Jnanpith honor for Shri Rambhadracharya ji | संस्कृत विद्वान चित्रकूट तुलसी पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य जी को ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए नामित किया गया है. 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार की चयन समिति ने घोषणा की है की संस्कृत विद्वान जगतगुरु रामभद्राचार्य जी और प्रसिद्ध गीतकार गुलजार को यह सम्मान दिया जाएगा. तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख रामभद्राचार्य जी एक प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान, वेदों के कंठस्थ ज्ञाता और 200 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं. रामभद्राचार्य जी 22 भाषाओं के ज्ञाता हैं.
पुरस्कार विजेताओं का चयन उड़िया लेखिका प्रतिभा राय की अध्यक्षता वाली एक समिति द्वारा किया गया था। चयन समिति के अन्य सदस्यों में माधव कौशिक, दामोदर मौजो, सुरंजन दास, पुरूषोत्तम बिलमले, प्रफुल्ल शिलेदार, हरीश त्रिवेदी, प्रभा वर्मा, जानकी प्रसाद शर्मा, ए. कृष्णा राव और ज्ञानपीठ के निदेशक मधुसूदन आनंद शामिल थे. चयन समिति ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है, ” यह पुरस्कार (2023 के लिए) दो भाषाओं के प्रतिष्ठित लेखकों को देने का निर्णय लिया गया है. इसके लिए संस्कृत साहित्यकार जगद्गुरु रामभद्राचार्य और प्रसिद्ध उर्दू साहित्यकार गुलजार को चयनित किया गया है.”
What is Jnanpith Award? क्या है ज्ञानपीठ पुरस्कार :
1961 में ज्ञानपीठ पुरस्कार की स्थापना की गई थी और यह भारतीय साहित्य का सर्वोच्च पुरस्कार है. मलयालम कवि जी. शंकर कुरुप, पहले व्यक्ति थे जिन्हें उनकी कृति ओडक्कुझल के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मिला था. यह पुरस्कार केवल भारतीय नागरिकों को ही दिया जाता है. पुरस्कार में वाग्देवी की एक कांस्य प्रतिमा, एक प्रशस्ति पत्र और 11 लाख रुपये की राशि दी जाती है.
Who is Rambhadracharya ji? कौन है रामभद्राचार्य जी :
जगद्गुरु रामभद्राचार्य का जन्म भारत के उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के शांतिखुर्द गाँव के एक ब्राह्मण परिवार में पंडित श्री राजदेव मिश्र और श्रीमती शचीदेवी मिश्र के यहाँ हुआ था। उनका जन्म 14 जनवरी 1950 को हुआ था और उनका नाम गिरिधर मिश्रा रखा गया. 2 महीने की उम्र में ट्रैकोमा संक्रमण के कारण उनकी आंखें चली गईं.
रामभद्राचार्य जी एक प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान, वेदों के कंठस्थ ज्ञाता और 200 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं. रामभद्राचार्य जी 22 भाषाओं के ज्ञाता हैं. रामभद्राचार्य जी रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं. वह 1988 से इस पद पर बने हुए हैं. 23 अगस्त 1996 को उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में विश्व का पहला दिव्यांग विश्वविद्यालय श्री रामभद्राचार्य जी ने स्थापित किया.
संस्कृत विद्वान श्री रामभद्राचार्य जी की तीन पुस्तकों का विमोचन पिछले साल चित्रकूट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था. रामभद्राचार्य जी ने राम जन्मभूमि के मुकदमे में अहम् गवाही दी जो काफी सुर्खियों में बनी रहे. उन्होंने वेद पुराण के उदाहरण के साथ अयोध्या की विवाद स्थल को राम जन्मभूमि के साक्षी में दिए थे. रामभद्राचार्य जी द्वारा दिए गए बयान को सुनकर सुप्रीम कोर्ट के जज को भी यह कहना पड़ गया की ये भारतीय प्रज्ञा का चमत्कार है, जो व्यक्ति देखा नहीं सकता, वह कैसे वेद और शास्त्रों के विशाल संग्रह के उदाहरण दे सकते हैं. इसे ईश्वरी की ही शक्ति मनाना चाहिए. उनके बयान ने राम जन्मभूमि के फैसले में बड़ा रुख मोड़ दिया था.
रामभद्राचार्य जी को धर्म चक्रवर्ती, महामहोपाध्याय, श्री चित्रकूट तुलसी पीठाधीश्वर, जगद्गुरु रामानंदाचार्य, महाकवि, प्रस्थानत्रयी भाष्यकार आदि उपाधियां हैं. इनके साथ ही इन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है जैसे की पद्म विभूषण (2015), देवभूमि पुरस्कार (2011), साहित्य अकादमी पुरस्कार (2005), बादरायण पुरस्कार (2004), राजशेखर सम्मान (2003).
Rambhadracharya ji’s health update | रामभद्राचार्य जी का स्वास्थ्य अपडेट
03 फरवरी 2024 को उत्तर प्रदेश के हाथरस में कथा वचन के दौरान उनके स्वास्थ्य बिगड़ने पर उन्हें आगरा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां उनके सीने में दर्द की शिकायत की बात कही गई. प्राथमिक जांच के बाद डॉक्टरों ने चेस्ट इन्फेक्शन का कारण बताया तथा उनकी स्थिति को देखते हुए उन्हें देहरादून एम्स में शिफ्ट कर दिया गया. इसके बाद उन्हें दिल्ली एम्स लाया गया, जहां उनके हार्ट के वाल्व रिप्लेसमेंट की सर्जरी 17 फरवरी 2024 को की गई. आपको बता दे इससे पहले भी 2017 में रामभद्राचार्य जी के हार्ट के वाल्व को बदला गया था. अभी उनकी तबीयत पहले से बेहतर है.