Hanuman Chalisa | श्रीराम भक्त हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए सबसे सरल और शक्तिशाली स्तुति गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा लिखा हनुमान चालीसा हैं जिसकी हर चौपाई अलग – अलग रूप से प्रभावशाली और शक्तिशाली हैं. धार्मिक मान्यता है कि हनुमान चालीसा के पाठ करने से जीवन की हर परेशानियों और समस्याओं से मुक्ति मिलने के साथ ही भक्तों के सभी कष्ट भी दूर हो जाते हैं. श्रीराम भक्त हनुमान बल, बुद्धि, साहस, ज्ञान और विवेक देने वाले कहलाते हैं तो वहीं हनुमान चालीसा की कई चौपाइयों में समस्याओं का समाधान भी छिपा हुआ है. हनुमान चालीसा की एक चौपाई हैं “अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता, अस वर दीन जानकी माता” अर्थात श्रीराम भक्त हनुमान जी को अष्ट सिद्धि और नौ निधि के दाता कहे जाते हैं. माना जाता है कि हनुमानजी की सच्चे मन से प्रतिदिन विशेषकर मंगलवार को जो भक्त आराधना करता है तो उसके जीवन में आठ प्रकार की सिद्धियां और नौ प्रकार की निधियां साकार हो जाती हैं जिससे भक्त संसार की हर वस्तुओं को प्राप्त कर सकता हैं. तो चलिए जानते हैं अष्टसिद्धि और नौ निधि के नाम और इनके रहस्य एवं महत्व को.
जानते हैं हनुमान जी की अष्टसिद्धि के नाम, महत्व और रहस्य को :
1) अणिमा सिद्धि :
अणिमा यानि कि अपने शरीर को अणु से भी छोटा कर लेना और इसी सिद्धि के बल से हनुमानजी कभी भी अति सूक्ष्म रूप धारण करके कहीं भी विचरण कर सकते हैं. हनुमान जी अपने इसी अणिमा सिद्धि की बदौलत छोटे रूप को धारण करके लंका का निरीक्षण किया था.
2) महिमा सिद्धि :
महिमा सिद्धि, अणिमा सिद्धि के विपरीत सिद्धि होती है. महिमा सिद्धि के बल पर विशाल रूप धारण किया जा सकता है धार्मिक मान्यता है कि इस सिद्धि के बल से हनुमान जी विशाल रूप धारण किया करते थे और इसी सिद्धि से समुंद पार करते समय सुरसा राक्षसी के समक्ष किया था और दूसरी बार अशोका वाटिका में सीता माता के सामने महिमा सिद्धि का प्रयोग किया था.
3) गरिमा सिद्धि :
गरिमा सिद्धि के बल से हनुमान जी स्वयं का भार किसी विशाल पर्वत के समान कर सकते हैं मान्यता है कि हनुमान जी ने इस सिद्धि का इस्तेमाल भीम का घमंड तोड़ने के लिए किया था और इसी सिद्धि के कारण से हनुमान जी की पूंछ को भीम टस से मस नहीं कर पाएं थे.
4) लघिमा सिद्धि :
लघिमा सिद्धि से हनुमान जी स्वयं का भार बिल्कुल हल्का जैसे कि रुई का फाला के समान कर सकते थे मान्यता है कि लघिमा और अणिमा सिद्धि का प्रयोग करके अशोक वाटिका में हनुमान जी ने पत्तों पर बैठकर सीता माता को अपना परिजय दिया था.
5) प्राप्ति सिद्धि :
प्राप्ति सिद्धि के बल पर हर एक वस्तु को प्राप्त करने के साथ यह सिद्धि बेजुबान पक्षियों की भाषा समझने और आने वाले समय को देख सकने में भी सहायक होता हैं.
6) प्राकाम्य सिद्धि :
इस प्राकाम्य सिद्धि के प्रताप से हनुमान जी पृथ्वी से पाताल तक कि गहराइयों का नाप सकते हैं, आकाश की ऊंचाइयों पर उड़ सकते हैं इसके साथ ही मनचाहे समय तक पानी में जीवित भी रह सकते हैं.
