Papankusha Ekadashi Vrat Katha | सनातन धर्म में एकादशी का बहुत विशेष महत्व होता है. हर माह में दो एकादशी होती है एक शुक्ल पक्ष की दूसरी कृष्ण पक्ष की और सभी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती हैं इस सभी एकादशी में आश्विन मास की शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी पापांकुशा एकादशी कहलाती हैं. धार्मिक मान्यता हैं कि एकादशी व्रत रखने और भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलने के साथ ही मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती हैं. एकादशी के दिन व्रती को एकादशी व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए क्योंकि माना जाता है की व्रत कथा का पाठ करने से भगवान विष्णु की कृपा से सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं और ऐसे ही पापांकुशा एकादशी के दिन भी व्रत कथा को पढ़ना चाहिए लेकिन अगर पढ़ने में असमर्थ हैं तो किसी और के द्वारा भी सुना जा सकता है क्योंकि व्रत कथा के बिना पूजा को अधूरा माना जाता है.
Papankusha Ekadashi Vrat Katha | पापांकुशा एकादशी व्रत कथा :
पौराणिक कथा अनुसार प्राचीन समय में क्रोधन नामक एक शिकारी था जो कि विंध्य पर्वत पर रहता था उसने अपने जीवन काल में कई पाप किए यानी कि उसने अपना पूरा जीवन हिंसा लूटपाट मद्यपान और गलत संगति पाप कर्मों में ही गुजार दिया किंतु जैसे-जैसे उसकी मृत्यु का समय नजदीक आने लगा तो वह डरने लगा और एक दिन वह महर्षि अंगिरा के आश्रम गया वहां जाकर उसने महर्षि अंगिरा को प्रणाम करते हुए कहा – हे ऋषिवर ! मैंने अपने जीवन में हमेशा पाप कर्म किया है कृपा करके मुझे ऐसा कोई उपाय बताइए जिससे कि मुझे अपने पापों से मुक्ति मिल सके और साथ ही मोक्ष की भी प्राप्ति हो सके. तब महर्षि अंगिरा ने क्रोधन को पापांकुशा एकादशी व्रत करने को कहा और इसके साथ ही उन्होंने इस वक्त के महत्व के बारे में भी बताते हुए कहा – पापांकुशा एकादशी पापों का नाश करने वाली एकादशी कहलाती हैं, इस दिन जो कोई भी सच्चे मन और विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजन अर्चना करता है तो उसे मनवांछित फल की प्राप्ति होने के साथ ही उसे स्वर्ग की भी प्राप्ति होती है.
पापांकुशा एकादशी के महत्व को आगे बताते हुए महर्षि अंगिरा ने कहा – मनुष्य को कई साल तक कठोर तपस्या करने के बाद भी जो फल नहीं मिल पाता वह फल उसे भगवान विष्णु जी को नमन करने से प्राप्त हो जाता है. जो लोग अज्ञातवास पापों के लिए भगवान श्री हरि से माफी मांगते हैं तो वह नरक नहीं जाते हैं. भगवान विष्णु के नाम जब से संसार के सभी तीर्थ के पूर्ण का फल मिल जाता है जो कोई भगवान विष्णु की शरण में होता है उसे कभी भी यम यातना का सामना नहीं करना पड़ता है इसलिए इस एकादशी के बराबर कोई व्रत नहीं है धार्मिक मान्यता है कि जब तक व्यक्ति पापांकुशा एकादशी व्रत नहीं करता तब तक उसके शरीर में पाप निवास करता है.
महर्षि अंगिरा के कहेनुसार क्रोधन ने श्रद्धा भाव और विश्वास से इस व्रत को किया जिसके पुण्य प्रताप से उसके किए गए सारे पापों से मुक्ति मिलने के साथ ही इस वरी के पूजन के बल से मृत्यु के बाद वह भगवान की कृपा से विष्णु लोक को गया. इसके पश्चात पापांकुशा एकादशी व्रत रखने की शुरुआत हुई.
उम्मीद है कि आपके पापांकुशा एकादशी व्रत कथा को पढ़ना पसंद आया होगा तो इसे अधिक से अधिक शेयर करें और ऐसे ही अन्य एकादशी व्रत कथा को पढ़ने के लिए जुड़े madhuramhindi.com के साथ.
FAQ – सामान्य प्रश्न
1) पापांकुशा एकादशी क्या कहलाती हैं ?
पापों को नाश करने वाली.
2) पापांकुशा एकादशी व्रत कब रखा जाता हैं ?
आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.