Shiv ji | हिंदू धर्म में भगवान शिव की महिमा अद्भुत है तीनों लोकों के सरकार भगवान भोले शंकर का ना आदि है और ना ही अंत. शास्त्रों में भगवान शिव का स्वरूप के बारे में कई विशेष बातों का उल्लेख मिलता है, भगवान शिव का स्वरूप बाकी सभी देवी – देवताओं से बिल्कुल ही अलग है. धार्मिक मान्यतानुसार जहां सभी देवी – देवता दिव्य आभूषण और वस्त्रादि को धारण किया करते हैं तो वहीं भगवान शिव आभूषण के रूप में चंद्रमा, डमरू, त्रिशूल, त्रिनेत्र, सर्प और बैल को धारण किए हुए हैं. भगवान शिव के आभूषणों का आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है क्योंकि यह केवल सजावट के लिए बल्कि इनके गहरे रहस्य है जो कि जीवन के अलग – अलग पहलुओं और ब्रह्मांडीय शक्तियों का प्रतिनिधित्व किया करती हैं.
जानते हैं भगवान शिव के आभूषण के महत्व और इनके जुड़े रहस्यों को :
1) चंद्रमा :
भगवान शिव अपने सिर पर चंद्रमा को धारण किया है इसी कारण से इनको चंद्रशेखर भी कहा जाता हैं. चंद्रमा का संबंध मन और शीतलता से है और इसको भगवान शिव अपने सिर पर धारण करके इस बात को दर्शाते हैं कि मन को कभी भी अपने ऊपर हावी होने नहीं देना चाहिए क्योंकि मन चंचल और अस्थिर होता है. मान्यता है कि धातु से बना चंद्रमा को घर में रखने से मन शांत और खुशमय होता हैं.
2) त्रिशूल :
भगवान शिव अपने हाथों में त्रिशूल को धारण किए हुए हैं. त्रिशूल तीन गुणों सत, रज एवं तम का प्रतिनिधित्व करती है और शिवजी का यह आभूषण सृष्टि के तीन प्रमुख कार्यों सृजन, स्थिति और संहार से संबंधित होता है. माना जाता है कि घर में भगवान शिव के इस आभूषण त्रिशूल को रखने से मन, मस्तिष्क और शरीर ऊर्जावान रहता है.
3) डमरू :
भगवान शिव के आभूषणों में डमरू का विशेष महत्व होता है और डमरू ब्रह्मांड की लय और ध्वनि का प्रतीक है जो हमेशा फैलता और सिमटता रहता है. मान्यता है कि घर में भगवान शिव के इस आभूषण डमरू को रखने से चीजें हमेशा काबू में रहती हैं.
4) सर्प (नाग) :
भगवान शिव अपने गले में वासुकी नाग को धारण किया हुआ है और यह कुंडलिनी शक्ति का प्रतीक हैं, जो मानव शरीर में स्थित है और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतिनिधित्व करने के साथ यह संदेश दिया करती है कि शिव हमेशा सचेत अवस्था में रहते हैं. मान्यता है कि घर में सर्प की आकृति को रखने से शत्रुओं से मुक्ति मिलती हैं.
5) त्रिनेत्र :
भगवान शिव के मस्तक के मध्य भाग में सुशोभित तीसरा नेत्र अलौकिक है जो कि ज्ञान और अंतदृष्टि का प्रतीक हैं और यह भगवान शिव को ब्रह्यांडीय ज्ञान प्रदान करने का कार्य करती हैं और इसी तीसरे नेत्र के कारण ही भगवान शिव को त्र्यम्बकं कहा जाता हैं.
6) बैल :
भगवान शिव का बैल जिसे नंदी कहा जाता हैं जो सदैव भगवान शिव के नजदीक रहता है और इन पर भगवान शिव की सवारी होने का अर्थ है कि शिव सदैव धर्म पर सवार होते है. नंदी का सभी शिवगणों में पहला स्थान प्राप्त है और यह स्थिरता और सजकता का प्रतीक होता है.मान्यता है कि नंदी बैल की छोटी सी मूर्ति को घर में रखने से कभी भी बुरी शक्तियां घर में प्रवेश नहीं करती हैं.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) भगवान शिव के सिर पर चंद्रमा का संबंध किससे है ?
मन और शीतलता.
2) भगवान शिव का डमरू किसका प्रतीक है ?
ब्रह्मांड की लय और ध्वनि.
3) भगवान शिव के गणों में पहला स्थान किससे मिला है ?
नंदी.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.