Patal Bhuvaneshwar Cave Temple | देश के कई राज्य और प्रान्त हैं जिनमें ऐसे कई रहस्यमयी मंदिर और गुफाएं हैं जिनका रहस्य आज भी वैज्ञानिकों के लिए पहेली बनी हुई है जिसको सुलझाना बहुत मुश्किल है और इन्हीं में से एक राज्य हैं उत्तराखंड और उत्तराखंड देश का एक ऐसा राज्य है जिसके लिए देवभूमि शब्द का उपयोग किया जाता है कहा जाता हैं यहां के कण-कण में देवी देवताओं का वास होता हैं और इसी उत्तराखंड में अनेकों ऐसी गुफाएं हैं जो आज भी आश्चर्य और हैरानी का कारण बनी हुई है इन्ही में से पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर एक हैं जोकि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित है जिसका हिंदू धर्म के पुराणों में भी वर्णन किया गया है और इस रहस्यमयी गुफा के बारे में मान्यता है कि इस गुफा के गर्भ में दुनिया के खत्म होने का राज छिपा है.
Mysteries of Patal Bhuvaneshwar Cave Temple | पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर के रहस्य :
1) पाताल भुवनेश्वर गुफा की खोज कैसे हुआ :
कहा जाता हैं कि त्रेतायुग युग में राजा ऋतुपर्णा थे जिन्होंने इस गुफा की खोज की थी जिसके बाद उन्हें यहां नागों के राजा अधिशेष मिले थे माना जाता है कि व्यक्ति के द्वारा इस मंदिर की खोज करने वाले पहले व्यक्ति राजा ऋतुपर्णा थे जिनको नागों के राजा उनको इस गुफा के भीतर ले गए जहां राजा ऋतूपर्णा को भगवान शिव के साथ सभी देवी – देवताओं के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ लेकिन इसके बाद इस गुफा की कोई चर्चा नहीं हुई किंतु द्वापर युग मे वापस पांडवों ने इस पाताल भुवनेश्वर गुफा को ढूंढ लिया और फिर वहां रहकर भगवान शिव की पूजा किया करते थे. मान्यता है कि कलियुग में आदि शंकराचार्य से आठवीं सदी में इस मंदिर को खोज.
2) पाताल भुवनेश्वर गुफा के अंदर क्या – क्या है :
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने के लिए गुफा में जाना पड़ता है जो कि 160 मीटर लंबी और 90 फीट गहरी और समुद्र तल से 1350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. गुफा के अंदर भगवान शिव पार्वती परिवार,शेषनाग चार धाम, काल भैरव के साथ संपूर्ण 33 कोटि देवी – देवता का वास है इसके साथ ही यहां पर नागों के राजा अधिशेष की कलाकृतियां भी मौजूद हैं मान्यता है कि दुनिया के भार को नागों के राजा अधिशेष ने अपने सिर पर संभाला हैं.
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3) मंदिर में स्थित चार दरवाजे का रहस्य :
पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर में चार दरवाजे स्थित हैं जिनके नाम रणद्वार, पापद्वार, धर्मद्वार और मोक्षद्वार हैं. धार्मिक मान्यता है कि जब रावण की मृत्यु हुई थी तो पापद्वार का दरवाजा बंद हो गया था तो वही कुरुक्षेत्र में महाभारत के बाद रणद्वार बंद हो गया था और वर्तमान में केवल दो बचे द्वार ही खुले हैं. स्कंदपुराण के अनुसार पाताल भुवनेश्वरी गुफा मंदिर में भगवान शिव रहते हैं और माना जाता है कि इस मंदिर में सारे देवी देवता भगवान शिव की पूजा करने आते हैं.
4) पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर में खंबे का रहस्य :
पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर में भगवान गणेश के कटे हुए सर को स्थापित किया गया है और यहां स्थित गणेश मूर्ति को आदि गणेश कहते हैं. माना जाता है कि इस गुफा में चार खंबे हैं जो चार युगों को दर्शाता है यानि कि यह खंबे सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग है इनके बारे में मान्यता है कि सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग के खंभे के आकार में कोई भी परिवर्तन नहीं होता लेकिन कलयुग का खंबा बाकी तीनों खंबे की तुलना में लंबाई में ज्यादा है.
5) पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर में स्थित शिवलिंग का रहस्य :
यूनिवर्सिटी गुफा मंदिर में सबसे विशेष वहां पर स्थित शिवलिंग हैं जो की लगातार बढ़ रही है इस शिवलिंग के बारे में ऐसी मान्यता है कि जब यह शिवलिंग गुफा की छत को छू लेगा तब यह दुनिया खत्म हो जाएगी. गुफा में इस शिवलिंग के अलावा एक साथ चार धामों के दर्शन भी हो सकते हैं मान्यता है की गुफा में एक साथ केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के दर्शन हो सकते हैं माना जाता है कि पाताल भुवनेश्वरी गुफा भूमिगत मार्ग से कैलाश पर्वत से जुड़ी हुई है इसके अलावा इस गुफा में स्थित एक पत्थर है जिससे पता लग सकता है कि दुनिया का अंत कब होगा.
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How to Reach Patal Bhuvaneshwar Cave Temple | पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर कैसे पहुंचे :
पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर जाने के लिए आप सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग से पहुंच सकते हैं. रेल मार्ग से पहुंचने के लिए सबसे निकटतम स्टेशन है काठगोदाम जो की पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर से लगभग 191 किलोमीटर की दूरी पर है और अगर हवाई मार्ग से जाना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा है जो कि पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर से लगभग 224 किलोमीटर की दूरी पर है इसके साथ ही पाताल भुवनेश्वरी गुफा मंदिर अल्मोड़ा से 110 किलोमीटर और हल्द्वानी से 197 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
उत्तराखंड के इस रहस्यमयी गुफा की यात्रा करने के लिए मानसून का समय बिल्कुल भी सही नहीं है यहां मार्च से जून के बीच दर्शन किए जा सकते हैं इसके साथ ही ठंड में अक्टूबर से फरवरी के महीने में भी घुमने के लिए जाया जा सकता है.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर किस राज्य में हैं ?
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में.
2) पाताल भुवनेश्वरी गुफा मंदिर में कौन से चार द्वार हैं ?
रणद्वार, पापद्वार, धर्मद्वार और मोक्षद्वार.
3) पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर की खोज किस युग में हुई थी ?
त्रेतायुग में.
4) रावण की मृत्यु के समय कौन सा द्वार बंद हो गया था ?
पापद्वार.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.