Geeta Updesh | श्रीमद्भगवद्गीता को हिंदुओं का दिव्य ग्रँथ कहा जाता हैं जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के उन उपदेशों का उल्लेख है जिसको उन्होंने कुरुक्षेत्र में महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन को उस समय दिया था जब युद्ध मैदान पर अपनों को देखकर अर्जुन का मन विचलित हो गया था. भगवान श्रीकृष्ण ने गीता उपदेश में जीवन, कर्म, धर्म, योग और भक्ति के बारे में बताया है. कहा जाता हैं कि जो भी व्यक्ति गीता के उपदेशों को अच्छी तरह से पढ़ कर और समझ कर जीवन में अनुसरण करता है वह कभी भी सद्मार्ग से भयकता नहीं है. श्रीमद्भगवद्गीता में जीवन के हर तरह की बातों का जिक्र किया गया है जिसमें निजी रिश्ते और संबंध भी शामिल हैं. संसार में कई ऐसे लोग होते हैं जो रिश्ते की कद्र नहीं करते जिसका परिणाम जीवन के अंतिम समय मे देखने को मिलता है और तब मनुष्य के पास आंसू बहाने के सिवाय कुछ नहीं रहता है इसलिए अगर व्यक्ति रिश्ते को लेकर सजग रहना चाहते हैं और इस तरह के अनुभव से खुद को बचाना चाहते हैं तो गीता में उल्लेख इन उपदेशों को अवश्य याद रखना चाहिए जिससे कि रिश्ते को उलझनों से बचाएं जा सके.
गीता के उपदेश जिससे कि रिश्तों में कभी भी उलझन नहीं आएगी :
1) श्रीमद्भगवद्गीता में उल्लेख किया गया है कि मनुष्य को धर्म और कर्त्तव्य का खास ध्यान रखना चाहिए. माता – पिता, भाई – बहन, पत्नी और दोस्त जीवन में चाहें जो भी रिश्ते हो उनकी जिम्मेदारियों को अच्छे तरीके से निभाना चाहिए क्योंकि जो व्यक्ति अपने धर्म और कर्त्तव्य को भलीभांति समझता है वह रिश्ते में कभी भी उलझता नहीं है.
2) भगवान श्रीकृष्ण गीता उपदेश के द्वारा बताया है कि इंसान इस संसार का आनंद और सुख उस समय भोग सकता है जब वह वैरागी हो. वैरागी का अर्थ यहां बिल्कुल भी यह नहीं है कि मनुष्य सारे रिश्ते – नाते सबको तोड़कर वैराग्य धारण कर लें बल्कि इसका अर्थ यह है कि मनुष्य को रिश्तों के मोह और आसक्ति में पड़ना नही चाहिए क्योंकि जो मनुष्य रिश्ते के मोह में उलझा रहता है वह किसी भी रिश्ते और संसार का खुलकर आनंद प्राप्त नहीं कर सकता हैं.
3) श्रीमद्भगवद्गीता में लिखा है कि इंसान को ख़ुद का अवलोकन करना आवश्यक है क्योंकि आत्मबोध और आत्म साक्षात्कार से ही अपने आपको अच्छे से समझा जा सकता हैं तो ऐसे में सबसे महत्वपूर्ण बात कि खुद की कमजोरियों, शक्तियों और इच्छाओं के बारे में समझना होगा और अगर मनुष्य खुद के बारे में अच्छी तरह से जान ले तो किसी अन्य व्यक्ति के साथ स्वस्थ संबंध का निर्माण सरल हो जाएगा.
4) भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जिस तरह मनुष्य दूसरे से इज्जत और सम्मान प्राप्त करने की आशा रखता है उसी तरह दूसरों का भी सम्मान करना चाहिए. जो व्यक्ति छोटे – बड़े में अंतर नहीं करता है, सभी के साथ प्रेम स्नेह रखता है श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार इस तरह का मनुष्य रिश्तों में कभी नही उलझता है क्योंकि मनुष्य की यही समझ रिश्तों में सहानुभूति, सहनशीलता और करुणा पैदा करती हैं.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) श्रीमद्भगवद्गीता में किनके द्वारा गीता उपदेश दिया गया है ?
भगवान श्रीकृष्ण.
2) भगवान श्रीकृष्ण ने किसको गीता उपदेश दिया है ?
कुंती पुत्र अर्जुन को.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.