Durga Saptashati Path | जानते हैं कि दुर्गा सप्तशती क्या है? जानेंगे इसमें कितने अध्याय हैं और उन अध्यायों की क्या महत्व है.

Durga Saptashati Path | हिन्दू धर्म में नवरात्रि का पर्व बहुत ही पवित्र और पावन माना गया है और साल में पड़ने वाली दोनों नवरात्रि चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में पूजा की विधि, नियमों, मंत्र पाठ आदि का विशेष महत्व होता हैं. नवरात्रि के 09 दिन भगवती दुर्गा माता की पूजा और जप तप के लिए बहुत ही शुभ माने जाते हैं और इन नौ दिनों में लोग अलग तरीके से दुर्गा माता को प्रसन्न करने की चेष्टा किया करते हैं जिससे माता रानी की कृपा व आशीर्वाद मिल सकें.

नवरात्रि में कई भक्त दुर्गा सप्तशती का पाठ किया करते हैं ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि के 09 दिन शक्ति की साधना के लिए बहुत की फलदायक कहे जाने वाले दुर्गा सप्तशती का पाठ कोई साधक या कोई भक्त करता है तो उसके जीवन से जुड़ी बड़ी से बड़ी मनोकामनाएं जल्द ही पूर्ण हो जाती हैं. शक्ति की साधना का पुण्यफल पाने का सबसे उत्तम माध्यम दुर्गा सप्तशती को माना गया है जिसका विश्वास और श्रद्धा के साथ पाठ करने से भक्त को भगवती दुर्गा माँ की विशेष कृपा प्राप्त होने के साथ ही दैहिक, दैविक और भौतिक तीनों प्रकार के पाप दूर हो जाते हैं.

Durga Saptashati Path | जानते है कि दुर्गा सप्तशती क्या है :

श्री दुर्गा सप्तशती में 700 श्लोक होने के कारण ही इसका नाम दुर्गा सप्तशती पड़ा. मान्यता है कि दुर्गा सप्तशती मार्कण्डेय पुराण का एक भाग हैं कहा जाता है कि ये मार्कण्डेय और ब्रह्मा जी के बीच देवी माँ की महिमा पर हुई ज्ञान से जुड़ी वार्तालाप है.दुर्गा सप्तशती के तीन (3) भाग में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती नाम से चरित्र हैं. यह दुर्गा सप्तशती देविमाहात्म्य है जिसका  शाब्दिक अर्थ है देवी की महानता का वर्णन.

Durga Saptashati Path | जानते हैं कि दुर्गा सप्तशती में कितने अध्याय हैं :

श्री दुर्गा सप्तशती में 13 अध्याय है जिसको तीन चरित्र में बांटा गया है. प्रथम चरित्र जिसमें मधु कैटभ वध की कथा है, मध्यम चरित्र में महिषासुर की सेना सहित के वध की कथा और उत्तम चरित्र में शुम्भ निशुम्भ वध और सूरथ व वैश्य को मिले देवी के वरदान की कथा है.

Durga Saptashati Path | जानते हैं दुर्गा सप्तशती के अलग अलग अध्याय के महत्व और फल को : –

1) पहला अध्याय का फल : –

दुर्गा सप्तशती के पहले अध्याय के पाठ करने पर दुर्गा माता की कृपा से भक्त (साधक) को  सभी मानसिक चिंताओं से मुक्ति मिलती हैं और वह अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है.

2) दूसरे अध्याय का फल : –

मान्यता है कि माँ भगवती की पूजा में दुर्गा सप्तशती के दूसरे अध्याय के पाठ करने से साधक को कोर्ट कचहरी में चल रही मुकदमे और अदालत से जुड़ी परेशानियां दूर होती हैं इसके साथ ही भक्त को भूमि भवन से जुड़े मामलों में सफलता मिलती हैं.

3) तीसरे अध्याय का फल : –

दुर्गा सप्तशती के तीसरे अध्याय को पढ़ने से साधक को जाने अनजाने शत्रुओं से छुटकारा मिलने के साथ ही दुश्मनों का नाश होता है और जीवन से जुड़े सभी प्रकार के विवाद भी दूर होते हैं.

