Ratanpur Mahamaya Mandir | भारत में देवी माता के अनेक सिद्ध मंदिर हैं जिनमें माता के 51 शक्तिपीठ सदा से ही श्रद्धालुओं के लिए विशेष धार्मिक महत्व के हैं इनमें से एक है छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में रतनपुर स्थित मां महामाया देवी मंदिर. कहा जाता है कि जो भी इस मंदिर की चौखट पर आता है वह खाली कभी नहीं जाता जितनी अनोखी इस मंदिर की मान्यता है उतनी अनोखी इस मंदिर की कहानी भी है.
Ratanpur Mahamaya Mandir | तो चलिए जानते हैं रतनपुर महामाया मंदिर के रहस्यों को और इतिहास को :
छत्तीसगढ़ बिलासपुर से 25 किलोमीटर पर स्थित आदिशक्ति माँ महामाया देवी का मंदिर पवित्र व पौराणिक नगरी रतनपुर का इतिहास प्राचीन और गौरवशाली है. मंदिर का मंडप नागर शैली में बना हुआ है और यह 16 स्तंभों पर टिका हुआ है. गर्भगृह में आदिशक्ति मां महामाया की साढे तीन फीट ऊंची प्रस्तर की भव्य प्रतिमा स्थापित है. रतनपुर में विराजी मां महामाया की महिमा बड़ी ही निराली है यहां पर विराजमान देवी महाकाली, महालक्ष्मी, और मां सरस्वती के रूप में अपने भक्तों को दर्शन देती है. दुर्गा सप्तशती के साथ ही देवी पुराण में महामाया के बारे में जो भी वर्णन किया गया है बिल्कुल इन्हीं रूपों के दर्शन रतनपुर में विराजी महामाया के रूप में होते हैं. महामाया मंदिर में शक्ति के तीनों रूप के दर्शन होते हैं इन्हीं रूपों में समाहित मां के स्वरूप को महामाया देवी की संज्ञा दी गई हैं. धार्मिक मान्यता है कि यहां बैठी मां महामाया देवी के आशीर्वाद से हर संकट दूर हो जाता है कुंवारी लड़कियों को सौभाग्य की प्राप्ति होती है भक्तों को सभी दुख और कष्ट से मुक्ति मिलती हैं.
Ratanpur Mahamaya Mandir | यहां माता सती का गिरा था दाहिना कंधा :
माना जाता है कि भगवान शिव जब माता सती के मृत शरीर को लेकर ब्रह्मांड में तांडव करते हुए भटक रहे थे तो उस समय भगवान विष्णु ने उनका वियोग को मुक्त करने के लिए सुदर्शन चक्र से सती माता के शरीर को टुकड़े कर दिए और माता सती के अंग जहां-जहां गिरे वही शक्तिपीठ बन गए इन्हीं स्थानों को शक्तिपीठ रूप में मान्यता मिली महामाया मंदिर में माता का दाहिना कंधा गिरा था भगवान शिव ने स्वयं प्रकट होकर इसे कौमारी शक्तिपीठ का नाम दिया इसलिए इस स्थल को माता के 51 शक्ति पीठों में शामिल किया गया. यहां पर सुबह से देर रात्रि तक भक्तों की भीड़ लगी रहती है मान्यता है कि नवरात्रि में यहां की गई पूजा कभी भी निष्फल नहीं होती है.
Ratanpur Mahamaya Mandir | महामाया मंदिर से पहले करने होते हैं भैरव बाबा के दर्शन :
सभी शक्तिपीठ की 51 शक्तियां है और हर शक्ति का रक्षक भैरव है और माँ महामाया मंदिर के कुछ दूर पर भैरव बाबा का मंदिर हैं मान्यता है कि जो भी भक्त माता महामाया का दर्शन करने रतनपुर आते हैं वह सबसे पहले भैरव बाबा के मंदिर पर रुक कर दर्शन करते हैं जिससे कि भक्तों की मनोकामना बहुत जल्दी पूर्ण हो जाए. माना जाता है कि भैरव बाबा की यह मूर्ति बहुत ही प्राचीन है और उनकी ऊंचाई दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है.
History of Ratanpur Mahamaya Mandir | आइए जानते हैं रतनपुर महामाया मंदिर के इतिहास को :
पवित्र पौराणिक नगरी रतनपुर को पहले मणिपुर के नाम से जाना जाता था.राजा रत्नदेव प्रथम ने ही मणिपुर गांव को रतनपुर नाम देकर अपनी राजधानी बनाया था कहा जाता है कि श्री आदिशक्ति मां महामाया देवी मंदिर का निर्माण भी राजा रत्नदेव प्रथम द्वारा 11वीं शताब्दी में किया गया था. माना जाता है कि एक बार राजा रत्नदेव प्रथम मणिपुर के इस गांव में रात्रि विश्राम करने के लिए एक वट वृक्ष पर किया आधी रात में जब राजा की आंख खुली तब उन्होंने वट वृक्ष के नीचे अलौकिक प्रकाश को देखा और यह देखकर वह आश्चर्य में पड़ गए की वहां आदिशक्ति श्री महामाया देवी की सभा लगी हुई है यह देखकर वह अपनी चेतना खो बैठे और सुबह होने पर वह अपनी राजधानी तुम्मान खोल लौट गए और मणिपुर का नाम रतनपुर करके इसे अपनी राजधानी बनाने का निर्णय लिया और इस तरह 11वीं शताब्दी में महामाया देवी का भव्य मंदिर बनवाया.
How to Reach Ratanpur Mahamaya Mandir, Bilaspur| आइए जानते हैं कि कैसे पहुंचे रतनपुर :
रतनपुर पहुंचने के लिए सड़क रेल और वायु मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है यह मंदिर बिलासपुर शहर से 25 किलोमीटर की दूरी पर है और रतनपुर के लिए हर एक घंटे में बस सेवा उपलब्ध है बिलासपुर रेलवे स्टेशन से भी रतनपुर की दूरी 25 किलोमीटर है. वायु मार्ग से यह स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट रायपुर से मात्र 141 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां के लिए दिल्ली मुंबई कोलकाता चेन्नई हैदराबाद और बेंगलुरु से सीधी विमान सेवा उपलब्ध है.
चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में रतनपुर शहर ऊपर से नीचे तक सजा रहता है अष्टमी के दिन यहां दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु हर साल आसपास के क्षेत्र से पैदल चलकर आते हैं और माता रानी से मनोकामना मांगते हैं. अगर आप भारत के किसी भी राज्य, प्रान्त के हो तो मौका मिले तो छत्तीसगढ़ बिलासपुर के रतनपुर महामाया मंदिर जरूर जाएं और माता रानी का आशीर्वाद और कृपा कृपा प्राप्त करके अपनी मनोकामना पूरी करें.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
मां महामाया मंदिर रतनपुर किस राज्य में स्थित है ?
छत्तीसगढ़
महामाया मंदिर में सती माता का कौन सा अंग गिरा था ?
दाहिना कंधा.
रतनपुर शहर का पूर्व में क्या नाम था ?
मणिपुर
मां महामाया मंदिर रतनपुर को किसने बनवाया है ?
राजा रत्नदेव प्रथम.
मां महामाया मंदिर किस शताब्दी में बना है ?
11वीं शताब्दी
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.