Geeta Updesh | श्रीमद्भगवद्गीता को हिंदुओं का दिव्य ग्रँथ कहा जाता हैं और इस ग्रँथ में भगवान श्रीकृष्ण के उन उपदेशों का उल्लेख किया गया है जो उन्होंने कुरुक्षेत्र युद्ध भूमि पर महाभारत के समय अर्जुन को उस समय दिया था जब युद्ध शुरू होने से पहले रणभूमि पर अर्जुन का मन डगमगाने लगा था. भगवान श्रीकृष्ण उस समय अर्जुन को केवल श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान ही नही दिया बल्कि उनको अपने विराट स्वरूप का ही दर्शन कराया जिसके पश्चात अर्जुन युद्ध लड़ने को तैयार हुए. भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा दिए गए गीता का उपदेश द्वापर युग में जितना प्रासंगिक हुआ उतना ही कलयुग में भी प्रासंगिक हैं. कहा जाता हैं कि जब मन हताश और निराशा से भर जाएं और मन दुखी रहने लगे तो श्रीमद्भगवद्गीता को पढ़ने को कहा जाता हैं.
श्रीमद्भगवद्गीता के इन गीता उपदेश में छिपा हुआ है सुखी जीवन का राज
1) काम एवं क्रोध से बचकर रहना :
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि व्यक्ति को सदैव काम, क्रोध और लोभ से बचना चाहिए क्योंकि यह तीनों नरक के द्वार को खोलने का कार्य करते हैं तो ऐसे में मनुष्य को जितना हो सकें इन सब से बचना चाहिए अन्यथा मनुष्य का जीवन बर्बाद हो जाएगा.
2) निःस्वार्थ भाव से कार्य करना चाहिए :
श्रीमद्भगवद्गीता में बताया गया है कि मनुष्य को कोई भी कार्य निःस्वार्थ भाव से करना चाहिए क्योंकि जो व्यक्ति बिना किसी लालच के कार्य करता है वह अपने जीवन में हर मनकामनाओं को प्राप्त करता है अर्थात निःस्वार्थ भाव से कार्य करने से मनुष्य का मन कभी भी और कहीं भी नहीं भटकता हैं.
3) चिंता करने से बचना चाहिए :
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि चिंता, चिता के समान होता है. जो लोग सदैव चिंता करते रहते हैं वह कभी भी सुखी नहीं रह सकता है इसलिए हर मनुष्य को चिंता से बच कर रहना चाहिए और अपना कार्य मनुष्य को चिंतामुक्त होकर करते रहना चाहिए.
4) सकारात्मक सोच से आगे बढ़ते रहना चाहिए :
श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार इंसान को सदैव सकारात्मक सोच रखनी चाहिए क्योंकि सकारात्मक सोच के साथ ही मनुष्य आगे बढ़ सकता है जिससे कि मनुष्य का मन हताश और निराश नही रहता है इसके साथ ही सकारात्मक सोच के साथ बढ़ते रहने से मनुष्य का मस्तिष्क सदैव शांत भी रहता है.
5) अनुशासित होकर जीवन जीना चाहिए :
भगवान श्रीकृष्ण गीता के उपदेशों में कहते हैं कि मनुष्य को अनुशासन में रहकर ही जीवन व्यतीत करने चाहिए क्योंकि जो मनुष्य अपनी दिनचर्या और खानपान को संतुलित रखता है उसको शारिरिक परेशानी कभी भी नही होती हैं और ऐसे मनुष्य को हर मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) हिंदुओं का दिव्य ग्रँथ किसे कहा जाता हैं ?
श्रीमद्भगवद्गीता को.
2) श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश किसने दिया है ?
भगवान श्रीकृष्ण ने .
3) भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश किसको दिया है ?
पांडु पुत्र अर्जुन को.
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