Geeta Gyan | भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था जो कि इस संसार के लिए बहुत बड़ा वरदान है. जो मनुष्य गीता के उपदेशों का अनुसरण करते हैं उनको कभी भी संसारिक जीवन के सुख – दुःख और लाभ – हानि प्रभावित नहीं करते हैं. माना जाता है कि गीता के उपदेशों का अध्ययन और अपने जीवन में इनका पालन करने से मनुष्य का जीवन बदल भी सकता है, लेकिन गीता के उपदेश देने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को ही क्यों चुना जबकि अर्जुन के बड़े भाई युधिष्ठिर धर्मराज थे फिर भी उनको यह सुअवसर नहीं मिला था.
भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता के उपदेश देते समय उसको न केवल अपना विराट स्वरूप ही नहीं दिया बल्कि स्वयं अपने मुख से गाकर यह अनमोल ज्ञान भी दिया यही कारण है कि वर्तमान समय में जब भी गीता के उपदेशों का जिक्र होता है तो भगवान श्रीकृष्ण के साथ अर्जुन (Arjun) का भी उल्लेख होता है.
आखिर क्यों भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को ही दिया था गीता का ज्ञान :
अर्जुन को गीता का ज्ञान देने के कई कारण थे जैसे कि :
1) अर्जुन की मोह – ग्रस्त स्थिति का होना :
महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक अर्जुन थे जिनके सामने कर्तव्य और भावनाओं के बीच युद्ध था. युद्ध भूमि पर जब अर्जुन अपने ही संगे संबंधियों, गुरुओं और मित्रों के विरूद्ध युद्ध लड़ने के लिए खुद को खड़ा पाया तो वह मानसिक रूप से मोह – ग्रस्त होने लगा और वह अपने ही परिजनों के साथ युद्ध करने से विचलित होने लगा उनकी इस असमंजस से उन्हें गहन ज्ञान के लिए योग्य बनाया. भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को इसलिए चुना क्योंकि अर्जुन का आंतरिक संघर्ष प्रत्येक मनुष्य के जीवन में आने वाली समस्याओं और सवालों का दर्पण था.
2) अर्जुन का भगवान श्रीकृष्ण के प्रति समर्पित होना :
गीता का ज्ञान सिर्फ वही मनुष्य ग्रहण कर सकता था जो पूर्ण रूप से श्रद्धाभाव से अपने गुरु की बातों पर अमल करके उसका पालन करें. अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण के प्रति समर्पित होने के साथ उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अपना शिष्य रूप भी जाहिर करते हुए उनसे मार्गदर्शन करने की प्रार्थना भी किया धार्मिक मान्यतानुसार किसी भी व्यक्ति के लिए यह गुण का होना बहुत ही आवश्यक होता हैं क्योंकि यही विन्रमता गुरु और शिष्य का आदर्श संबंध मानी गई हैं.
3) अर्जुन का धर्म और कर्त्तव्य का प्रतीक का होना :
अर्जुन धर्म और कर्त्तव्य के प्रतीक कहलाते हैं और वे धर्मयुद्ध करने के लिए योग्य पात्र थे फिर भी मोहवश में आकर अपने कर्त्तव्य राह से भटक रहे थे तब भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के माध्यम से उनको मार्गदर्शन दिया कि किसी भी परिस्थितियों में अपने धर्म और कर्त्तव्य का पालन करना ही मनुष्य का वास्तविक जीवन का लक्ष्य है.
4) सार्वभौमिक संदेश का माध्यम :
भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान केवल अर्जुन को ही नहीं बल्कि समस्त मनुष्य प्राणियों के लिए था जिससे कि गीता का ज्ञान संसार के हर मनुष्य तक पहुँच सकें और उन्होंने अर्जुन को माध्यम बनाकर जीवन के गहन रहस्यों और भगवत दर्शन को संसार के समक्ष पेश किया.
युद्ध भूमि में अर्जुन का अपनों के प्रति मोह और भ्रम हर व्यक्ति के जीवन में आने वाली मानसिक संघर्षों और चुनौतियों का प्रतीक हैं तो वही कहा जाता हैं कि भगवान श्रीकृष्ण के सबसे प्रिय मित्र और शिष्य अर्जुन थे जो बाद में मनुष्य जीवन के सवालों और संघर्षों के प्रतीक बने.
भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान केवल अर्जुन को नहीं दिया बल्कि समस्त मनुष्य जाति को दिया जिससे कि हर मानव जाति इस सीख को अपने जीवन में उतार सके कि चाहे जीवन में कैसी भी परिस्थितियां हो कभी भी अपने धर्म और कर्त्तव्य के मार्ग से विचलित नहीं होना चाहिए.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के ज्ञान किसने दिया था ?
अर्जुन.
2) अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान कहां दिया था ?
महाभारत के युद्ध भूमि पर.
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