Sama Chakeva Parv 2025 | भाई बहन के अटूट प्रेम का पर्व न केवल रक्षाबंधन और भाई दूज है बल्कि सामा चकेवा भी है और यह पर्व बिहार के मिथिलांचल में मनाया जाने वाला एक पारंपरिक पर्व है जो कि भाई बहन की प्रेम और स्नेह का प्रतीक है. भाई और बहन के प्रेम का यह पर्व सात दिनों तक चलता है जिसकी शुरुआत कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि तक चलती है. इस पर्व को मनाने का उद्देश्य है भाई – बहन के बीच अटूट रिश्ते को सम्मानित करने और प्रकृति के प्रति सम्मान व्यक्त करने का हैं.
जानते हैं साल 2025 में सामा चकेवा कब मनाई जाएगी :
बिहार के मिथिलांचल प्रांत का लोकपर्व सामा चकेवा जो कि भाई – बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक होता हैं. यह पर्व सात दिवसीय होता हैं जो कि हर साल कार्तिक मास की सप्तमी यानि कि छठ पर्व की सुबह के अर्घ्य से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा पर समाप्त होती हैं और साल 2025 में भाई – बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व सामा चकेवा की शुरुआत होगी 28 अक्टूबर दिन मंगलवार 2025 से लेकर 05 नवंबर दिन बुधवार 2025 तक.
जानते हैं सामा चकेवा पर्व कैसे मनाई जाती हैं :
सामा चकेवा बिहार के मिथिलांचल प्रांत का एक लोक उत्सव होता हैं जिसमें महिलाएं मिट्टी से सामा, चकेवा, चुगला, वृंदावन, ऋषि और दूसरे अन्य देवी – देवताओं की मूर्तियों को बनाकर इन सबको बांस की टोकरियों में जिसे चंगेरी कहा जाता है, में रखकर खेतों में ले जाकर ओस लगाकर इन सात दिनों में रात के समय 07 बजे से 08 बजे के बीच सभी महिलाएं मैथिली लोकगीत को गाती हैं और सामा की पूजा करने के बाद सामा चकेवा की कहानियों को सुनती हैं. इस पर्व में महिलाएं भाई की मंगल कामना और दीर्घायु के लिए भगवान से प्रार्थना करती है और रोजाना मैथिली लोकगीत को गाकर पर्व को उत्साह से मनाती है.
भाई बहन के प्रेम का प्रतीक सात दिवसीय पर्व सामा चकेवा कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि में सभी बनी मूर्तियों को बाजे – गाजे, ढोल – मृदंग के साथ शोभा यात्रा निकाल कर विसर्जन किया जाता हैं जिसमें चुगला और वृंदावन के प्रतीक के रूप में बनी हुई मूर्तियों में आग लगाया जाता है माना जाता है कि चुगला में आग लगाने का संदेश देता है कि किसी की शिकायत करना उचित नहीं है. सभी मूर्तियों का विसर्जन के समय कार्तिक पूर्णिमा के दिन भाई अपनी बहन को उपहार स्वरूप धान का चूड़ा और गुड़ देते हैं.
सामा चकेवा पर्व के महत्व :
सामा चकेवा का पर्व मैथिली संस्कृति की एक महत्वपूर्ण पहचान के साथ यह मिथिला क्षेत्र की कलात्मक विरासत को दर्शाने के अलावा यह पर्व भाई – बहन के बीच पवित्र और अटूट प्रेम का भी प्रतीक होता है. मिथिलांचल प्रांत का लोकपर्व सामा और चकेवा भाई – बहनों के एक साथ आने और अपने बंधन को मजबूत करने के साथ यह पर्व एक दूसरे के प्रति आभार को व्यक्त करने के साथ यह पर्व परिवारों और समुदायों को एक साथ लाने का कार्य करता हैं जिससे कि सामाजिक बंधन मजबूत भी होते हैं.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) सामा – चकेवा का पर्व किस प्रांत का लोकपर्व है ?
मिथिलांचल प्रांत (बिहार).
2) सामा – चकेवा का पर्व किसका प्रतीक होता हैं ?
भाई – बहन के अटूट प्रेम का
3) पंचाग के अनुसार सामा – चकेवा का पर्व कब से कब तक चलता है ?
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.