Samudr Manthan | आखिर क्यों हुआ देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन और कैसे हुआ इनके बीच रत्नों का बंटवारा.

Samudr Manthan

Samudr Manthan | दुर्वासा ऋषि ने अपना अपमान होने के कारण देवराज इंद्र को श्री लक्ष्मी से हीन होने का श्राप दिया. भगवान विष्णु ने इंद्र को श्राप से मुक्ति के लिए दानवों के साथ समुंद्र मंथन के लिए कहा और दैत्यों को अमृत का लोभ दिया गया था देवों और दानवों ने अमरता को पाने के लिए समुंद्र तल से अमृत को पाने के लिए समुंद्र मंथन किया गया था.

Samudr Manthan | समुंद्र मंथन से निकले थे ये रत्न

समुंद्र मंथन से निकले थे ये 14 रत्न – विष,घोड़ा, ऐरावत हाथी, कौस्तुभ मणि, कामधेनु गाय, पारिजात पुष्प, देवी लक्ष्मी, अप्सरा रम्भा, कल्पतरु वृक्ष, वारुणी देवी, पच्चजन्य शंख, चंद्रमा, भगवान धन्वंतरि और अमृत.

Samudr Manthan | कैसे हुआ समुंद्र मंथन से निकले रत्नों का बंटवारा

1) विष –

मंथन में सबसे पहले विष  ही निकला जब इनके बंटवारे की बारी आई तो देवता और असुर दोनों ने इसे लेने से मना कर।दिया अंत में भगवान शिव ने इस विष को अपने गले में उतार लिया जिनसे उनका गला नीला पड़ गया और नाम नीलकंठ कहलाए.

2) घोड़ा –

मंथन से सात मुखों वाला सुंदर सफेद रंग का घोड़ा निकला जिसे दैत्य राज बलि ने अपने पास रख लिया जो बाद में इंद्र को प्राप्त हुआ.

3) ऐरावत हाथी –

इस हाथी को इंद्र ने प्राप्त किया जो बाद में उनकी सवारी बना यह सफेद हाथी ही इंद्र की सवारी हैं.

4) कौस्तुभ मणि –

भगवान विष्णु ने इस मणि को अपने मुकुट में धारण किया.

5) कामधेनु गाय –

इस मंथन से कामधेनु गाय की प्राप्ति हुई यह गाय अद्भुत शक्तियों से पूर्ण थी बाद  में यह गाय ऋषियो को दे दी गई.

6) पारिजात पुष्प –

यह पुष्प सभ्यता पुष्पों में सबसे खूबसूरत माना गया है. पूजा अर्चना में इस पुष्प का विशेष महत्व है इसके सभी भागों को पूजा में अलग अलग तरह से प्रयोग में लाते हैं इसे देवताओं ने अपने पास रख लिया.

7) माँ लक्ष्मी –

मंथन के दौरान रत्न के रूप में माँ लक्ष्मी की प्राप्ति हुई. असुरों ने भी प्रयास किया लेकिन माँ लक्ष्मी भगवान विष्णु को प्राप्त हुई.

8) अप्सरा रंभा –

ये एक कुशल नृत्यांगना थी जिसे इंद्र ने अपने इंद्रलोक में स्थान दिया.

9) कल्पतरु वृक्ष –

इसी वृक्ष पर पारिजात का पुष्प लगता हैं इंद्र ने इसे सुरकनन में स्थापित किया. स्कन्दपुराण और विष्णु पुराण में पारिजात को ही कल्पतरु वृक्ष कहा गया है.

10) वारुणी देवी –

ये देवी सूरा लेकर मंथन के दौरान प्रकट हुई जिसे असुरों को दे दिया गया.

11) पच्चजन्य शंख –

शंख की प्राप्ति मंथन से हुई जिसे भगवान विष्णु को समर्पित किया गया.

12) चंद्रमा –

ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को जल और मन का कारक माना गया है मंथन से जब चंद्रमा की  उत्पत्ति हुई तो भगवान शिव ने इसे अपने सिर पर सजा लिया.

13) भगवान धन्वंतरि –

इन्हें आयुर्वेद का जनक कहा जाता हैं. मान्यता है कि धन्वंतरि भगवान विष्णु के अंश हैं. लोक कल्याण के लिए इन्होंने अपने ज्ञान ऋषि, मुनियों और वैधों को प्रदान किया.

14) अमृत कलश –

मंथन से जब धन्वंतरि देव प्रकट हुए तो उनके हाथ में अमृत कलश भी था जिसे पाने के लिए संग्राम छिड़ गई बाद में अमृत को असुरों से प्राप्त करने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया और अमृत को देवताओं को दे दिया जिससे वे अमर हो गये. 


FAQ – सामान्य प्रश्न

देवराज इंद्र को श्री लक्ष्मी से हीन होने का श्राप किसने दिया था ?

दुर्वासा ऋषि

समुद्र मंथन (Samudr Manthan) से कौन कौन से रत्न निकले थे ?

समुंद्र मंथन से निकले थे ये 14 रत्न – विष,घोड़ा, ऐरावत हाथी, कौस्तुभ मणि, कामधेनु गाय, पारिजात पुष्प, देवी लक्ष्मी, अप्सरा रम्भा, कल्पतरु वृक्ष, वारुणी देवी, पच्चजन्य शंख, चंद्रमा, भगवान धन्वंतरि और अमृत


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