Cherchera Festival 2026 | छत्तीसगढ़ देश का एक ऐसा राज्य है जो कि पूरी तरह कृषि प्रधान राज्य हैं और इस राज्य के निवासी पूरे साल भर खेती काम में लगे रहते हैं धान की खेती इस राज्य की प्रमुख फसल है इसी कारण से छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Festival) में बहुत सारे पर्व मनाए जाते हैं इन सारे पर्वों में एक खास और महत्वपूर्ण पर्व है छेरछेरा का पर्व जिसे हर साल पौष मास की पूर्णिमा को बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाई जाती हैं. छेरछेरा पर्व की सबसे बड़ी खासियत है कि यह पर्व दान और उदारता का प्रतीक होता हैं. इस पर्व के दिन गांव के बच्चे, महिलाएं और पुरुष सभी टोली बनाकर घर – घर छेरछेरा मांगते हैं. मान्यता है कि इस दिन दान करने से घर में सुख समृद्धि आने के साथ ही पुण्य की भी प्राप्ति होती हैं और जो दान को ग्रहण करते हैं उनके अंदर से अहंकार का नाश होता है यही कारण है कि छेरछेरा पर्व में सभी लोग एक दूसरे के घर जाकर दान मांगते हैं.
छेरछेरा पर्व 2026 में कब मनाया जाएगा :
छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध लोकपर्व छेरछेरा हर साल पौष मास की पूर्णिमा को मनाई जाएगी और पंचाग के अनुसार 2026 में पौष मास की पूर्णिमा की शुरुआत होगी 02 जनवरी 2026 दिन शुक्रवार की शाम 06 बजकर 53 मिनट से लेकर 03 जनवरी 2026 दिन शनिवार की दोपहर 03 बजकर 32 मिनट तक.
ऐसे में साल 2026 में छत्तीसगढ़ का लोकपर्व छेरछेरा 03 जनवरी 2026 दिन शनिवार को मनाई जाएगी.
छेरछेरा पर्व को कैसे मनाया जाता हैं :
छत्तीसगढ़ का लोकपर्व छेरछेरा पर्व पौष पूर्णिमा के दिन बड़े ही धूमधाम और उल्लास से मनाया जाता है इसको छेरछेरा पुन्नी या फिर छेरछेरा तिहार भी कहा जाता हैं. इस दिन छत्तीसगढ़ में बच्चे और बड़े बुजुर्गों की टोलियां सभी घर – घर जाकर एक अनोखे बोल – बोलकर दान मांगते हैं और दान लेते समय बच्चे ” छेर छेरा माई कोठी के धान ला हेर हेरा ” कहते हैं तो वही घर की महिलाएं जब तक दान नहीं देती, तब तक ये टोलियां कहते रहते हैं ” अरन बरन कोदो दरन, जब्भे देबे तब्भे टरन ” जिसके अर्थ होता है कि बच्चे कह रहे हैं माँ दान दो, जब तक दान नहीं दोगे तब तक हम नहीं जाएंगे.
छेरछेरा पर्व को क्यों मनाया जाता हैं :
छेरछेरा पर्व को छत्तीसगढ़ में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. यह पर्व किसानों के लिए खुशी का दिन होता है ऐसी मान्यता है कि किसान साल भर कड़ी मेहनत करने के बाद जो भी फसल पैदा होती है तो उस फसल को काटकर घर लाते हैं और इसी खुशी में यह पर्व मनाया जाता हैं यानि कि यह पर्व किसानों की मेहनत और उनकी फसल की खुशियों का प्रतीक हैं किसान अपने खेतों में साल भर मेहनत करने के बाद अपनी मेहनत की कमाई धान को दान करके छेरछेरा पर्व को मनाते हैं मान्यता है कि दान देना महापुराण का काम होता है और इसी मान्यता के साथ किसान अपनी मेहनत से उपजाई हुई धान का दान करके महापुराण की भागीदारी निभाने के लिए छेरछेरा पर्व को मानते हैं तो वहीं छेरछेरा पर्व मैं दान की गई वस्तुओं का उपयोग जनकल्याण के कार्यों में किया जाता है.
छेरछेरा पर्व के महत्व :
छत्तीसगढ़ लोकपर्व छेरछेरा केवल एक पर्व नहीं बल्कि यह सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व का प्रतीक होता है और यह पर्व उदारता और सामाजिक समानताओं का संदेश भी देता है दान लेने और देने वाले दोनों के मन से अहंकार का नाश होता है. छेरछेरा पर छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक ताने बाने का एक अहम भाग है जो कि लोगों को एकजुट करना और जीवन में उदारता और सद्भावना के महत्व को सीखने के साथ ही यह दान और पुण्य के माध्यम से समाज में समानता और सहयोग की भावना को बढ़ावा देता है. मान्यता है कि इस पर्व में हर घर में हरी सब्जियां अनाज और उन वस्तुओं का दान किया जाता है जिसे शुभ और कल्याणकारी माना जाता है.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) छेरछेरा पर्व किस राज्य का प्रसिद्ध लोकपर्व हैं ?
छत्तीसगढ़
2) पंचाग के अनुसार छेरछेरा पर्व कब मनाया जाता है ?
पौष पूर्णिमा को.
3) साल 2026 में छेरछेरा पर्व कब मनाया जाएगा ?
03 जनवरी 2026 दिन शनिवार.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.


