Mystery of Mahashivratri | महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती हैं. महाशिवरात्रि पर्व का महत्व गरुड़ पुराण, पद्म पुराण, स्कंद पुराण, शिव पुराण और अग्नि पुराण सभी मे किया गया है. कहा जाता हैं कि महाशिवरात्रि का व्रत कठोर व परिश्रम साध्य होने के बावजूद यह महान पुण्य प्रदायक और सभी पापों का नाश करने वाला होता हैं. मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ और इसे इसी रूप में मनाई जाती हैं. साल में लगभग बारह (12) शिवरात्रि पड़ती हैं जो कि हर माह कीं अमावस्या से एक दिन पहले की रात होती हैं और जो सबसे अंधेरी रात होती हैं.
फाल्गुन मास की अमावस्या से पहले यानि कि कि चतुर्दशी की रात महाशिवरात्रि कहलाती हैं किन्तु सच इतना नहीं है जबकि महाशिवरात्रि से जुड़े कुछ ऐसे रहस्य हैं जिनको जानकर हर कोई हैरान रह जाती हैं.
Mystery of Mahashivratri | महाशिवरात्रि से जुड़े रहस्य :
1) शिवपुराण (Shivpuran) के अनुसार जब सृष्टि का आरंभ हुआ तो ब्रह्माजी और विष्णुजी के बीच अपनी श्रेष्ठता को लेकर विवाद छिड़ गई जिसको देखकर वहां एक अग्नि स्तंभ प्रकट होकर एक आकाशवाणी हुई कि जो इस अग्नि स्तंभ के आदि और अंत को जानेगा वो श्रेष्ठ होगा ओर इस रहस्य को जानने के लिए ब्रह्माजी और विष्णुजी ने युगों तक प्रयास किया किन्तु दोंनो ही इस रहस्य को नहीं जान सके तब भगवान विष्णु ने अपनी हार को स्वीकार करके अग्नि स्तंभ से अपना रहस्य को प्रकट करने की प्रार्थना किया तब भगवान शिव ने बताया कि वैसे तो आप दोनों श्रेष्ठ है लेकिन आप सभी से श्रेष्ठ मैं परब्रह्म हूं जो आदि और अंत से रहित होकर अभी अग्नि स्तंभ के रूप में प्रकट हुआ हूँ तब भगवान विष्णु और ब्रह्माजी ने उस अग्नि स्तंभ की पूजा किया इसके पश्चात वह अग्नि स्तंभ एक दिव्य ज्योतिर्लिंग में परिवर्तित हो गई और जिस दिन यह घटना हुई थी वह दिन महाशिवरात्रि थी. भगवान विष्णु और ब्रह्माजी से पूजन कराने के बाद भगवान शिव ने यह वरदान दिया कि जो भी भक्त महाशिवरात्रि के दिन उनके लिंग स्वरूप की पूजा करेगा उसको साल भर की शिव उपासना फल की प्राप्ति होगी.
2) धार्मिक मान्यता है कि यह दिन शिव और शक्ति का मिलन का भी दिन है क्योंकि इसी दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था चुकी विवाह रात्रि के समय हुआ था यही कारण है कि महाशिवरात्रि के व्रत में रात्रि का विशेष महत्व होता हैं माना जाता है कि शिव और शक्ति के मिलन पर्व के रूप में महाशिवरात्रि को मनाया जाता है इसीलिए इस दिन भगवान शिव के साथ देवी पार्वती की पूजा करना भी अति आवश्यक होता हैं कहा जाता हैं कि इस दिन शिव पार्वती की पूजा करने से जहां सुहागन स्त्रियों को सौभाग्यशाली होने का आशीर्वाद मिलता है तो वहीं कुंवारी कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी मिलने का वरदान मिलता है.
3) वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार महाशिवरात्रि वह रात्रि जब सूर्य पृथ्वी की भूमध्य रेखा या फिर विषुवत रेखा की सीध में होते हैं जिनको ग्रँथों में विषुव कहा जाता हैं यह वही तिथि होती हैं जब समस्त पृथ्वी पर रात और दिन बराबर होते हैं इस खगोलीय अवस्था में पृथ्वी अपनी धुरी पर चक्कर लगाने से जो ऊर्जा उत्पन्न होती हैं वो नीचे के तरफ से ऊपर की ओर बढ़ती है जिसको अपकेंद्रीय बल कहते हैं. मानव शरीर भी इस ब्रह्मांड और पृथ्वी का ही एक हिस्सा है इसलिए अगर इस दिन अपने शरीर को सीधा रखा जाए जैसा कि योग मुद्रा में बैठा या फिर खड़ा रहा जाए तो शिव की ऊर्जा मिलती है इसीलिए महाशिवरात्रि के दिन सोने की मनाही होती हैं और लोग रात भर जागरण किया करते है क्योंकि मान्यता है कि व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए ना कि झुकी हुई जिससे कि ऊर्जा के इस प्रवाह का पूरा लाभ मिल सकें. ऊर्जा के इसी प्रवाह के कारण ही महाशिवरात्रि को जागृति और चेतना की रात्रि भी कहा जाता हैं.
4) शिवपुराण के अनुसार महाशिवरात्रि की मध्यरात्रि में निशीथ काल में भगवान शिव की पूजा और महामृत्युंजय मंत्र का जाप का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस रात जो भी भक्त मध्यरात्रि में शिव और शक्ति (शिवा) का अभिषेक दूध, दही, घी, मधु, गन्ने के रस और गंगाजल से करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जो भक्त शिवजी को अखंड चावल को अर्पित करता है उसको धन की प्राप्ति होती हैं.
5) महाशिवरात्रि वह महारात्रि है जिसका शिव तत्व से घनिष्ठ संबंध है यह पर्व शिव के दिव्य अवतरण का मंगल सूचक पर्व है और इसके निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि ही महाशिवरात्रि कहलाई जो भक्तों को काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि विकारों से मुक्त करके परम् सुख शांति और ऐश्वर्य को प्रदान करता है.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
महाशिवरात्रि कब मनाया जाता हैं ?
फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को.
साल में कुल कितनी शिवरात्रि पड़ती है?
बारह (12) शिवरात्रि.
भगवान शिव को ज्योतिर्लिंग के स्वरूप में सबसे पहले किसने पूजन किया है?
भगवान विष्णु और ब्रह्माजी ने.
भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह किस दिन हुआ है ?
महाशिवरात्रि के दिन.
भगवान शिव को अखंड चावल अर्पित करने से किस फल की प्राप्ति होती हैं ?
धन प्राप्ति.
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