Geeta Updesh | श्रीमद्भागवत गीता को हिंदुओं का दिव्य ग्रँथ कहा जाता हैं. श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों का वर्णन हैं. गीता के इस उपदेश को महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उस समय दिया था जब युद्ध क्षेत्र में अर्जुन अपनों को देखकर उसका मन विचलित हो गया था. श्रीमद्भागवत गीता में दिए गए उपदेश बहुत ही प्रासंगिक हैं जो मनुष्य को जीवन जीने की सही राह को दिखाने के अलावा उन कार्यों को महापाप बताया हैं जिसकी माफी मनुष्य को कभी नहीं मिलती हैं इसलिए श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने उपदेश के द्वारा उन कार्यों को बताया है जिनको भूलकर भी अंजाने में नहीं करना चाहिए.
Geeta Updesh | आइए जानते हैं उन कार्यों को जिनको भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता में महापाप बताया है :
1) धन के साथ मान – सम्मान की चोरी :
श्रीमद्भागवत गीता में चोरी को महापाप बताया गया है लेकिन यहां चोरी से अर्थ केवल किसी की संपत्ति या धन चुराने से नहीं है बल्कि किसी मनुष्य की मान सम्मान को धूमिल करने से साथ किसी की तरक्की में बाधा डालने से भी हैं. किसी भी मनुष्य को समाज में अपना मान – सम्मान बनाने में और सफलता को पाने के लिए पूरी जिंदगी लग जाती है लेकिन अगर कोई उसकी इस मेहनत को बर्बाद कर दे तो उसे इसकी माफी नहीं मिल सकती हैं.
2) लालच करना महापाप हैं :
श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने लालच को महापाप बताते हुए कहा है कि लालच हमेशा बुरा काम को करने के लिए प्रेरित किया करता है और लालच करने वाला मनुष्य गलत राह पर चलकर दूसरों का नुकसान करता है लेकिन मनुष्य को इस महापाप से खुदको दूर रखना चाहिए.
3) सबसे बड़ा महापाप दुष्कर्म :
श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने दुष्कर्म या वासना को सबसे बड़ा महापाप बताते हुए कहा है कि इसकी सजा से कोई दोषी बच नहीं सकता सजा भुगतनी ही पड़ती हैं इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने स्त्रियों का सदैव सम्मान और उनकी रक्षा करने की सीख दिया है जिसको हर मनुष्य को अपने जीवन मे अपनाना चाहिए.
4) हिंसा करना महापाप :
भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता में हिंसा को महापाप बताया हैं चाहे हिंसा शारीरिक हो या फिर मानसिक दोंनो ही स्थिति में हिंसा महापाप की श्रेणी में आती हैं अगर कोई मनुष्य किसी के दिल को भी ठेस पहुचाते हैं तो भी इसकी सजा अवश्य मिलती हैं इस गलती को कभी माफ नहीं किया जा सकता हैं इसलिए हिंसा से हर किसी को बचना चाहिए.
5) अहंकार और ईर्ष्या जलन की भावना भी महापाप :
श्रीमद्भागवत गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं कि अहंकार और ईर्ष्या जलन मनुष्य को गलत रास्ते पर ले जाया करते हैं क्योंकि जब मनुष्य जलन व ईर्ष्या की भावना में जलता है तो उसे अच्छे – बुरे की समझ नहीं होती हैं और इस समय मनुष्य ऐसी गलतियां कर जाता है कि माफी के स्थान पर केवल पछतावा ही मिलता है इसलिए श्रीमद्भागवत गीता में अहंकार ईर्ष्या और जलन को महापाप ही बताया है.
उम्मीद है कि आपको गीता उपदेश से जुड़ा हुआ यह लेख पसंद आया होगा तो इसे अधिक से अधिक अपने परिजनों और दोस्तों के बीच शेयर करें और ऐसे ही श्रीमद्भागवत गीता उपदेश से जुड़े लेख को पढ़ने के लिए जुड़े रहे madhuramhindi.com के साथ.
FAQ – सामान्य प्रश्न
1) श्रीमद्भागवत गीता का उपदेश किसने किसको दिया है ?
श्रीकृष्ण ने अर्जुन को.
2) श्रीमद्भागवत गीता को हिंदू धर्म का कौन सा ग्रँथ माना गया है ?
दिव्य ग्रँथ.
3) भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कहा गीता का उपदेश दिया है ?
महाभारत युद्ध क्षेत्र में.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.