7) ईशीत्व सिद्धि :
ईशीत्व सिद्धि की सहायता से हनुमानजी को दैवीय शक्तियां मिली थी कहा जाता हैं कि इस सिद्धि को पाने वाला ईश्वर के तुल्य पूजनीय माना जाता है.
8) वाशित्व सिद्धि :
वाशित्व सिद्धि के प्रभाव से हनुमानजी पशु, पक्षी और मनुष्य किसी को भी वश में करके अपने मन के अनुसार कार्य करवा सकते हैं. मान्यता है कि इस सीढ़ी के प्रभाव से हनुमान जी जितेंद्रीय और मन पर नियंत्रण रखते हैं.
जानते हैं हनुमान जी की नौ निधि के नाम और महत्व :
1) पद्म निधि :
पद्म निधि से सात्विकता के गुणों का विकास होता है. इस निधि से संपन्न जातक सात्विक होता हैं और हनुमान जी के ऐसे सात्विक भक्त को अपने जीवन में कभी भी धन – धान्य की कमी नहीं होती हैं माना जाता है कि ऐसे मनुष्य बहुत उदारवादी होते हैं और स्वर्ण, चांदी आदि का दान करता है.
2) महापद्म निधि :
महापद्म निधि से संपन्न व्यक्ति सात्विक होने के साथ इनकी धार्मिक भावनाएं भी प्रबल होती हैं परंतु यह सिर्फ सात पीढ़ियों तक असरदार रहता है और इस निधि से संपन्न सात पीढ़ियों तक सुख एवं समृद्धि मिलने के साथ ही इनका जीवन खुशहाली में बीतता है.
3) नील निधि :
नील निधि से संपन्न व्यक्ति में सत्व और जन दोनों गुण होते हैं इनके पास धन की कमी कभी नहीं होती हैं लेकिन इस निधि का प्रभाव सिर्फ तीन पीढ़ियों तक ही रहता है.
4) मुकुंद निधि :
मुकुंद निधि से संपन्न व्यक्ति में रजोगुण होने के साथ इनका मन राज्य संग्रह में लगा रहता है लेकिन इस निधि का असर एक पीढ़ी के बाद मुकुंद निधि खत्म हो जाती हैं.
5) नंद निधि :
नंद निधि से सुशोभित व्यक्ति में रज और तम दोनों गुण होता हैं. नंद निधि जातक को लंबी उम्र और उन्नति प्रदान करती हैं.
6) मकर निधि :
मकर निधि से सुशोभित व्यक्ति अस्त्र – शस्त्र संग्रह करने वाला होने के साथ इनका शत्रुओं पर प्रभुत्व की अधिकता रहता है और यह राजा एवं प्रशासन में अधिक प्रभाव रखता है.
7) कच्छप निधि :
कच्छप निधि से संपन्न व्यक्ति में तामस गुण होता है और यह धन छिपाकर रखते हैं, ना तो यह स्वंय इसका इस्तेमाल करते हैं और ना ही अन्य दूसरों को करने देते हैं.
8) शंख निधि :
शंख निधि से संपन्न मनुष्य भोग और विलास की भावना को रखता है और ऐसे व्यक्ति अधिक धन तो कमाते हैं किंतु घर में दरिद्रता का वास रहता हैं.
9) खर्व निधि :
खर्व निधि से सुशोभित व्यक्ति में अन्य आठ निधियों का मिश्रण रहता है और ऐसे व्यक्ति के कार्यों और स्वभाव के बारे में अनुमान लगाया नहीं जा सकता हैं.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) अष्टसिद्धि और नौ निधि के दाता कौन कहलाते हैं ?
हनुमान जी.
2) किस सिद्धि के बल से हनुमान जी बहुत सूक्ष्म रूप धारण कर सकते हैं ?
अणिमा निधि
3) किस निधि में सत्व और जन दोनों गुण होते हैं ?
नील निधि.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.