया गया है कि मनुष्य झूठ बोलकर तुरंत लाभ तो प्राप्त कर सकता है किंतु अंत में इसका परिणाम विनाशकारी ही होता हैं. ईमानदारी और पारदर्शिता चाहे तो कारोबार में हो या फिर व्यक्तिगत जीवन में यह हर रिश्ते की जड़ है.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) कौरवों और पांडवों के काका कौन थे ?
महात्मा विदुर.
2) महात्मा विदुए किनके पुत्र तब ?
दासी पुत्र.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.