Lord Shiva’s drumming | सनातन धर्म में भगवान शिव जी को वेदों और पुराणों में संहारकर्ता बताया गया है लेकिन शिव का नटराज का स्वरूप इसके विपरीत होता हैं क्योंकि जब नटराज प्रसन्न होते हैं तो वे नृत्य करते हैं और उस समय उनके हाथों में एक वाद्ययंत्र होता है जिसे डमरू कहते हैं. डमरू का आकार रेत घड़ी जैसा होता हैं जो कि दिन रात और समय के संतुलन का प्रतीक होता हैं ऐसे ही भगवान शिव है जिनका एक रूप वैरागी तो दूसरा भोगी रूप का हैं जो नृत्य करते हैं परिवार के साथ जीते हैं.
मान्यता है कि जब सृष्टि के आरंभ में देवी सरस्वती प्रकट हुई तब सरस्वती ने अपनी वीणा के स्वर से सृष्टि में ध्वनि का संचार किया किन्तु इस ध्वनि में न तो सुर था और न ही संगीत था. सृष्टि के आरंभ से प्रसन्न होकर शिव जी ने जैसे ही नृत्य करना शुरू किया और 14 बार डमरू बजाया और उसी समय डमरू की ध्वनि से व्याकरण और संगीत के छन्द व ताल का जन्म हुआ था. माना जाता हैं कि सृष्टि में संतुलन बनाये रखने की खातिर भगवान शिव अपने हाथ में हमेशा डमरू रखते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक बार इंद्र देव ने बंद करा दिया था भगवान शिव का डमरू बजाना.
Why did Indra stop Lord Shiva’s drumming? जानते हैं आखिर क्यों देव इंद्र ने बंद करा दिया भगवान शिव का डमरू बजाना.
धार्मिक कथानुसार एक बार देव इंद्र किसी कारण की वजह से पृथ्वी वासियों से नाराज हो गए और उसी नारजगी में उन्होंने ये कह दिया कि आने वाले 12 सालों तक वर्षा नही होनी है. इनकी इस घोषणा से किसी ने इंद्र देव से पूछा कि क्या वाकई में 12 साल तक वर्षा नहीं होगी. इस पर इंद्र ने कहा – ” बिल्कुल 12 वर्ष तक वर्षा नहीं होगी किन्तु अगर भगवान शिव कहीं भी डमरू बजा दें तो वर्षा हो जाएगी “.
इसके पश्चात इंद्र ने जाकर भगवान शिव (Lord Shiv) से प्रार्थना किया कि “भगवान आप 12 वर्षों तक डमरू ना बजाएं ” इंद्र को आश्वासन देते हुए भगवान शिव जी ने डमरू बजाना बंद कर दिया. इस तरह से 3 साल जो गए, पानी की एक बूंद नहीं गिरा सभी जगह अकाल होने लगी त्राहि त्राहि मचने लगा.
एक बार भगवान शिव और माता पार्वती कहीं जा रहे थे तो उन्होंने देखा कि एक किसान हल बैल लिए खेत को जोट रहा है. उन दोनों को बहुत ही आश्चर्य हुआ और वे दोनों किसान के नजदीक गए और कहने लगे कि ” क्यों भाई आपको जब जानकारी है कि आने वाले 9 सालों तक वर्षा नही होगी तो तुम खेत में हल बैल को क्यों जोत रहे हैं ” इस बात पर किसान ने कहा ” वर्षा का होना ना होना मेरे हाथ में नहीं है किंतु अगर मैंने हल चलना छोड़ दिया तो कुछ सालों बाद न तो मुझे और ना ही मेरे बैलों को हल चलाने का अभ्यास रहेगा, हल चलाने का अभ्यास मुझे और मेरे बैलों का बना रहे इसलिए हल चला रहा हूँ “.
किसान की बातें सुनकर माता पार्वती ने भगवान शिवजी से कहा कि स्वामी आपने भी 3 वर्ष से डमरू नहीं बजाया और अभी 9 वर्षों तक नहीं बजाना हैं, कहीं आप भी तो डमरू बजाने का अभ्यास भूल न जाएं. पार्वती माता की इस बात से शिवजी सोच में पड़ गए और सोचने लगे कि बात तो सही है इसलिए एक बार डमरू बजाकर देख लिया जाएं यह सोचकर भगवान शिव ने डमरू बजाकर देखने लगे. उनका डमरू बजा ही कि पानी झर झर कर बरसने लगा.
उम्मीद है आपको भगवान शंकर से जुड़े हुए रहस्य को पढ़ना पसंद आया होगा इसे आप अपने परिवार और दोस्तों को शेयर करें और ऐसे ही सनातन धर्म से जुड़े रहस्य को पढ़ने के लिए जुड़े रहें madhuramhindi.com के साथ.
FAQ – सामान्य प्रश्न
सृष्टि के आरंभ होने पर भगवान शिव ने कितनी बार डमरू बजाया ?
14 बार
डमरू की ध्वनि से क्या उत्पन्न हुआ ?
व्याकरण और संगीत के छन्द व ताल
शिवजी को किसने डमरू बजाने को मना किया था ?
इंद्र देव
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.