Gupt Navratri ke Mahavidya | जानते हैं गुप्त नवरात्रि में किन 10 महाविद्याओं की साधना की जाती हैं और जानेंगे इन महाविद्याओं /के मंत्रों को.

Gupt Navratri

Gupt Navratri ke Mahavidya | दुर्गा माँ यानि कि माता रानी जिनकी पूजा आराधना उनके भक्त प्रतिदिन करते हैं ताकि उनके जीवन में खुशहाली बने रहे लेकिन माँ भगवती की विशेष पूजा नवरात्रि में किया जाता हैं. हर साल चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता हैं जिसमें से दो गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) और दो प्रकट नवरात्रि होती हैं. माघ और आषाढ़ माह में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहलाती हैं तो वहीं चैत्र माह की नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि और अश्विन माह की नवरात्रि शारदीय नवरात्रि कहलाती हैं.

गुप्त नवरात्रि (Navratri) में गुप्त तांत्रिक सिद्धियां पाने और मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए तंत्र साधना से जुड़े लोग माता के नवरुपों की बजाय10 (दस) महाविद्याओं की साधना और आराधना गुप्त तरीकों से करते हैं. इन दस महाविद्याओं में माँ काली, तारा देवी, त्रिपुरा सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुरा भैरवी, माँ ध्रुमावती, माता बगलामुखी, मांतगी माता और कमला देवी हैं.

Gupt Navratri ke Mahavidya | तो आइए जानते हैं दस (10) महाविद्याओं के बारे में और उनके मंत्रों को  :

1) प्रथम महाविद्या ( काली मां ) –

काली मां को सभी 10 महाविद्याओं में प्रथम माना गया हैं. मान्यता है कि माता काली का स्वरूप रौद्र होता हैं लेकिन काली मां जितनी आसानी से क्रोधित होती हैं उतनी ही आसानी से प्रसन्न भी हो जाया करती हैं. माँ काली की साधना बहुत ही श्रद्धा, विश्वास, पवित्रता और नियमों के साथ साधक सच्चे मन से करते हैं जिसके फलस्वरूप साधक को अपने विरोधियों और शत्रुओं पर विजय की प्राप्ति होती हैं इसके साथ ही वह अपना जीवन बिना किसी डर व भय के सुख और समृद्धि के साथ बीताते हैं.

मंत्र : माँ काली को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए –

।।ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा ।।

2) दूसरी महाविद्या ( तारा देवी ) –

गुप्त नवरात्रि में दूसरे दिन दूसरी महाविद्या तारा देवी की साधना की जाती हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार महर्षि वशिष्ठ ने सबसे पहले इस महाविद्या की आराधना की थी. माना जाता हैं कि तांत्रिकों की मुख्य देवी तारा देवी कहलाती है.तारा देवी की साधना और आराधना करने से भक्तों को आर्थिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति होती हैं. इस माता को सफेद तारा माँ या नील तारा और हरी तारा के नाम से भी जाना जाता हैं.

मंत्र : तारा देवी को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए –

।। ॐ ह्रीं स्त्रीं हुम फट ।।

mahavidya

3) तीसरी महाविद्या ( त्रिपुरा सुंदरी ) –

तीसरी महाविद्या माता त्रिपुरा सुंदरी को राज राजेश्वरी और ललिता के नाम से भी जाना जाता हैं. इस माता को चार भुजा और तीन नेत्र वाला स्वरूप हैं.

मंत्र : त्रिपुरा सुंदरी की प्रसन्नता के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए –

।। ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुन्दरियै नमः ।।

4) चौथी महाविद्या ( भुवनेश्वरी माता ) –

गुप्त नवरात्रि की चौथी महाविद्या भुवनेश्वरी माता को शताक्षी और शाकम्भरी के नाम से भी जाना जाता हैं. माँ भुवनेश्वरी की साधना संतान की चाह रखने वाले दम्पतियों के लिए बहुत फलदायक होती हैं. इस माता की कृपा और आशीर्वाद से सूर्य के समान तेज और जीवन में मान सम्मान की प्राप्ति होती हैं.

मंत्र : इस माता को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए –

।। ह्रीं भुवनेश्वरीयै नमः ।।

5) पांचवी महाविद्या ( माता छिन्नमस्ता ) –

मान्यता है कि माता छिन्नमस्ता के दर्शन उनकी साधना के तरीके पर निर्भर करता है यानि कि अगर माता छिन्नमस्ता की साधना शांत मन से की जाए तो माता का स्वरूप शांत लेकिन अगर माता की साधना उग्र मन की किया जाए तो माता के उग्र स्वरूप के दर्शन होते हैं. माना जाता हैं कि माता छिन्नमस्ता का स्वरूप कटा हुआ सिर और बहती हुई रक्त की तीन धाराओं से सुशोभित रहता है.

