Geeta Updesh | हिंदू धर्म के पवित्र ग्रँथों में से श्रीमद्भगवद्गीता एक ऐसा ग्रँथ हैं जो कि कई सालों से अपने आध्यात्मिक ज्ञान की सहायता से मनुष्यों के मन की उलझनों को दूर करके लक्ष्य को प्राप्त करने का आत्मविश्वास देती रहती हैं. भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं महाभारत का युद्ध आरंभ होने से पहले अर्जुन को जो भी उपदेश दिया वह ही श्रीमद्भगवद्गीता के नाम से विश्व विख्यात हुआ मान्यता है कि जब मनुष्य का मन विचलित हो या फिर उसे चारों ओर से असफलता और निराशा का सामना करना पड़े तो उसे श्रीमद्भागवत गीता को पढ़ने की सलाह दिया जाता हैं क्योंकि जो मनुष्य गीता में वर्णित उपदेशों को अपने जीवन में अमल करता है उसे निश्चय ही अपने कार्य में सफलता प्राप्त होती हैं इसके अलावा यह ग्रँथ मनुष्य के पथ प्रदर्शक का भी कार्य करता है और साथ ही नियमित रूप से इसके पाठ से मनुष्य का मन काबू में भी रहता हैं. श्रीमद्भागवत गीता में कुछ ऐसे उपदेश हैं जो कि बेचैन मन को शांत करने में सहायक होता हैं.
जानते हैं गीता के उन उपदेशों को जो बेचैन मन को भी कर दें शांत :
1) श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहते हैं कि – मनुष्य को सदैव मोह से दूर रहना चाहिए क्योंकि जो मनुष्य मोह में फंस जाता है उसे सदैव चिंता और भय सताता रहता है जिससे मनुष्य मोह के वजय से किसी भी विषय के आसक्ति में फंस जाता है और आसक्ति से मनुष्य के अंदर काम भाव जागृत होता है जिससे क्रोध और भी बढ़ने लगता है इसलिए मनुष्य को कभी भी मोह नहीं फंसना चाहिए.
2) श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार जो मनुष्य केवल कर्म पर ध्यान देते हैं उसको असफलता का भय कभी भी नहीं सताता है तो ऐसे में मनुष्य को कभी भी परिणाम को सोचकर कार्य नहीं करना चाहिए क्योंकि परिणाम सोचकर किए जाने वाले कार्य से मनुष्य में चिंता और भय का संचार होता है.
3) भगवान श्रीकृष्ण गीता उपदेश के माध्यम से अर्जुन को बताते हैं कि जो व्यक्ति कर्म करता है तो भाग्य भी उसी का साथ देता हैं. व्यक्ति कर्म के सहारे भाग्य से अधिक प्राप्त कर सकता है लेकिन ऐसे में मनुष्य को केवल भाग्य के सहारे ही बैठना नही चाहिए बल्कि उसे अपने पुरुषार्थ के हिसाब से कर्म करते रहना चाहिए क्योंकि अगर मनुष्य का भाग्य कमजोर भी हो तो वह अपने कर्म से सब कुछ ठीक कर सकता हैं.
4) श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को कहते हैं कि मनुष्य को सदैव बुद्धि और विवेक से काम लेना चाहिए क्योंकि जो मनुष्य बुद्धि और विवेक को प्राथमिकता नहीं देता है तो वह हमेशा परेशान रहता है उसे सदैव किसी न किसी बात की चिंता सताती रहती हैं लेकिन वहीं अगर मनुष्य विवेक से काम करता है तो उसका मन हमेशा शांत रहता हैं.
5) श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार अगर मनुष्य का मन बेचैन हो या उसके मन में भय और चिंताएं कायम रहती है तो उसे भगवान के शरण में में आना चाहिए. जो मनुष्य सब कुछ त्यागकर और छोड़कर भगवान की शरण में आ जाता है तो उसे किसी भी तरह का भय या चिंताएं नहीं रहती हैं क्योंकि भगवान की शरण में जाने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) श्रीमद्भगवद्गीता में किसने गीता उपदेश दिया है ?
भगवान श्रीकृष्ण.
2) भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश किसे दिया है ?
अर्जुन को.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.