Geeta Updesh | श्रीमद्भागवत गीता को हिंदुओं का दिव्य ग्रँथ कहा जाता हैं. सदियों से श्रीमद्भागवत गीता अपने आध्यात्मिक ज्ञान के द्वारा मनुष्यों की मन की दुविधा को दूर करके लक्ष्य को प्राप्त करने का आत्मविश्वास देते रहने के साथ जीवन जीने की कला को भी सिखाती है. कहा जाता हैं कि जब मनुष्य को चारों ओर से निराशा और हताश जीवन नजर आने लगे तो उस समय श्रीमद्भागवत गीता को अवश्य पढ़ना चाहिए क्योंकि यह जीवन से निराशा और हताश की भावना को केवल दूर ही नहीं करता बल्कि इसे बढ़ने भी नहीं देता हैं. ऐसे में कभी भी निराशा और हताश की भावना जीवन में आने लगे तो गीता के इन उपदेशों को अवश्य याद करना चाहिए क्योंकि इन उपदेशों को अमल में लाने से यह मनुष्य की सकारात्मकता को बढाने के साथ व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में सफलता भी देता है.
जानते हैं गीता के उन उपदेशों को जो जीवन में निराशा और हताश की भावना नहीं आने देता :
1) हर मुश्किलों का डट कर सामना करना :
भगवान श्रीकृष्ण गीता का उपदेश देते हुए कहते हैं कि मनुष्य को कोई भी मुश्किल हो उसका डट कर सामना करना चाहिए. बिना डर के हर कार्य को करना चाहिए, अगर कोई मनुष्य डर के साये में कार्य करता है तो वह सही राह से भटक जाता है परिणामस्वरूप वह मनुष्य कोई भी कार्य पूर्ण नहीं कर पाता है.
2) किसी से अधिक लगाव नहीं रखना चाहिए :
श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि मनुष्य को किसी दूसरे मनुष्य से अधिक लगाव नहीं रखना चाहिए, क्योंकि मनुष्यों से आवश्यकता से अधिक लगाव हताश और निराश का कारण बनती हैं. जो मनुष्य अपने रिश्ते – नातों, संबंधियों या फिर मित्रों से अधिक लगाव रखता है तो वह एक स्थान पर ठहर जाता है. मनुष्य की यह आदत उसको जीवन में आगे बढ़ने से रोकती है ऐसे में नतीजा यह होता है कि जब उसको वह व्यक्ति नहीं मिलता जिससे उसको अधिक लगाव है तो वह हताश और निराश हो जाता हैं और उसकी सोचने एवं समझने की शक्ति काम करना बंद कर देती हैं.
3) स्वयं पर विश्वास रखना चाहिए :
संसार में कुछ ऐसे मनुष्य होते हैं, जो किसी कार्य को करने से संकोच करते हैं कि उनको खुद पर विश्वास नहीं होता है कि वे यह कार्य कर लेंगे ऐसे में श्रीमद्भागवत गीता में कहा गया है कि मनुष्य को अपने ऊपर सदैव विश्वास रखना चाहिए, उसे स्वयं पर संदेह इन रखना चाहिए क्योंकि जिस मनुष्य में आत्मविश्वास होता है वह अपने जीवन में अवश्य सफलता प्राप्त करता है.
4) गीता के इस उपदेशों को याद रखना चाहिए :
भगवान श्रीकृष्ण गीता का उपदेश देते हुए कहते हैं कि मनुष्य को सदैव क्रोध से बचना चाहिए, इसके अलावा जो भी कार्य कर रहे हैं उसे बिना किसी परिणाम की चिंता बगैर करना चाहिए उसे भूत या फिर भविष्य को दिमाग में रखकर जीवन नहीं जीना चाहिए बल्कि मनुष्य को केवल वर्तमान यानि कि आज में रहकर जीवन जीना चाहिए.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) हिंदुओं का दिव्य ग्रँथ किसे कहा जाता हैं ?
श्रीमद्भागवत गीता को.
2) श्रीमद्भागवत गीता में किसने उपदेशों को दिया है ?
भगवान श्रीकृष्ण ने.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.