Kalighat Kali Mandir | पश्चिम बंगाल अपने साहित्य, कला, संस्कृति और प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है तो वहीं पश्चिम बंगाल कोलकाता में कई ऐसे प्राचीन मंदिर स्थित है और इन मंदिरों में भक्तों की अपार विश्वास और आस्था इतनी हैं कि देश ही नहीं विदेश से भी भक्त इस मंदिरों में दर्शन के लिए आते हैं और इन मंदिरों में कोलकाता का एक प्रसिद्ध मंदिर है काली मंदिर जिसको कालीघाट के नाम से जाना जाता हैं और यह 51 शक्तिपीठों (51 Shakti Peethas) में से एक हैं जो कि देश का सबसे सिद्ध काली मंदिर है और यह मंदिर माँ काली ( Maa Kali ) को समर्पित हैं क्योंकि माना जाता है कि यह मंदिर काली मां का निवास स्थल हैं इसके साथ ही इस मंदिर की भक्तों के बीच बहुत महत्वता हैं ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं माँ के केवल दर्शन से ही पूर्ण हो जाते हैं.
Kalighat Kali Mandir | जानते हैं काली मंदिर से जुड़ी रहस्यों और जानकारियों को विस्तार से :
1) 51 शक्तिपीठों में कालीघाट मंदिर का उल्लेख :
हिंदू धर्म के पुराणों की मान्यतानुसार सती माता के अंग के टुकड़े जहां जहां गिरे वो स्थान शक्तिपीठ के नाम से अस्तित्व में आएं जो कि बहुत ही पवित्र तीर्थस्थान कहलाए और कालीघाट का यह काली मंदिर भी एक शक्तिपीठ कहलाता है मान्यता है कि यहां सती माता के दाएं पांव का अंगूठा गिरा था और यहां की शक्ति कालिका व भैरव नकुलेश हैं. मंदिर प्रांगण में कुंदुपुकुर जल कुंड हैं मान्यता है कि इसी कुंड में ही माता सती का अंगूठा मिला था. ऐसा माना जाता है कि इस कुंड के पानी में स्नान करने मात्र से हर मनोकामना पूर्ण करने की शक्ति होती हैं.
2) कालीघाट मंदिर में देवी की अद्भुत प्रतिमा :
कोलकाता के कालीघाट मंदिर में काली मां की प्रतिमा अनूठी और अद्वितीय है. इस प्रतिमा में काली मां भगवान शिव की छाती पर पैर रखी हुई है जिसमें माँ काली के तीन बड़े नेत्र और चार भुजाएं हैं जिनमें कुछ कुल्हाड़ी और कुछ नरमुंड हैं तो कमर में भी नरमुंड बंधे हुए हैं. इस काली मां की जीभ बहुत लंबी हैं जो कि सोने की बनी व बाहर निकली हुई हैं.
3) कालीघाट मंदिर की विशेषताएं :
कोलकाता (Kolkata) का कालीघाट मंदिर पहले हुगली नदी भागीरथी के किनारे स्थित हुआ करता था लेकिन समय के साथ भागीरथी दूर होती चली गई और वर्तमान में कालीघाट मंदिर आदि गंगा नहर के किनारे स्थित है और जो की हुगली नदी से जाकर मिलती है. कहा जाता हैं कि चौरंगा गिरि नामक एक पवित्र संत ने इस मंदिर की स्थापना की थी तो वहीं यह भी माना जाता है कि एक आत्मा राम ब्राह्मण ने भागीरथी नदी में एक मानव पैर की आकार की संरचना देखी थी तो उन्होंने उस मानव पैर से प्रार्थना किया तब उसे सपने में बताया गया कि पैर की उंगली देवी सती की है उसे सपने में एक मंदिर स्थापित करने के लिए भी कहने के अलावा उसे नकुलेश्वर भैरव के स्वंम्भू लिंगम को खोजने के लिए भी कहा गया. ब्राह्मण को जब शंभु लिंगम मिला और उसने लिंगम और पैर के आकार की सरंचना की पूजन करना शुरू किया.
पश्चिम बंगाल का दुर्गा पूजा विश्व प्रसिद्ध है दुर्गा पूजा में कालाघाट मंदिर का विशेष रूप से सजाया जाता है इस दौरान यहां विशेष पूजन होती है जिसमें देश विदेश से लोग शामिल होने आते धार्मिक मान्यता है कि केवल काली माँ के दर्शन करने से ही सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है.
How to Reach Kalighat Kali Mandir | कालीघाट मंदिर कैसे पहुंचे :
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में स्थित कालीघाट मंदिर विश्व प्रसिद्ध है और इस मंदिर के प्रति भक्तों की असीम श्रद्धा और विश्वास भी बहुत गहरा है. इस मंदिर में पहुंचने के लिए रेल मार्ग और हवाई मार्ग के माध्यम से पहुंचा जा सकता है.कालीघाट मंदिर से सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन हावड़ा जंक्शन हैं जो कि मंदिर से केवल 10 km की दूरी हैं तो वहीं मंदिर से 25 km की दूरी पर कोलकाता का नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) कालीघाट काली मां का मंदिर कहा स्थित है ?
पश्चिम बंगाल कोलकाता में.
2) मान्यतानुसार माता सती का दाएं पांव का अंगूठा कहां गिरा था ?
कालीघाट मंदिर.
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