Mystery of Tirupati Balaji Mandir | दक्षिण भारत में स्थित भगवान तिरुपति बालाजी का मंदिर जो अपनी चमत्कार और रहस्यों से जाना जाता है. यह मंदिर भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में एक जो कि आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमला पर्वत पर स्थित है और तिरुपति बालाजी मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित हैं मान्यतानुसार तिरुपति बालाजी का वास्तविक नाम श्री वेंकटेश्वर स्वामी हैं और जो स्वयं भगवान विष्णु हैं इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि भगवान श्री वेंकटेश्वर अपनी पत्नी पद्मावती के साथ पर्वत तिरुमला में निवास करते हैं.
धार्मिक मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान वेंकटेश्वर के समक्ष प्रार्थना करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और भक्त अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने या फिर अपनी श्रद्धा के अनुसार इस मंदिर में अपने बाल को दान किया करते हैं. इस अलौकिक और चमत्कारिक मंदिर से जुड़े ऐसे रहस्य हैं जो आज भी अनसुलझी है जिसे वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाएं.
तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े रहस्य :
1) मूर्ति पर लगे बाल :
कहा जाता है कि मंदिर में विराजित भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर लगे बाल असली है जो कभी भी उलझते नहीं है और यह हमेशा मुलायम रहते है. मान्यता है कि ऐसा इसलिए है कि भगवान स्वयं यहां विराजते है.
2) भगवान की मूर्ति का स्थान :
मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश करते ही ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान श्री वेंकटेश्वर की मूर्ति गर्भ गृह के मध्य में स्थित है लेकिन जैसे ही गर्भ गृह के बाहर आने पर आश्चर्य होता है कि भगवान की मूर्ति दाई ओर स्थित है. इस चमत्कार को वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाएं कि यह महज भ्रम है या फिर भगवान का कोई चमत्कार हैं.
3) नीचे धोती और ऊपर साड़ी :
भगवान श्री वेंकटेश्वर की मूर्ति को रोजाना नीचे धोती और ऊपर साड़ी से सजाया जाता है धार्मिक मान्यता है कि भगवान के इस रूप में मां लक्ष्मी भी समाहित है इसी कारण से भगवान को पुरुष और स्त्री दोनों के वस्त्र पहनाने की परंपरा हैं.
4) गर्भ गृह का वातावरण :
मंदिर में विराजित भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति अलौकिक है.भगवान की मूर्ति एक विशेष पत्थर से बनी हुई है लेकिन यह पूर्ण रूप से जीवंत प्रतीत होता है मानो कि भगवान यहां स्वयं विराजमान हैं. गर्भ गृह का वातावरण बहुत ठंडा रखा गया है इसके बाबजूद भी भगवान बालाजी को गर्मी लगती है और उनके शरीर पर पसीनें की बूंदे को देखने के साथ ही उनके पीठ पर नमी भी रहती हैं.
5) पचाई कपूर :
भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति पर विशेष तरह का पचाई कपूर को लगाया जाता है और इस पचाई कपूर के बारे में वैज्ञानिक तत्व है कि पचाई कपूर को किसी भी तरह के पत्थर पर लगाएं जाएं तो कुछ समय के बाद ही चटक जाने से उसमें दरार पड़ जाती है लेकिन भगवान वेंकटेश्वर बालाजी की मूर्ति पर पचाई कपूर का कोई भी असर नहीं पड़ता हैं.
6) अद्भुत छड़ी का होना :
मंदिर में मुख्य द्वार के दरवाजे पर दाहिने ओर एक छड़ी है जिसको लेकर मान्यता है कि भगवान वेंकटेश्वर को बाल्यावस्था में इसी छड़ी से पिटाई की गई थी जिसके कारण से उनकी ठुड्ढी पर चोट लगी और तब से आज तक उनकी चोट लगी ठुड्ढी पर चंदन का लेप शुक्रवार को लगाया जाता है जिससे कि उनका घाव भर जाएं.
7) रहस्यमय दीपक :
भगवान वेंकटेश्वर बालाजी के मंदिर में एक दीपक सदैव जलता रहता हैं और हैरानी की बात है कि इस दीपक में न तो कभी घी डाला जाता और न ही तेल ही डाला जाता है और इससे भी आश्चर्य इस बात का है कि कोई भी जानता है कि सालों से जल रहे इस दीपक को सबसे पहले किसने और कब जलाया था.
8) पवित्र भोग सामग्री :
भगवान वेंकटेश्वर बालाजी मंदिर से 23 किमी दूर एक ऐसा गांव है जिसमें बाहरी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित होता हैं. इस गांव में रहने वाले बहुत ही नियम और संयम के साथ अपने जीवन को व्यतीत करते हैं. मान्यता है कि मंदिर में भगवान को चढ़ाने के लिए पुष्प, फल, दूध, दही और घी सब यहीं से आते हैं. इस गांव में महिलाएं सिले हुए वस्त्र को नहीं पहनती हैं.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) तिरुपति बालाजी मंदिर कहां पर स्थित हैं ?
आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमला पर्वत पर.
2) तिरुपति बालाजी मंदिर किस भगवान को समर्पित हैं ?
भगवान विष्णु.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.