मंत्र : छिन्नमस्ता माता की प्रसन्नता के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए –

।। श्रीं ह्रीं ऐं वज्र वैरोचानियै ह्रीं फट स्वाहा ।।

6) छठी महाविद्या ( त्रिपुरा भैरवी ) –

गुप्त नवरात्रि के छठवें दिन छठी महाविद्या त्रिपुरा भैरवी की साधना जीवन में समृद्धि और खुशहाली की प्राप्ति के साथ साथ जीवन के सभी बंधनों से मुक्ति के लिए किया जाता हैं. भैरवी महाविधा या त्रिपुरा भैरवी की साधना से साधक को व्यापार में लगातार उन्नति और धन सम्पदा की प्राप्ति होती हैं.

7) सातवीं महाविद्या ( धूमावती माता ) –

गुप्त नवरात्रि के सातवें दिन सातवीं महाविधा माता धूमावती की साधना की जाती हैं. ऋग्वेद में सुतरा के नाम से इस माता को सम्बोधित किया गया है. माता धूमावती को संकट और अभाव को दूर करने वाली देवी कहा जाता हैं और इस महाविद्या की साधना करने वाला साधक महाप्रतापी और सिद्ध पुरूष कहलाता है.

मंत्र : इस महाविद्या को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए – 

।। ॐ धूं धूं  धुमावती देव्यै स्वाहा ।।

8) आठवीं महाविद्या (बगलामुखी माँ ) –

आठवीं महाविद्या को बगलामुखी माँ के नाम से जाना जाता हैं. बगलामुखी की साधना करने वाला साधक अपने दुश्मनों के डर (भय) से मुक्ति और वाक सिद्धियां को पाने के लिए करते हैं. मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में माँ बगलामुखी की आराधना करने से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती हैं.

मंत्र : बगलामुखी माँ की प्रसन्नता के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए –

।। ॐ ह्रीं बगुलामुखी देव्यै ह्रीं ओम नमः ।।

9) नौवीं महाविद्या ( मांतगी माता ) –

माना जाता हैं कि नौवीं महाविद्या के रूप में माँ मांतगी की साधना से साधक का गृहस्थ जीवन सुखमय और सफल बनता हैं इसके साथ ही मांतगी माता की कृपा से साधक को खेल, कला और संगीत के क्षेत्र में सफलता दिलाती हैं. धार्मिक ग्रँथ के अनुसार इस माता को देवी सरस्वती का एक रूप माना गया है.

मंत्र : इस माता को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए –

।। ॐ ह्रीं ऐं भगवती मंतगेश्वरी श्रीं स्वाहा ।।

10) दसवीं महाविद्या (माता कमला ) –

दसवीं महाविद्या के रूप में कमला माता की साधना की जाती हैं माना जाता हैं कि माता कमला की आराधना व साधना करने वाले साधक को समृद्धि, धन,स्त्री और पुत्र की प्राप्ति  होती हैं इसके साथ ही माँ कमला के आशीर्वाद और कृपा से साधक को धन और विद्या की प्राप्ति होती हैं कहा जाता हैं कि माँ कमला माता लक्ष्मी का ही एक स्वरूप है.

मंत्र : कमला माता की प्रसन्नता के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए –

।। ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः ।।

Gupt Navratri ke Mahavidya | जानते हैं गुप्त नवरात्रि में किन 10 महाविद्याओं की साधना की जाती हैं और जानेंगे इन महाविद्याओं /के मंत्रों को.

 FAQ – सामान्य प्रश्न

किस महाविद्या को तांत्रिकों की मुख्य देवी कहा जाता हैं ?

तारा देवी

पाँचवी महाविद्या माता छिन्नमस्ता का स्वरूप कैसा है ?

छिन्नमस्ता माता का स्वरूप कटा हुआ सिर और तीन धाराओं में बहता हुआ रक्त

दुश्मनों से मुक्ति के लिए किस महाविद्या की साधना की जाती हैं ?

बगलामुखी माँ

किस महाविद्या को देवी सरस्वती का स्वरूप माना गया है ?

 मांतगी माता

लक्ष्मी माता को किस महाविद्या का  स्वरूप कहा गया है ?

कमला माता. 


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