4) चौथे अध्याय का फल : –

हिन्दू मान्यता के अनुसार चौथे अध्याय का पाठ करने से साधक को माँ भगवती के दर्शन का सौभाग्य मिलता है और अगर साधक को साधना के मार्ग में कोई बाधा आ रही हो तो बाधा को दूर करने के लिए दुर्गा सप्तशती के चौथे अध्याय का पाठ विशेष रूप से करना चाहिए.

5) पांचवे अध्याय का फल : –

दुर्गा सप्तशती के पांचवे अध्याय का पाठ करने से आस पास की उस नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है जिसके वजह से साधक को कठिन तप और जप करने से उसकी साधना सफल नहीं हो पाती है इसके साथ ही इन अध्याय का पाठ करने से मनोकामना जल्द ही पूर्ण हो जाती हैं.

6) छठवें अध्याय का फल : –

माँ भगवती की पूजा में दुर्गा सप्तशती के छठवें अध्याय के पाठ करने से साधक के मन में असफलता को लेकर मन में जो भय बना रहता हो या फिर बनते बनते काम में अड़ंगा आ जाए तो ऐसी परेशानियों से मुक्ति मिलती है इसके अलावा इस पाठ के करने से दुख, डर और दरिद्रता भी दूर हो जाते हैं.

7) सातवें अध्याय का फल : –

मान्यता है कि अगर किसी का बुरा सोचे बगैर दुर्गा सप्तशती के सातवें अध्याय का पाठ किया जाए तो माँ भगवती बड़ी से बड़ी मनोकामनाएं पूर्ण होने का फल देती हैं.

8) आठवें अध्याय का फल : –

माँ भगवती की साधना में दुर्गा सप्तशती के आठवें अध्याय के पाठ करने से जो मनुष्य राह भटक गया हो वो जल्द ही सीधे रास्ते पर लौट आकर अपनी खुद की भलाई की बात कोजानने और मानने लगता है इसके अलावा दुर्गा सप्तशती का यह अध्याय किसी से मित्रता करने और किसी को अपने वश में करने के लिए भी किया जाता है.

9) नौवां अध्याय का फल : –

हिन्दू मान्यता है कि दुर्गा सप्तशती का नौवां अध्याय संतान सुख और खोई हुई चीज को पाने के लिए सच्चे मन से इस अध्याय का पाठ करना बहुत फलदायक होता है इसके अलावा इस अध्याय का पाठ करने से खोया हुआ व्यक्ति जल्दी मिल जाता हैं.

10) दसवां अध्याय का फल : –

धार्मिक मान्यता है कि माँ भगवती की पूजा में दुर्गा सप्तशती के दसवें अध्याय का पाठ करने से जो बच्चे बड़े का कहना नहीं मानते वो अपने से बड़ों की बात मानने लगते हैं और बिगड़े बच्चे सुधर जाते हैं.

11) ग्यारहवें अध्याय का फल : – 

दुर्गा सप्तशती के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करने से व्यक्ति को भौतिक सुख – सुविधाओं की प्राप्ति होने के साथ ही करियर व कारोबार में मनचाही सफलतामिलती हैं.

12) बारहवें अध्याय का फल : –

हिन्दू मान्यता के अनुसार माँ दुर्गा की पूजा में दुर्गा सप्तशती के बारहवें अध्याय का पाठ करने से व्यक्ति में लगे झूठे आरोप दूर हो जाती है और उसका मान सम्मान समाज में बढ़ जाता है.

13) तेरहवें अध्याय का फल : –

हिन्दू मान्यता के अनुसार दुर्गा सप्तशती के अंतिम या फिर तेरहवें अध्याय का पाठ करने पर माँ भगवती की कृपा से साधक को शक्ति की भक्ति का परम सुख मिलने के साथ ही मोक्ष का फल देता है.


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FAQ – सामान्य प्रश्न

दुर्गा सप्तशती में कितने श्लोक हैं ?

700 श्लोक

दुर्गा सप्तशती में कुल कितने अध्याय  हैं ?

13 अध्याय

दुर्गा सप्तशती के अध्यायों को कितने चरित्र में बांटा गया ?

तीन चरित्र जो हैं प्रथम चरित्र ,मध्यम चरित्र और उत्तम चरित्र.

दुर्गा सप्तशती के किस अध्याय के पाठ करने से शत्रुओं से छुटकारा मिलता है ?

तीसरा अध्याय

दुर्गा सप्तशती के अंतिम अध्याय का पाठ करने से क्या फल मिलता है ?

मोक्ष का फल


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