Phulera Ka Mahatv | पति की दीर्घायु के लिए सुहागिन महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत रखती है और यह व्रत हिंदू धर्म में बहुत ही विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह व्रत निर्जला रखा जाता है जोकि बहुत कठिन होता है. हर साल यह हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है इस दिन व्रती महिलाएं बालू और मिट्टी का शिवलिंग बनाकर पूरे दिन और रात में पूजा करती है और अगले दिन व्रत खोलती है. हरतालिका तीज का व्रत जहां सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख – सौभाग्य की कामना के लिए रखती है तो वहीं कुंवारी कन्याएं भी मनचाहे वर को पाने के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करती हैं. हरतालिका तीज की पूजा में फुलेरा बांधने का विधान हैं जिसको भगवान शिव के ऊपर जलधाराओं के स्थान पर फुलेरा को बांधा जाता है और यह माता पार्वती को समर्पित किया जाता हैं.
What is Phulera? फुलेरा क्या होता है :
प्राकृतिक फूल – पत्तियां,जड़ी – बूटियों (जिसमें बिंजोरी, मौसम पुष्प, सात प्रकार की समी, निगरी, रांग पुष्प, देवअंतु, चरबेर, झानरपत्ती, लज्जाती, बिजिरिया, धतूरे का फूल, धतूरा, मदार, हिमरितुली, नवकंचनी, तिलपत्ती, शिलभिटई, शिवताई, चिलबिनिया, सागौर के फूल, नवबेलपत्र, हनुमंत सिंदूरी, वनस्तोगी) और बांस की बंच को फुलेरा कहा जाता हैं. फुलेरा बांस की पतली लकड़ियों को छीलकर बनाया जाता है और इसको बनाने के लिए कटर , टेप, रेशम धागा, कैची, रेजमाल की जरूरत होती हैं. फुलेरा को बनाने में कई घण्टे लग जाते है जिसकी लंबाई सात (7) फुट होने के साथ इसको विभिन्न रंगों के फूलों का इस्तेमाल करके सुंदर से सुंदर बनाया जाता हैं.
Importance of tying Phulera on Hartalika Teej | हरतालिका तीज पर फुलेरा बांधने के महत्व :
हरतालिका तीज को कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. हरतालिका तीज के पूजन में भगवान शिव के ऊपर जलाधारी के स्थान फुलेरा को बांधा जाता है मान्यता है कि यह भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है यही कारण है कि हरतालिका तीज में इसका विशेष महत्व होता हैं. फुलेरा में पांच फूलों की माला का होना आवश्यक होता हैं और माना जाता है कि फुलेरा में बांधी जाने वाली पांच फूलों की मालाएं भगवान शिव की पांच पुत्रियों जया, विषहरा, शामिलबारी, देव और दोतली का प्रतीक हैं.
Phulera on Hartalika Teej | हरतालिका तीज में फुलेरा के दर्शन की महत्ता :
शिवमहापुराण के अनुसार जिस कन्या की शादी में विलंब हो रही हो या किसी कारण वश विवाह तय नहीं हो रही हैं तो अगर तीज वाले दिन किसी भी सात (7) फुलेरे का दर्शन कर लें तो उसकी जल्द ही शादी पक्की हो जाती हैं और अगर किसी स्त्री का पति किसी रोग से ग्रसित रहता हो तो वो स्त्री तीज के दिन सात (7) फुलेरे का दर्शन कर ले तो वो अखंड सौभाग्यवती हो जाती हैं.
Who observed Hartalika Teej fast first? सबसे पहले किसने किया हरतालिका तीज का व्रत :
मान्यताओं के अनुसार हरितालिका तीज का व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने किया था. माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए अन्न व जल त्याग करके कठिन तपस्या किया था और उनके इस कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने माता पार्वती को दर्शन दिए और उनकी इच्छानुसार उनको पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. कहा जाता हैं कि इस दिन जो भी महिलाएं व्रत रखती हैं तो उनको भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होने के साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) हरतालिका तीज में क्या बांधा जाता हैं ?
फुलेरा.
2) फुलेरा क्या होता है ?
प्राकृतिक फूल – पत्तियों, जड़ी – बूटियों और बांस के बंच को फुलेरा कहा जाता हैं.
3) भगवान शिव की पांच पुत्रियों का क्या नाम है ?
जया, विषहरा, शामिलबारी, देव और दोतली.
4) फुलेरा किस को समर्पित होता है ?
भगवान शिव और माता पार्वती.
5) हरतालिका तीज कब मनाया जाता हैं ?
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.