Mystery of Shiv Puran | भगवान शिव सृजन और मोक्ष के देवता कहलाते हैं और भगवान शिव कलियुग में प्रत्यक्ष रूप में सब जगह मौजूद है जिनका दर्शन शिवलिंग के रूप में मनुष्य को रोजाना होता हैं. धार्मिक मान्यतानुसार सभी युगों में सबसे विकराल रूप कलियुग का होगा लेकिन भगवान को पाना कलियुग में सबसे सरल और आसान भी होगा जिसके उल्लेख कई पुराणों और धार्मिक ग्रँथों में किया भी गया है. शिवपुराण में कलियुग से जुड़े कई रहस्यों का जिक्र किया गया है जिसमें सबसे महत्वपूर्ण इस रहस्य को बताया गया है कि कैसे कलियुग में रहकर धन – संपत्ति के सुखों के साथ मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता हैं.
कलियुग में भगवान शिव की पूजा किस तरह से करके धन और वैभव को प्राप्त कर सकते हैं :
1) आइए पहले जान लेते हैं शिवलिंग कितने प्रकार के हैं : –
शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग तीन प्रकार के माने जाते जाते हैं –
उत्तम शिवलिंग : यह वेदी से चार अंगुली ऊंचा होता हैं.
मध्यम शिवलिंग : यह वेदी से चार अंगुली से कम ऊंचा होता हैं.
अधम शिवलिंग : यह शिवलिंग वेदी से और भी कम ऊंचा होता है.
वैसे शिवलिंग को बनाने के आधार पर कई और प्रकार के भी बताएं गए हैं, जैसे कि :
शैलजा शिवलिंग : पत्थर से बना शिवलिंग.
रत्नजा शिवलिंग : रत्नों से बना शिवलिंग.
धातुजा शिवलिंग : धातु से बना शिवलिंग.
मृतिका शिवलिंग : मिट्टी से बना हुआ शिवलिंग.
दारुजा शिवलिंग : लकड़ी से बनी हुई शिवलिंग.
2) आइए अब जानते हैं शिव परिवार में कौन – कौन है :
शिवपुराण के अनुसार शिव परिवार में स्वयं भगवान शिव, देवी पार्वती उनके पुत्र गणेश और कार्तिकेय के साथ इनकी पुत्री अशोक सुंदरी है. इन सब के अलावा शिव परिवार में शिव पार्षद जिसमे बाण, रावण, चंड, नंदी, भृंगी है तो वही शिव के द्वारपाल में मुख्य नंदी, स्कंद, रिटी, वृषभ, भृंगी, गणेश, उमा – महेश्वर और महाकाल होते है इसके साथ ही शिव परिवार में शिव के गण भी शामिल हैं जिसमें भैरव, वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, जय और विजय मुख्य रूप से है.
3) आइए अब जानते हैं शिवलिंग का पूजन कौन कर सकता है :
शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग पूजन का अधिकार सभी मनुष्यों को है चाहें वह पुरूष हो या फिर महिला वैसे कुछ शास्त्रों में शिवलिंग को स्पर्श करने का अधिकार केवल पुरुषों को दिया गया है किंतु शिवपुराण में स्वयं भगवान शिव ने कहा है कि वैदिक मार्ग से ही शिवलिंग का पूजन करना चाहिए अर्थात शिवलिंग पूजन के लिए वैदिक मंत्रों और विधियों का पालन करना श्रेष्ठ होता है इसलिए स्त्रियों को भी शिवलिंग पूजन करने का पूर्ण अधिकार है विशेषकर पार्थिव शिवलिंग का लेकिन इनको भी वैदिक मंत्रों और विधियों के अनुसार ही पूजन करना चाहिए.
4) आइए जानते हैं शिवलिंग का पूजन किस प्रकार करना चाहिए :
शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग के पूजन के लिए सर्वप्रथम दक्षिण दिशा में उत्तराभिमुख होकर बैठना चाहिए फिर भस्म, त्रिपुण्ड्र, रुद्राक्ष की माला लेकर बिल्वपत्र से पूजा करने चाहिए इसके साथ ही जल, चंदन, अक्षत,पुष्प, धूप और दीपक के साथ पूजा करना चाहिए. धार्मिक मान्यता है कि सुबह के 05 बजे से सुबह के 11 बजे के बीच शिवलिंग पर जल को अर्पित करना शुभ होता हैं. शिवपुराण में उल्लेख किया गया है कि अगर भस्म नहीं मिले तो मिट्टी से भी ललाट में त्रिपुण्ड्र अवश्य कर लें इसके साथ ही पूजा में भगवान गणेश, विष्णु, माता पार्वती और नवग्रह का भी आह्वान अवश्य करना चाहिए ऐसी मान्यता है कि कलियुग में इस तरह से शिवलिंग का पूजन करने से मनुष्यों को धन – वैभव और सुख के साथ मोक्ष के राह खुलते हैं.
5) आइए अब जानते हैं किस दिशा में बैठकर शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए :
शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग से पूर्व दिशा की ओर मुख करके नहीं बैठना चाहिए क्योंकि यह दिशा शिवलिंग का प्रवेश द्वार होने के साथ यह दिशा भगवान शिव के आगे पड़ती हैं यही कारण है कि इस दिशा में बैठकर या खड़े होकर शिवलिंग पर जल अर्पित करने से पूजा का प्रभाव कम हो सकता है. शिवलिंग के उत्तर दिशा में भी नहीं बैठना चाहिए क्योंकि यह दिशा भगवान शिव का वामांग है जहां माँ पार्वती विराजमान हैं तो वही पश्चिम दिशा आराध्य देव का पृष्ठभाग अर्थात पीछे का भाग है इसलिए इस दिशा में भी नहीं बैठना चाहिए इसलिए शिवपुराणनुसार दक्षिण दिशा में बैठकर ही शिवलिंग का पूजन करना चाहिए क्योंकि दक्षिण दिशा में बैठकर पूजन करने से पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त होने के साथ सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी बढ़ता है.
6) आइए अब अंत में जानते हैं धन – संपत्ति का सुख कलियुग में कैसे प्राप्त करें :
शिवपुराण में वर्णित किया गया है कि मनुष्य के लिए कलियुग में शिवलिंग का पूजन सर्वश्रेष्ठ होगा स्वयं सूतजी ने शिवपुराण में उल्लेख किया है कि शिवलिंग भोग और मोक्ष देने वाला है अर्थात शिवलिंग का पूजा करने से मनुष्यों को सांसारिक सुख – समृद्धि के साथ मोक्ष भी देता है मान्यता है कि जो भी मनुष्य कलियुग में शिवलिंग का पूजा करेगा तो उसको धन – संपत्ति का सुख प्राप्त होने के साथ ही उसके लिए मोक्ष का द्वार भी खुलेगा.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) शिवलिंग कितने प्रकार के होते हैं ?
तीन.
2) शिवलिंग के किस दिशा में माँ पार्वती विराजमान रहती हैं ?
उत्तर दिशा.
3) पत्थर से बने शिवलिंग को क्या कहते हैं ?
शैलजा शिवलिंग.
4) किस दिशा में बैठकर शिवलिंग का पूजन करना चाहिए ?
दक्षिण दिशा.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.