Nandi Ki Katha | नंदी भगवान शिव के वाहन ही नहीं बल्कि उनके परम भक्त भी है. नंदी का सीधा – सरल स्वभाव और साधारण व्यवहार होने के वजह से यह भगवान शिव को अति प्रिय हैं वैसे तो नंदी बहुत ही भोले – भाले जीव माने जाते हैं किंतु अगर नंदी किसी बात पर क्रोधित होते तो उनका बहुत ही विकराल रूप हो जाता और क्रोधित होने पर सिंह से भी भिड़ जाते. नंदी का क्रोधित स्वभाव का उल्लेख रामायण और शिव पुराण के एक प्रसंग में किया गया है जिसके अनुसार रावण से एक ऐसी भूल हो गई थी जिसके फलस्वरूप नंदी ने क्रोधित होकर रावण को श्राप दे दिया था.
Nandi Ki Katha | नंदी ने रावण को श्राप क्यों दिया था
आइए जानते हैं रामायण और शिव पुराण में उल्लेख उस पौराणिक कथा को आखिर नदी ने रावण को श्राप क्यों दिया था.
रामायण में उल्लेखित मान्यतानुसार लंकापति रावण भगवान शिव का परम भक्त था और जब उसने अपने भाई कुबेर से सोने की लंका को छीना तो वह कैलाश पर्वत पर जाकर भगवान शिव को लंका में बसने की प्रार्थना किया था किंतु मोह माया के बंधन से दूर रहने वाले भगवान शिव रावण के इस निवेदन को स्वीकार नहीं किया इसके कई दिनों बाद लंकापति रावण (Ravana) भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत पर पहुंचा लेकिन जब रावण कैलाश पर्वत पर पहुंचा तब भगवान शिव तपस्या पर लीन थे ऐसे में रावण भगवान शिव के वाहन नंदी से मिला तब नंदी ने बड़े ही नम्र निवेदन से रावण को प्रतीक्षा करने के लिए कहा पर लंकापति रावण अपने अहंकार के नशे में नंदी से उनका परिचय पूछा.
नंदी महाराज ने खुद को भगवान शिव का परम भक्त बताया और जब रावण ने नंदी को यह कहते सुना कि वह भगवान शिव का परम भक्त है तो रावण को बहुत ही क्रोध हो गया आ गया क्योंकि रावण अपने आप को भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त मानता था. नंदी को एक बैल स्वरूप मनुष्य होने और महादेव का परम भक्त बताने पर रावण को बहुत ही हंसी आई.रावण अपने अहंकार में जोर – जोर से हंसने लगा और फिर व्यंग्य करते हुए नंदी से कहा कि – “मुझे वानर जैसे मुख वाले मनुष्य कोई बात नहीं करनी है, पता नहीं तूम मनुष्य हो या फिर कोई पशु ? पूरे मनुष्य तो नहीं लगते तो फिर भगवान शिव की भक्ति कैसे कर सकते हो मैं यहां भगवान शिव के दर्शन करने आया हूं इसलिए मैं तुम्हारे किसी भी प्रश्न का उत्तर नहीं दूंगा तुम्हें पता नहीं कि मैं सोने की लंका में रहता हूं और भगवान शिव का परम भक्त हूं इसलिए यहां आया हूं वरना यहां कौन आना चाहेगा ? “.
रावण की इस अहंकारी बात को सुनकर नंदी ने क्रोधित होकर रावण से कहा – “देवों के देव महादेव का भक्त होने के लिए पूर्ण मनुष्य होने की आवश्यकता नहीं है कोई भी जीव महादेव का भक्त हो सकता है क्योंकि महादेव अपने भक्तों में भेदभाव नहीं करते हैं उनके लिए सभी भक्त एक समान है किंतु तुम जैसे अहंकारी मनुष्य भगवान शिव के सच्चे भक्त नहीं हो सकते, तुम्हारे मन में जानवरों के लिए ना तो दया है और नहीं सम्मान की भावना है तुम उन्हें तुच्छ व छोटा समझते हो, इसीलिए मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि एक दिन तुम्हारा अहंकार कोई वानर ही तोड़ेगा और जिस सोने की लंका पर तुमको इतना अहंकार, घमंड है वह आग में जलकर भस्म हो जाएगा और इसके साथ ही तुम्हारी मृत्यु भी एक सच्चे शिव भक्त के हाथों ही होगी.”
समय बीतने के साथ भगवान शिव के वाहन नंदी महाराज का श्राप फलीभूत हुआ और नंदी के श्राप के अनुसार हनुमान जी ने रावण की सोने की लंका को जलाकर भस्म कर दिया तो वहीं भगवान विष्णु अवतार श्रीराम जो कि महादेव के परम भक्त थे, उनके हाथों से रावण की मृत्यु भी हुई.
Nandi Ki Katha | वर्तमान में हर किसी को क्यों याद रखनी चाहिए यह कथा
इस प्रसंग में निहित शिक्षा यह है कि – हमें कभी भी किसी जीव का दिल नहीं दुखाना चाहिए क्योंकि हम अगर किसी का दिल दुखाते हैं तो उसके मन से निकली वेदना न केवल किसी के अहंकार को तोड़ती है बल्कि उसे विनाश की ओर भी मोड़ती हैं खासकर बेजुबान और असहाय जीव – जंतु, पशु – पक्षियों को नुकसान कभी भी पहुँचना नही चाहिए और ना ही उसके साथ कोई अनुचित व्यवहार ही करना चाहिए मान्यता है कि पशु – पक्षियों और जीव – जंतु पर भगवान की विशेष कृपा और आशीर्वाद होती हैं, विशेषकर भगवान शिव किसी भी जीवों में कोई भी भेद नहीं करते हैं यही वजह है कि किसी का दिल दुखाने वाले मनुष्य को उसके कर्मों की सजा अवश्य मिलती हैं अर्थात वर्तमान समय में भी हर व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि वह कभी भी किसी जीव का अपमान नहीं करें.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) नंदी किस भगवान के वाहन कहलाते हैं ?
भगवान शिव.
2) नंदी ने किसको श्राप दिया है ?
लंकापति रावण.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.