Navakhai 2025 | देश के हर राज्य की त्यौहारों की अपनी अलग अलग पहचान है और हर राज्य व प्रांतों में कई प्रकार के जीवंत त्यौहार मनाए जाते हैं जो कि वहां की संस्कृति को दर्शाता है. छत्तीसगढ़ देश का एक ऐसा राज्य है जो कि अपने त्योहारों के साथ-साथ अपनी सुंदरता और अद्वितीय जनजातीय समुदाय के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है यही कारण है कि त्योहारों की अधिकता इस राज्य की संस्कृति की विशेषता है और धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में मनाए जाने वाले त्योहार खेती किसानी पर आधारित होते हैं. धान की रोपाई से लेकर फसल कटाई तक किसान कई तरह के सामूहिक उत्सव और पर्व मानते हैं जिनमें से एक त्यौहार है नवाखाई जिसे नवाखाना भी कहा जाता है और यह त्यौहार छत्तीसगढ़ के आदिवासी और जनजाति धान की बाली निकलने की खुशी में बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं.
नवाखाई त्यौहार 2025 कब मनाई जाएगी :
नवाखाई का त्यौहार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन धूमधाम से मनाया जाता है. साल 2025 में नवाखाई का त्यौहार 28 अगस्त 2025 दिन गुरुवार को मनाई जाएगी वैसे छत्तीसगढ़ में यह त्यौहार अलग अलग जिलों में अलग अलग तिथियों में मनाया जाता हैं क्योंकि यह त्यौहार छत्तीसगढ़ में रहने वाले आदिवासी और जनजाति खेतों मैं धान में बाली निकलने की खुशी में मनाया जाता है.
नवाखाई त्यौहार कैसे मनाई जाती हैं :
1) सुबह जल्दी उठकर घर की साफ सफाई करने के बाद स्नानादि से निवृत्त होकर शुद्ध साफ वस्त्र को पहन लेना है.
2) इसके पश्चात खेतों से धान की बाली लेकर उसमें से चावल को निकाल लेने के बाद उस चावल से खीर को बनाया जाता है.
3) चावल के खीर के अलावा पूरी और उड़द दाल के बड़ा भी बनाया जाता हैं और इन सब का भोग अपने इष्ट देवता, कुलदेवता या फिर कुलदेवी को कुडई के पत्ते में लगाया जाता हैं.
4) देवी – देवताओं की पूजा करने के बाद घर के सभी लोग प्रसाद को ग्रहण करते है इसके साथ ही अगले दिन दूसरे के घर सपरिवार जाकर खाना खाकर अपनों से बड़े लोगों से आशीर्वाद भी लेते हैं.
नवाखाई त्यौहार के महत्व :
छत्तीसगढ़ में नवाखाई का त्योहार आदिवासियों के नए फसल का पहला त्यौहार है जिसे बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है और यह त्यौहार धान की फसल में जब बाली आना शुरू होता है तो इसी खुशी में त्यौहार के रूप में गांव में मनाई जाती है यहां नवाखाई त्यौहार एक कृषि का पर्व है जिसमें नवा का अर्थ “नया” और खाई का “खाना” होता है और इस त्यौहार के दिन देवी देवता और अपने पूर्वजों की भी पूजा की जाती है. इस त्योहार में धान की नई फसल की बालियां को तोड़कर उन्हें भुनने के बाद कूटकर गुड और चूड़ा उसमें मिलकर अन्नपूर्णा देवी और घर के देवी देवता प्रसाद को चढ़कर पूजा करने के बाद इसे पूरा परिवार प्रसाद के रूप में ग्रहण करता है इसे ग्रहण करने के बाद घर में मांसाहारी भोजन और मदिरा का भी सेवन किया जाता है. इस पर्व मैं घर के सारे लोग और रिश्तेदार चाहे वह जहां भी रहते हो अपने पुस्तैनी घर में इकट्ठा होते हैं.
नवाखाई त्यौहार में वैवाहिक रिश्तों को जोड़ने के लिए वर वधु की तलाश करना शुरू हो जाती है और परिवार में विवाह योग्य युवक युवतियों के लिए रिश्ता तय हो जाने के बाद शुभ समय में विवाह का आयोजन भी किया जाता है.
जानते हैं कुडई पत्ते का नवाखाई त्यौहार में महत्ता :
आदिकाल से नवाखाई त्यौहार के समय नई फसल से बनी भोग और पकवान को एक औषधीय पौधा कुडई के पत्ते में परोसकर खाने की परंपरा चली आ रही है. कुडई के पत्ते पर खिचड़ी या फिर खीर के प्रसाद को खाने के बाद जूठन पत्तल को जमीन में गढ़ दिया जाता है मान्यता है कि साल में एक बार इस औषधीय पत्तों पर भोजन या पकवान ग्रहण करने पर कई शारीरिक समस्या खत्म हो जाती है.
नवाखाई का त्यौहार छत्तीसगढ़ का एक ऐसा लोक पर्व है जो परंपरा के रूप में मनाए जाने वाले इन त्यौहार में किसान शानदार फसल और अच्छी बारिश के लिए आभार व्यक्त करने के रूप में देवताओं की पूजा करते हैं. यह परंपरा बरसों से चली आ रही है जिसे आज भी छत्तीसगढ़ राज्य के हर जिले में रहने वाले जनजातीय ग्रामीण और किसानों द्वारा निभाया जाता जा रहा है यह त्यौहार रहवासियों को मिलन और भाईचारा का संदेश देती है और जिससे गांव की संस्कृति और परिवार के बीच एकता बनी रहती है.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) नवाखाई त्यौहार किस राज्य का लोक पारंपरिक त्यौहार हैं ?
छत्तीसगढ़.
2) नवाखाई त्यौहार का शाब्दिक अर्थ क्या होता हैं ?
नवा का अर्थ नया और खाई का अर्थ खाना.
3) नवाखाई किस फसल पर आधारित हैं ?
धान की नई बालियां आने पर.
4) छत्तीसगढ़ लोकपर्व नवाखाई किस तिथि में मनाई जाती हैं ?
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि.
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