Vijaya Ekadashi Vrat Katha | विजया एकादशी हर साल फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है. पद्मपुराण में भगवान श्रीकृष्ण ने ज्येष्ठ पांडु पुत्र युधिष्ठिर को बताया कि यह विजया एकादशी अपने नाम के अनुसार बहुत ही कल्याणकारी और विजय दिलाने वाली एकादशी है. मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से सभी कार्यों में विजय प्राप्त होने के साथ ही कार्यों मे आ रही बाधाएं समाप्त हो जाया करती हैं. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा किया जाता है और व्रत कथा का श्रवण किया जाता हैं माना गया है कि विजया एकादशी के दिन इस कथा के श्रवण करने या पढ़ने से सभी पाप से मुक्ति मिलने के साथ ही वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है.
Vijaya Ekadashi Vrat Katha | विजया एकादशी व्रत कथा :
एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से विजया एकादशी व्रत और उसके विधि के बारे में जानना चाहा तब भगवान श्रीकृष्ण ने बताया कि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी विजया एकादशी कहलाती हैं. उन्होंने विजया एकादशी व्रत कथा को सुनाते हुए कहा कि एक बार नारदजी अपने पिता ब्रह्माजी से फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी के बारे में पूछा तब ब्रह्माजी ने कहा कि उन्होंने इस व्रत के विधान को कभी भी किसी से नहीं कहा है. विजया एकादशी व्रत सभी पापों का नाश करती हैं और मनुष्यों को विजय दिलाती है यह व्रत सभी व्रतों में उत्तम व्रत हैं.
ब्रह्माजी ने इस व्रत कथा को कहा कि त्रेतायुग में भगवान श्रीराम को चौदह (14) साल का वनवास हुआ और वनवास के दौरान ही सीता का हरण हुआ जिससे राम और लक्ष्मण परेशान हो गए. जब हनुमान ने सीता जी का पता लगाया और फिर श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और वानर सेना को लेकर समुंद्र तट पर आए और विशाल समुंद्र को पार करने की युक्ति सोचने लगे जब बहुत विचार करने के बाद कोई युक्ति नहीं सूझी तब लक्ष्मण ने श्रीराम से बोले कि – हे प्रभु ! यहां से कुछ दूरी पर वकदालभ्य ऋषि रहते हैं, आप उनके पास जाए और समुंद्र पार करने के उपाय पूछे. उस महात्मा ऋषि के पास इस समस्या का समाधान अवश्य होगा.
लक्ष्मण के बातों को सुनकर श्रीराम वकदालभ्य ऋषि के पास गए और उनको प्रणाम करके लंका विजय के लिए समुंद्र पार करने का उपाय को पूछा इस पर ऋषि वकदालभ्य ने श्रीराम को कहा – कि आपको विजया एकादशी व्रत विधि विधान से करना चाहिए इस व्रत को करने से आपको अवश्य ही अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी और आप वानर सेना के साथ समुंद्र पार कर लेंगे. वकदालभ्य ऋषि ने श्रीराम को विजया एकादशी व्रत की पूरी विधि को बताते हुए कहा कि – आपको अपने सेनापतियों के साथ इस व्रत को विधि विधान से करना होगा जिसके फलस्वरूप आपको विजय अवश्य प्राप्त होगी.
तब श्रीराम ने वकदालभ्य ऋषि के अनुसार बताये विजया एकादशी व्रत को अपने सेनापतियों के साथ विधि विधान से किया और इस व्रत के प्रभाव से वानर सेना समुंद्र पार कर गई और श्रीराम ने लंका पर विजय भी मिली. श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को आगे बताते हुए कहा कि हे धर्मराज जो व्यक्ति इस विजया एकादशी व्रत को करता है उसको अपने लक्ष्य में सफलता मिलती हैं, शत्रुओं पर विजय प्राप्त होता हैं और जो भी व्यक्ति इस व्रत के महात्म्य सुनाता है उसे भी वाजपेय यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
विजया एकादशी व्रत कब मनाई जाती हैं ?
फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि.
विजया एकादशी व्रत कथा करने से किस फल की प्राप्ति होती हैं ?
वाजपेय यज्ञ के समान फल.
विजया एकादशी व्रत करने को श्रीराम को किसने कहा था ?
वकदालभ्य ऋषि ने.
विजया एकादशी व्रत से किससे विजय की प्राप्ति होती हैं ?
शत्रुओं से.
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