Vastu Tips | वास्तु शास्त्र वह गूढ़ विद्या हैं जो केवल घर खरीदते समय या फिर भवन निर्माण नहीं बल्कि जीवन की ऊर्जा को भी संतुलित करने का माध्यम है मान्यता है कि हर दिशा और स्थान में खास तरह की ऊर्जा होती हैं और अगर इन ऊर्जाओं को उचित तरीके से व्यवस्थित किया जाएं तो जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि का आगमन होने लगता हैं. वास्तु में घर के हर एक हिस्से में सकारात्मकता और खुशहाली लाने के लिए कुछ नियमों और उपाय को बताया गया है और ऐसे ही वास्तु में घर के आंगन (ghar ke aangan) से जुड़े कई नियमों को बताएं गए हैं क्योंकि अगर आंगन बनाते समय कुछ नियमों का पालन किया जाएं तो घर में सुख – शांति बनाएं रखने के साथ ही घर में धन और वैभव का भी आगमन होता हैं.
जानते हैं आंगन का निर्माण करते समय किन नियमों का ध्यान रखना चाहिए :
1) वास्तु के अनुसार घर के बीचों बीच आंगन को इस प्रकार से बनाने चाहिए कि घर के कमरे के साथ बाकी जगह इनके चारों ओर बनाएं लेकिन यह ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि आंगन में सूरज की रोशनी आती रहें.
2) वास्तु के अनुसार घर के आंगन के देवता स्वयं ब्रह्माजी होते हैं ऐसे में आंगन को सदैव साफ, समतल और पवित्र रखना चाहिए इसलिए घर के आंगन में कोई भी गड्ढा या फिर कीचड़ नहीं होना चाहिए मान्यता है कि आंगन में गड्ढा या कीचड़ होना अशुभ होता हैं क्योंकि यह न केवल अशुभ ऊर्जा को आकर्षित करता है बल्कि ब्रह्माजी की कृपा और आशीर्वाद से भी मनुष्य दूर हो जाता हैं.
3) आंगन अगर घर के बीचों – बीच में बन रहा हो तो वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा में पूजा घर और दक्षिण – पूर्व दिशा में रसोईघर होना चाहिए माना जाता है कि इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता हैं.
4) वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के आंगन में या फिर घर के मुख्य द्वार के सामने कोई भी खम्बा या फिर बड़ा पेड़ होना अशुभ माना जाता हैं क्योंकि यह बाधाएं सकारात्मक ऊर्जा के संचार में रुकावट उत्पन्न करती हैं जिससे कि आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है.
5) वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय या फिर स्नानघर को आंगन में नहीं बनाना चाहिए माना जाता है कि इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है इसके अलावा आंगन को सदैव साफ और स्वच्छ रखना चाहिए जिससे कि नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं हो सकें.
6) वर्तमान समय में स्थान की कमी की वजह से आंगन को घर के एक कोने में बनाया जाता हैं तो ऐसे में वास्तु के अनुसार पूर्व दिशा आंगन के लिए सबसे उचित होती हैं क्योंकि पूर्व दिशा सूर्योदय की दिशा होती हैं और ऐसे इस दिशा में आंगन होने से घर में सूरज की रोशनी का आगमन होने से वातावरण में शुद्धता होने के साथ ही सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह भी होता हैं.
घर का विशेष और महत्वपूर्ण स्थान आंगन को माना जाता है इसलिए इसे वास्तु के नियमों के अनुसार बनाने चाहिए जिससे कि घर में सुख – समृद्धि और धन – वैभव का आगमन होता रहें.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) घर के आंगन के देवता कौन कहलाते हैं ?
ब्रह्माजी.
2) वास्तु के अनुसार आंगन के उत्तर में क्या होना चाहिए ?
पूजा घर.
3) घर के आंगन में खम्बा होना कैसा होता हैं ?
अशुभ.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.