Jagannath Puri Temple | हिंदुओं के चार धामों में से एक हैं जगन्नाथ धाम मंदिर जो कि देश के उड़ीसा राज्य के पूरी में स्थित है और यह मंदिर भगवान जगन्नाथ यानि कि भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित हैं यही कारण है कि भगवान श्रीकृष्ण की इस नगरी को जगन्नाथपुरी कहा जाता हैं और जिसको धरती का बैकुंठ भी कहा जाता हैं ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ के मात्र दर्शन से ही भक्तों के सारे मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ ही सभी पापों का भी नाश होता है लेकिन इस मंदिर से जुड़े कई रहस्य आज भी अनसुलझे हैं जिनमें मंदिर की बाईस (22) सीढ़ियों में तीसरी सीढ़ी का रहस्य भी है जिस पर पैर रखने की सख्त मनाही होती हैं.
जानते है जगन्नाथ मंदिर की तीसरी सीढ़ी का रहस्य :
मान्यतानुसार भगवान जगन्नाथ के दर्शन मात्र से ही मनुष्यों के सारे पाप नष्ट होने के साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. यह देखकर यमराज भगवान जगन्नाथ के पास गए और उनके बोले कि हे भगवान ! आपने पापों से मुक्ति पाने के लिए इस सरल उपाय को बताया हैं कि इस मंदिर में आपके दर्शन मात्र से ही भक्तों के सारे पाप मिट जायेंगे जिससे कि कोई भी यमलोक नहीं आता और ऐसे में मनुष्य अपने पापों से मुक्ति को प्राप्त करने के लिए जगन्नाथ पुरी आते हैं क्योंकि केवल आपके दर्शन से ही आसानी से उनके सभी पाप मिट जाते हैं. यमराज की यह बात को सुनकर भगवान जगन्नाथ ने कहा कि आप मंदिर की तीसरी सीढ़ी पर अपना स्थान को ग्रहण करें जिसको यम शिला के नाम से जाना जाएगा और कोई भी मेरे दर्शन करने के पश्चात अगर उस पर पैर को रखेगा तो उसके अर्जित किए सारे पुण्य धूल जाएंगे जिसके कारण से उसे यमलोक जाना पड़ेगा.
जानते हैं कहां और कैसी है जगन्नाथ मंदिर की तीसरी सीढ़ी :
जगन्नाथ मंदिर के मुख्य द्वार से प्रवेश करते समय बाईस (22) सीढ़ियां पड़ती हैं जिसमें से नीचे से तीसरी सीढ़ी को यमशिला कहा जाता हैं. मान्यता है कि दर्शन के लिए लिए मंदिर में प्रवेश करते समय पैर सीढ़ियों पर रखने होते हैं लेकिन मंदिर में भगवान के दर्शन करने के बाद लौटते समय इस तीसरी सीढ़ी पर पैर रखने की मनाही होती हैं क्योंकि माना जाता है कि ऐसा करने से मनुष्य के सभी पुण्य शून्य हो जाते हैं जिससे कि यमलोक की प्राप्ति होती हैं. इस सीढ़ी की पहचान और भक्तों से कोई भूल नहीं हो पाएं इसलिए मंदिर की इस तीसरी सीढ़ी का रंग काला किया गया है और जगन्नाथ मंदिर की यह मान्यता और परंपरा भक्तों के मध्य आस्था और विश्वास का प्रतीक हैं जिसको पूरी श्रद्धा के साथ निभाया जाता हैं.
जानते हैं समुद्र की लहरों से जुड़े रहस्य को :
कहा जाता हैं कि जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करते ही समुद्र की लहरों की आवाज सुनाई नहीं देती हैं लेकिन जैसे ही कोई भक्त दर्शन करके मंदिर से बाहर आता है तो लहरों की आवाज पुनः सुनाई देने लगती हैं ऐसी मान्यता है कि देवी सुभद्रा की यह इच्छा थी कि मंदिर में प्रवेश करते ही भक्तों का मन शांत हो जाएं.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) उड़ीसा में स्थित जगन्नाथ पुरी मंदिर किस भगवान को समर्पित है ?
भगवान श्रीकृष्ण.
2) जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करते समय कितनी सीढ़ियां हैं ?
बाईस (22) सीढ़ी.
3) किस सीढ़ी को यमशिला कहा जाता हैं ?
तीसरी सीढ़ी.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.