Mystery of Ramayana and Mahabharata | धार्मिक नजरिया से पृथ्वी लोक को मृत्यु लोक भी कहा जाता है क्योंकि इस पृथ्वी पर जिसने भी जन्म लिया है वह एक न एक दिन मृत्यु को पाता है और इस पृथ्वी लोक से विदा होता है यह एक अटक सत्य है जिसे कोई नहीं बदल सकता लेकिन हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार रामायण और महाभारत के कुछ ऐसे पात्र हैं जो आज भी मौजूद हैं उनको चिरंजीव कहा जाता है क्योंकि उन्हें अमरता (immortal) का वरदान मिला था किंतु इनमें से कुछ को अपने अच्छे कर्मों के कारण अमर होने का वरदान मिला था तो वहीं कुछ ऐसे थे जिनको अपने कर्मों के कारण अमर होने का श्राप भोग रहें है.
Mystery of Ramayana and Mahabharata | रामायण और महाभारत के वे पात्र जिन्हें मिला अमर होने का वरदान :
1) भगवान परशुराम (Bhagwan Parshuram) :
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु के दस अवतारों में से भगवान परशुराम छठवां अवतार माना जाते हैं इनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. परशुरामजी का पहले वसु, वसुमान, विश्वावसु और राम नाम था लेकिन यह भगवान शंकर की अनंत व परम भक्त थे और उनको प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या किया था तब भगवान शंकर ने उनकी की तपस्या से प्रसन्न होकर उनका अपना फरसा दिया था यही वजह है कि वह राम से परशुराम कहलाएं. कहा जाता है कि इन्होंने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन कर दिया था मान्यता है कि परशुरामजी की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने इनको वरदान में अमरत्व का आशीर्वाद दिया है.
2) हनुमान जी (Hanuman ji) :
भगवान रुद्र के ग्यारहवें (11) अवतार और मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम के परम भक्त हनुमानजी को अमर होने का वरदान मिला है जिसके वजह से यह आज भी चिरंजीवी है. कहां जाता है कि जब हनुमान जी राम जी का संदेश लेकर अशोक वाटिका में माता सीता के पास पहुंचे थे तो माता सीता ने प्रसन्न होकर उन्हें अजर और अमर होने का आशीर्वाद दिया था और जब देवता स्वर्ग वापस लौट रहे थे तब श्री राम ने हनुमान जी से कहा था कि वह पृथ्वी पर रहे और यह सुनिश्चित करें कि पृथ्वी लोक पर सभी सकुशल है.
3) अश्वत्थामा (Ashwathama) :
अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र है और इनको अमरता वरदान के रूप में नहीं बल्कि एक श्राप के रूप में मिली थी. द्वापर युग में जब कौरव और पांडव का युद्ध हुआ था तब अश्वत्थामा ने कौरवों का साथ दिया था और अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए अश्वत्थामा ने पांडवों पुत्रों की हत्या किया. धर्म ग्रंथो के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने ही ब्रह्मास्त्र चलाने के कारण अश्वत्थामा के माथे पर लगी मणि ले ली और यह श्राप दिया था कि दुनिया के अंत तक तुम इसी घाव के साथ संसार में भटकते रहोगे इसी श्राप की वजह से अश्वत्थामा आज भी संसार में अपनी मुक्ति के लिए भटक रहा है.
4) वेद व्यास (Ved Vyaas) :
ऋषि वेदव्यास सत्यवती और ऋषि पराशर के पुत्र हैं और इन्होंने ही चारों वेद (ऋग्वेद, अथर्ववेद, सामवेद और यजुर्वेद), सभी 18 पुराणों, महाभारत और श्रीमद् भागवत गीता की रचना की है मान्यता है कि वेद व्यास को अमरता का वरदान इसलिए मिला था क्योंकि कलयुग में वह सही आचरण और व्यवहार का ज्ञान लोगों के बीच फैलाना चाहते थे.
5) ऋषि मार्कण्डेय (Rishi Markandeya) :
ऋषि मार्कंडेय भगवान शिव के परम भक्त थे और इन्होंने ही शिव जी की तपस्या करके उनको प्रसन्न किया और महामृत्युंजय मंत्र को सिद्धि किया और महामृत्यु मंत्र की सिद्धि से उन्होंने अपनी अल्पायु को भी टाल दिया मान्यता है कि महामृत्युंजय मंत्र का जाप मौत को दूर भगाने के लिए किया जाता है चुकी ऋषि मारकंडे ने इस मंत्र को सिद्ध किया था इसीलिए उन्हें युग-युगांतर के लिए चिरंजीवी होने का आशीर्वाद प्राप्त है.
6) राजा बलि (Raja Bali) :
राजा बलि भगवान विष्णु के परम भक्त और प्रहलाद के वंशज माने जाते हैं. एक बार राजा बलि ने देवताओं को परास्त करके इंद्रलोक पर अपना अधिकार कर लिया था तब राजा बलि के घमंड को चूर करने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी थी तब राजा बलि ने कहा जहां आपकी इच्छा हो तीन पैर रख दीजिए तब भगवान ने अपना विराट रूप धारण करके दो पगों में तीनों लोक नाप लिया और तीसरा पग बाली के सर पर रखा इस प्रकार भगवान वामन को अपना सब कुछ दान दे दिया. राजा बलि की इस दानशीलता से प्रसन्न होकर भगवान श्री हरि विष्णु ने उनका अपना द्वारपाल बनना स्वीकार किया था शास्त्रों के अनुसार राजा बलि आज भी जीवित है.
7) विभीषण (Vibhishana) :
राक्षस राजा रावण का छोटे भाई विभीषण हैं जो कि भगवान श्री राम के अनन्य भक्त भी हैं. जब रावण ने माता सीता का हरण किया था तब विभीषण ने रावण को श्री राम से शत्रुता न करने के लिए बहुत समझाया लेकिन इस बात से नाराज होकर रावण ने विभीषण को लंका से निकाल दिया था थे विभीषण श्री राम की सेवा में चले गए उनकी यही भक्ति के कारण भगवान श्री राम ने उनको अमरता का आशीर्वाद वरदान में दिया और साथ में भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद सोने की लंका भी विभीषण को दे दिया.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
किसने पृथ्वी को 21 बार क्षत्रिय विहीन किया है ?
परशुरामजी.
किसको श्राप में अमर होने का वरदान मिला है ?
अश्वत्थामा.
किस ऋषि ने चारों वेद और अठारह पुराणों की रचना की है ?
ऋषि वेदव्यास.
किसने महामृत्युंजय मंत्र को सिद्धि किया है ?
ऋषि मार्कण्डेय
भगवान विष्णु किसके द्वारपाल बने हैं ?
राजा बलि.
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