Chaurchan Parv 2024 | बिहार के मिथिलांचल में ऐसे बहुत सारे पर्व व त्यौहार मनाए जाते हैं जो की प्रकृति से जुड़े होते हैं. जहां छठ पर्व में उगते और डूबते सूर्य की उपासना की जाती है तो वहीं चौरचन में चांद की पूजा भी बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. चौरचन पर्व को चौठ चंद्र पर्व भी कहा जाता है. मिथिला पंचांग के अनुसार चौरचन का पर्व भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है और इसी दिन ही गणेश चतुर्थी का त्यौहार भी मनाया जाता है इसीलिए यह पर्व भगवान श्री गणेश और चंद्र देव को समर्पित होता है. चौरचन पर्व में माताएं अपने पुत्रों की लंबी आयु के लिए सुबह से लेकर शाम तक निर्जला व्रत रखती है और शाम को चंद्रमा को अर्ध्य देकर व्रत को खोलती हैं मान्यता है कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को चंद्रदेव की पूजा करने से जातक को शारीरिक और मानसिक परेशानियों से छुटकारा मिलने के साथ ही घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है.
Chaurchan Parv 2024 | चौरचन पर्व 2024 में कब मनाया जाएगा :
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत होगी 06 सितंबर 2024 दिन शुक्रवार की दोपहर 03 बजकर 01 मिनट से लेकर 07 सितंबर 2024 दिन शनिवार की शाम 05 बजकर 37 मिनट तक.
चौरचन पर्व में संध्याकाल में चंद्रदेव की पूजा की जाती है इसी कारण से 06 सितंबर 2024 दिन शुक्रवार को पावन पर्व चौरचन मनाया जाएगा.
Chaurchan Parv Puja Vidhi | आइए अब जानते हैं चौरचन पर्व की पूजा विधि :
1) चौरचन पर्व के दिन घर की महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत होकर साफ स्वच्छ वस्त्र को धारण करती हैं.
2) इस दिन महिलाएं पुत्रों की दीर्घायु और घर की खुशहाली के लिए सुबह से शाम तक निर्जल व्रत को रखती हैं.
3) इस पर्व में कई तरह के पकवान बनाएं जाते हैं जैसे कि मीठी पूड़ी, खीर, ठेकुआ के अलावा सादा पूड़ी तो कहीं कहीं दाल पूड़ी भी बनाएं जाते हैं इस पर्व में दही का विशेष महत्व होता हैं इसीलिए इस पर्व में दही को शामिल करना बहुत आवश्यक होता हैं जिसे मिट्टी के बर्तन में जमाया जाता हैं.
4) शाम के समय घर के आंगन को गाय के गोबर से लीपा जाता हैं. लीपने के बाद कच्चे चावल को पीसकर रंगोली तैयार किया जाता है और फिर इसी रंगोली से आंगन को सजाया जाता हैं.
5) इसके बाद घर में जितने सदस्य होते हैं उतनी ही पकवानों से भरी डाली और दही के बर्तन को रखा जाता है.
6) इसके पश्चात एक – एक करके पकवानों वाली डाली, दही के बर्तन, ऋतुफल और खीर को हाथों में उठाकर चंद्रदेव को भोग लगाकर दूध से अर्ध्य दिया जाता हैं.
7) इस प्रकार से पूजा, अनुष्ठान पूर्ण हो जाने के बाद घर के बच्चे और पुरूष भोग को ग्रहण करते हैं इसके बाद व्रती महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं.
8) इस पर्व में घर के सारे सदस्य पूजा स्थान पर ही प्रसाद ग्रहण करते हैं और बचे हुए भोग और पकवानों को किसी स्वच्छ जमीन पर दबा दिया जाता हैं.
9) चौरचन की पूजा पूरी विधि विधान और स्वच्छता से करनी चाहिए तभी फल की प्राप्ति होती हैं.
Chaurchan Parv ke Mahatv | आइए जानते हैं चौरचन पर्व के महत्व को :
जैसा कि छठ पूजा सूर्य देव की आराधना के लिए मनाई जाती है ठीक ऐसे ही चौरचन का पर्व चंद्र देव की आराधना के लिए मनाया जाता हैं. धार्मिक मान्यता है कि चंद्र देव की पूजा करने से व्यक्ति झूठ कलंक से अपने आप को बचा लेता है कहा जाता है कि इस दिन कोई व्यक्ति चंद्रदेव की सच्चे भाव से पूजा अर्चना करता है तो चंद्र देव प्रसन्न होकर व्यक्ति की सभी मनोकामना पूरी करते हैं.
उम्मीद है कि आपको बिहार के मिथिलांचल का सुप्रसिद्ध पर्व चौरचन पर्व से जुड़ा हुआ यह लेख पसंद आया होगा तो इसे अधिक से अधिक अपने परिजनों और दोस्तों के भी शेयर करें और ऐसे ही अलग-अलग प्रांतों के लोकपर्व से जुड़े लेख को पढ़ने के लिए जुड़े रहे madhuramhindi.com के साथ.
FAQ – सामान्य प्रश्न
1) चौरचन का पर्व किस राज्य के प्रांत का प्रसिद्ध पर्व है ?
बिहार के मिथलांचल प्रांत.
2) पंचाग के अनुसार चौरचन का पर्व कब मनाया जाता हैं ?
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि.
3) चौरचन पर्व में किस भगवान की पूजा की जाती हैं ?
चंद्रदेव
4) साल 2024 में चौरचन पर्व कब मनाया जाएगा ?
06 सितंबर 2024 दिन शुक्रवार.
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