Vishnu Avatar | हिंदू धर्म में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित हैं धार्मिक मान्यता है कि गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की सच्चे मन से विधिवत पूजा करने से जीवन के सभी संकटों से मुक्ति मिलने के साथ ही भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण भी होती हैं. भगवान विष्णु जगत के पालनहार कहलाने के साथ यह भी कहा जाता हैं कि जब – जब पृथ्वी पर कोई संकट आता है तब भगवान विष्णु अवतार लेकर संकट को दूर करके धर्म की रक्षा करता हैं लेकिन कभी कभी सृष्टि की रक्षा और भलाई के लिए धर्म की मर्यादा का उल्लंघन करने के साथ कई तरह के छल भी करने पड़े.
Vishnu Avatar | जानें भगवान विष्णु के ऐसे अवताराओं को जिनमें सृष्टि और धर्म की रक्षा के लिए छल करना पड़ा :
1) मधु – कैटभ का वध :
मधु – कैटभ नाम के दो शक्तिशाली दैत्य थे जिसे इच्छामृत्यु का वरदान मिला था और यह दोनों स्वभाव से तपस्वी ब्रह्माजी को मारना चाहते थे तब ब्रह्माजी भगवान विष्णु की शरण में आकर इन दैत्यों से अपनी रक्षा करने की प्रार्थना किया चुकी इन दोनों को इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था.भगवान विष्णु ने तब छल से ऐसी सम्मोहन विद्या अपनाई कि मधु – कैटभ ने प्रसन्न होकर वरदान मांगने को कहा तब तत्काल भगवान विष्णु ने मेरे हाथों से अपनी मृत्यु स्वीकार करने का वरदान और उन दोनों ने बिना सोचे समझे तथास्तु बोल दिया उनके तथास्तु बोलते ही भगवान विष्णु ने अपनी जांघ पर दोंनो सिर रखकर सुदर्शन चक्र से काट दिया.
2) मोहिनी बनकर दैत्यों से छल करना :
जब देवताओं और दैत्यों के बीच समुंद्र मंथन हुआ तो उसमें अमृत निकला जिसको पाने के लिए इन दोनों में झगड़ा होने लगा तब इस स्थिति में भगवान विष्णु ने एक स्त्री मोहिनी का रूप धारण करके छल से दैत्यों को छोड़कर देवताओं को अमृतपान कराया और इनके इसी छल के कारण देवता अजर – अमर हो गए.
3) राजा बलि से उनका राजपाट छीना :
त्रेतायुग में दैत्यों के राजा बलि भगवान विष्णु का परमभक्त होने के साथ ही दानी, सत्यवादी और धर्मपरायण था. राजा बलि ने अपने पराक्रम से तीनों लोक आकाश, पाताल और पृथ्वी को अपने अधीन कर लिया था जिससे सभी देवता गण दुखी होकर भगवान विष्णु के पास जाकर प्रार्थना किया और तब देवताओं की विनती सुनकर भगवान विष्णु वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग धरती को मांगा. राजा बलि के संकल्प करने के बाद भगवान विष्णु ने विराट रूप धारण करके अपने पग से तीनों लोक को नाप लिया और राजा बलि को पाताल लोक में भेज दिया.
4) भगवान शिव के प्राण को छल से बचाएं :
भस्मासुर एक महापापी असुर था जिसने भगवान शिव की घोर तपस्या करके प्रसन्न करके यह वरदान में मांगा कि मैं जिस पर भी हाथ रखूं तो वह उसी समय भस्म हो जाएं और भगवान शिव ने भस्मासुर को यह वरदान दे दिया लेकिन वरदान मिलते ही भस्मासुर भगवान शिव को भस्म करने के लिए दौड़ने लगा तब भगवान विष्णु ने भगवान शिव की रक्षा के लिए एक सुंदर स्त्री का रूप धारण किया और इनके इस रूप को देखकर भस्मासुर उन पर मोहित हो गया तब भस्मासुर को अपने साथ नृत्य करवाने लगी जैसे ही उन्होंने अपने सिर पर हाथ रखा उसी तरह भस्मासुर ने भी अपने सिर पर हाथ रखा जिससे वह भस्म हो गया.इस तरह से भगवान विष्णु ने छल के द्वारा भगवान शिव के प्राणों की रक्षा की.
