Hanuman Ji | भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी को कलियुग का जागृत देवता कहा जाता हैं जिनके पूजा अर्चना से भक्तों को सभी संकटों से मुक्ति मिलती हैं. हनुमान जी की शक्तियों को हर कोई जानता है कि उनके पास अष्ट सिद्धियां और नौ निधियाँ थी. मान्यता है कि इन्ही शक्तियों के कारण से उन्होंने लंका का सफर को आसान बनाया और रावण जैसे अत्याचारी से जूझने में सहायता भी किया था लेकिन एक श्राप के वजह से हनुमान जी अपनी सभी शक्तियों को भूल गए थे तो चलिए जानते हैं आखिर किसने दिया हनुमान जी को उनकी शक्तियों को भूलने का श्राप और फिर कैसे उन्हें अपनी शक्तियों का स्मरण हुआ.
हनुमान जी की दिव्य शक्तियों का रहस्य
हनुमान जी के माता अंजनी और पिता वनराज केसरी थे और इनका जन्म लोक कल्याण के लिए हुआ था. हनुमान जी को वायुदेव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त था जिसके कारण से वे बचपन से ही शक्तिशाली थे इसके साथ उनको ग्रहों के स्वामी भगवान सूर्य देव से भी शक्तियां प्राप्त हुआ था. हनुमान जी बाल्यावस्था में अपनी इन्हीं शक्तियों का उपयोग खेलकूद और शरारतों में किया करते थे जैसे कि वे तीव्र गति से दौड़ते, बगीचों में फल खाते और अपनी अद्वितीय बल से सबको आश्चर्य में डाल देते थे.
किसने हनुमान जी को अपनी शक्तियों को भूलने का श्राप दिया
रामायण की कथानुसार हनुमानजी जी अपनी शरारतों के कारण ऋषियों को परेशान किया करते थे. उनकी चपलता और ऊर्जा इतनी प्रबल थी कि कई बार ऋषि – मुनियों के ध्यान, तप, यज्ञ और हवन में खलल उत्पन्न हो जाया करता था. हनुमान जी की इन्हीं शैतानियत के कारण से एक दिन क्रोधित होकर ऋषि अंगिरा और भृगुवंश के ऋषियों ने हनुमान जी को श्राप दिया कि जिन शक्तियों के कारण से वह इतनी शरारतें कर रहें हैं, इतनी अधिक उछल – कूद कर रहें हैं, उन शक्तियों को भूल जाएंगे. बालक हनुमान को जब अपनी गलतियों का अहसास हुआ तो इन्होंने ऋषियों से क्षमा याचना किया और श्राप को वापस लेने को कहा. हनुमान जी की गई क्षमा याचना और प्रार्थना से ऋषियों का हृदय पिघल गया और तब उन्होंने कहा कि श्राप तो वापस लिया नहीं जा सकता लेकिन जब उन्हें वास्तव में अपनी शक्तियों की जरूरत होगी तब तुम्हें अपनी सभी शक्तियां याद आ जायेगी.
हनुमान जी को अपनी शक्तियों का स्मरण कब और कैसे हुआ
जब माता सीता को लंकापति रावण हरण करके लंका ले गया तब श्रीराम की सहायता हनुमान जी और सुग्रीव ने किया था. लंका पर लड़ाई लड़ने से पहले श्रीराम और उनके अनुयायियों ने फैसला लिया कि युद्ध से पहले रावण को एक बार संदेश भिजवाना आवश्यक था लेकिन इतनी दूर कैसे, कौन जा सकता हैं तब जामवंत जी ने बताया कि हनुमान जी के पास कई दिव्य शक्तियां है जिसके बल से वे हवा में उड़कर समुद्र पार करके लंका जा सकते हैं. यह सुनकर हनुमान जी आश्चर्यचकित हो गए कि आखिर वह कैसे उड़ सकते हैं तब हनुमान जी की दुविधा को देखकर जामवंत जी ने उनको उनके बचपन की घटना याद दिलाई और बताया कि हनुमान जी ऋषियों के श्राप के वजह से अपनी शक्तियों को भूल गए हैं किंतु वेशक्तियां अभी भी उनमें विद्यमान है. समय आने पर ध्यान लगाने से उनको अपनी शक्तियां वापस मिल जाएगी. जामवंत के कहे अनुसार हनुमान जी ध्यान केंद्रित किया जिससे की उनको अपनी समस्त शक्तियां का स्मरण आया और तब उन्होंने विराट रूप धारण करके पूरे वेग से हवा में उड़ते हुए लंका की ओर प्रस्थान किया.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) हनुमानजी के माता पिता का क्या नाम है ?
माता अंजनी और पिता वनराज केसरी.
2) हनुमानजी को किसने उनकी शक्तियों को भूलने का श्राप दिया था ?
ऋषि अंगिरा और भृगुवंश के ऋषियों ने.
3) किसने हनुमान जी को उनकी शक्तियों की याद दिलाई ?
जामवंत जी.
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