Ekdant Ganesha | भगवान गणेशजी का नाम एकदंत कैसे पड़ा? जानेंगे इन पौराणिक कथाओं से.

Ekdant Ganesha

Ekdant Ganesha | हिन्दू धर्म में भगवान गणेश प्रथम पूजनीय देव कहलाने के साथ यह विध्नहर्ता भी कहलाते हैं क्योंकि इनकी पूजा करने से कार्य में बाधाएं नही आती हैं और कार्य भी बिना किसी विध्न के सफलतापूर्वक संपन्न हो जाती हैं. भगवान गणेशजी को जैसे कई नामों से जाना जाता हैं ठीक वैसे ही पौराणिक कथाओं में भगवान गणेशजी के प्रत्येक अंगों के रहस्य को बताया गया है, जैसे कि गणेशजी के मस्तक में ब्रह्म लोक, नाभि में ब्रह्मांड और पैरों में सप्तलोक बताए गए हैं तो कुछ कथाएं उनके एक दंत होने को भी बताया गया है इसी कारण इनका नाम एकदंत भी है. गणेश जी को एकदंत कहे जाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं.

Ekdant Ganesha | जानते हैं कि भगवान गणेश एकदंत क्यों कहलाते हैं उनके पीछे की पौराणिक कथाओं को.

1) महाभारत के कारण टूटा गणेशजी का दांत : –

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत ग्रन्थ को लिखने को जब महर्षि वेदव्यास बैठे तो उनको एक बुद्धिमान व्यक्ति की आवश्यकता थी जो कि उनके मुख से निकली महाभारत की कथा को समझकर लिख सके इसके लिए उन्होंने गणेशजी को चुना इस कार्य को करने के लिए गणेशजी स्वीकार तो किया लेकिन उन्होंने एक शर्त रखी कि महाकाव्य (महाभारत) को लिखते समय मेरी कलम रुकनी नहीं चाहिए अगर कलम रुकी तो मैं आगे लिखना बंद कर दूंगा इसलिए लगातार शब्दों को बोला जाए महर्षि वेदव्यास उनकी शर्त मान गए किन्तु उन्होंने भी गणेश जी के सामने अपनी भी शर्त रखी कि मुझसे बिना पूछे एक शब्द भी आप नही लिखेंगे. गणेशजी ने भी इस शर्त को सहज स्वीकार कर लिया अब दोंनो महाभारत महाकाव्य को लिखने के लिए बैठ गए.

महर्षि वेदव्यास महाकाव्य को अपने मुख से बोलने लगे और गणेशजी उसे समझ समझकर जल्दी जल्दी लिखने लगे किन्तु वेदव्यासजी के बोलने की तेजी को गणेशजी की कलम संभाल नही सकी और कुछ देर लिखने के बाद अचानक से कलम टूट गई, कलम के टूटते ही गणेशजी को अपनी गलती का एहसास हुआ तब उन्होंने चुपके से अपने एक दांत को तोड़कर उसे स्याही में डुबाकर  महाभारत महाकाव्य को दुबारा फिर से लिखना शुरू कर दिया, इसके बाद से उनका नाम एकदंत पड़ गया.

2) परशुराम के परशु से कटा गणेशजी का दांत :

गणेश पुराण के चतुर्थ खंड के सातवें अध्याय के अनुसार एक बार भगवान शिव और माता पार्वती कक्ष में आराम कर रहे थे और द्वार पर गणेशजी पहरा दे रहे थे कि उसी समय परशुराम जी कार्त्तवीर्यका वध करके अतिउत्साहित होकर कैलाश पर पहुँचकर भगवान शिव से मिलने आये लेकिन गणेश ने उन्हें रोक दिया, परशुराम चुकी शिवजी के परम भक्त थे इसलिए वे उनसे मिले बिना नहीँ जाएंगे.

गणेशजी उन्हें विनम्रता से टालते रहें जब परशुराम जी का धैर्य टूट गया तो उन्होंने गणेश जी को युद्ध के लिए ललकारा तब गणेशजी को भी परशुराम से युद्ध करना पड़ा और परशुराम के हर प्रहार को गणेश जी निष्फल करते गए और जब परशुराम पर गणेशजी हावी होने लगे तब क्रोधित होकर परशुराम ने भगवान शिव से प्राप्त परशु से ही  गणेशजी पर वार कर दिया और अपने पिता शिव से परशुराम को मिले परशु का गणेशजी ने आदर रखा, परशु के प्रहार से गणेश जी का बायां दांत टूट गया और तब से वह एकदंत कहलाने लगे.

3) कार्तिकेय ने तोड़ा गणेशजी का दांत : –

भविष्य पुराण के चतुर्थी कल्प के अनुसार गणेशजी विध्नहर्ता ही नहीं बल्कि विध्नकर्ता भी है. एक बार कार्तिकेय स्त्री पुरुषों के श्रेष्ठ लक्षणों पर ग्रन्थ को लिख रहे थे उनके इस कार्य में गणेशजी विध्न डालने लगे शुरुआत में कार्तिकेय अनदेखा किये लेकिन जब गणेशजी ज्यादा विध्न उत्पन्न करने लगे तो क्रोधित होकर कार्तिकेय ने गणेश जी के एक दांत को पकड़कर तोड़ दिया. जब यह बात भगवान शिवजी के पंहुची तो उन्होंने कार्तिकेय को समझा बुझाकर कर गणेशजी को उनका टूटा हुआ दांत वापस दिलवा दिया कार्तिकेय ने गणेशजी को उनका टूटा हुआ दांत तो वापस कर दिया लेकिन श्राप भी दे दिया कि गणेशजी को अपना टूटा हुआ दांत हमेशा अपने हाथ में रखना होगा अगर दांत को वह खुद से अलग करेंगे यो यही टूटा दांत उसे भष्म कर देगा और गणेशजी इस श्राप को स्वीकार करते हुए कार्तिकेय से अपना टूटा दांत लेकर हमेशा अपने पास रखने लगे. कहा जाता हैं कि उसी दिन से गणेश जी एकदंत कहलाने लगे.

4) गजमुखासुर के लिए स्वयं तोड़े दांत :

गणेशजी को एकदंत कहलाने के पीछे एक पौराणिक कथा गजमुखासुर असुर से जुड़ा है. कथानुसार गजमुखासुर नामक असुर को यह वरदान मिला था कि वह किसी भी अस्त्र शस्त्र से नहीं मारा जा सकता है जिसके कारण उस असुर ने देवताओं ऋषियों और आमजन को परेशान करने लगा तब गणेश जी ने उस असुर से युद्ध किया और अस्त्र के रूप में अपना बायां दांत तोड़कर उसका वध कर दिया.

Ekdant Ganesha | जानते एकदंत गणेश के रहस्य को : –

एकदंत शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है जिसमें एक का अर्थ है “माया” और दंत का अर्थ है “मायिक” यानि माया और मायिक का संयोग होने के कारण गणेशजी एकदंत कहलाते हैं. इन सारी पौराणिक कथाओं से जान ही चुके कि भगवान श्रीगणेश का नाम एकदंत कैसे पड़ा.


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FAQ – सामान्य प्रश्न

भगवान गणेश जी क्या कहलाते हैं ?

एकदंत.

गणेशजी किसके कहने पर महाकाव्य महाभारत को लिखा था ?

महर्षि वेदव्यास.

गणेश जी के दांत को किसने परशु से तोड़ा था ?

परशुराम जी

गणेश जी ने किस असुर का वध किया था ?

गजमुखासुर असुर का.

गणेशजी के मस्तक में किस लोक को बताया गया है?

ब्रह्म लोक


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