5) शिशु का रूप धारण करके भगवान शिव और पार्वती से छीना बद्रीनाथ धाम :
धार्मिक मान्यता है कि कभी बद्रीनाथ धाम भगवान शिव और माता पार्वती का विश्राम स्थल था किंतु भगवान विष्णु को यह स्थान इतना अच्छा लगा कि उन्होंने इसको पाने के लिए योजना बनाई और तब विष्णुजी ने शिशु अवतार को धारण करके बद्रीनाथ स्थित भगवान शिव की कुटिया के बाहर आकर रोने लगे और जब माता पार्वती ने यह सुन तो वहां वह पहुंची और उसे दूध पिलाकर कुटिया के अंदर ले जाकर सुला दिया और फिर भगवान शिव के साथ स्नान करने चली गई लेकिन जब वापस आई तो दरवाजा भीतर से बंद था काफी कोशिश करने के बाद भी जब बच्चा नहीं जागा तब भगवान शिव ने कहा अब उनके पास दो ही विकल्प है या तो यहां की हर चीज को वह जला दे या फिर यहां से कहीं और चले जाएं और वह बच्चे के अंदर सोने के वजह से कुटिया को जला नहीं सकते थे तो ऐसे में उन्हें बद्रीनाथ छोड़कर केदारनाथ में अपना निवास बनना पड़ा.
6) देवी वृंदा के सतीत्व को छल से भंग किया :
जलंधर नाम का एक असुर था जो कि अपनी पत्नी वृंदा के पतिव्रता धर्म के कारण अपार शक्तिशाली बना हुआ था और अपनी इस शक्ति के बल पर तीनों लोकों में अपना आतंक फैलाया रखा था यहां तक कि एक बार भगवान शिव को युद्ध में उसने पराजित कर दिया तब एक बार सृष्टि और धर्म की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने जलंधर का रूप धारण करके वृंदा के करीब आएं और उसका सतीत्व को भंग कर दिया और ऐसा होते ही जलंधर की शक्तियां नष्ट होने लगी तब भगवान शिव ने जलंधर का वध कर दिया.
7) नारद मुनि को छल से वानर बनाया :
एक बार नारद मुनि के घमंड को दूर करने के लिए भगवान विष्णु ने लीला रची. नारदजी को राह चलते एक सुंदर कन्या मिली जिसने नारदजी को अपने स्वयंवर में आने का निमंत्रण भेजा और उस कन्या के स्वयंवर में भाग लेने की इच्छा जाएगी तब वे भगवान विष्णु के पास गए और बोले कि मुझे अपने जैसा ही सुंदर और आकर्षक बना दीजिए तब भगवान विष्णु ने इन्हें छल से वानर का रूप दे दिया और जैसे ही नारदजी स्वयंवर में पहुंचे वहां उपस्थित सभी लोग उनको देखकर हंसने लगा किंतु नारदजी को कुछ भी समझ में नहीं आया तब शिवगणों ने उन्हें आईना दिखाया तो उनको भगवान विष्णु पर बहुत क्रोधित हुए और उसी क्रोध में भगवान विष्णु को स्त्री वियोग का श्राप दिया.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) वृंदा किस असुर की पत्नी थी ?
जलंधर.
2) भगवान विष्णु किस अवतार में राजा बलि से तीन पग धरती मांगा था ?
वामन अवतार.
3) भगवान विष्णु ने किस राक्षस से भगवान शिव को बचाया था ?
भस्मासुर राक्षस.
4) बद्रीनाथ धाम पहले किनका निवास स्थान था ?
भगवान शिव.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.