Hareli Tihar 2025 | छत्तीसगढ़ देश का एक ऐसा राज्य है जो कि पूरी तरह कृषि प्रधान राज्य है और इस राज्य के रहने वाले रहवासी पूरे साल भर खेती काम में लगे रहते हैं. धान की खेती इस राज्य की प्रमुख फसल है इसी कारण से छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहते हैं. छत्तीसगढ़ में बहुत सारे पर्व मनाएं जाते हैं इन सारे पर्वों में एक विशेष और महत्वपूर्ण पर्व है हरेली तिहार जिसको छत्तीसगढ़ राज्य का पहला त्यौहार कहा जाता हैं और यह त्यौहार छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है जिसको बहुत ही धूमधाम से फसलों की बुवाई के बाद मनाया जाता है और इसी दिन किसान अपने कृषि उपकरणों और बैलों की भी पूजा करते हैं.
जानते हैं हरेली तिहार 2025 में कब मनाया जाएगा :
छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध लोकपर्व हरेली तिहार हर साल सावन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है और इस साल 2025 में सावन माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत होगी 24 जुलाई 2025 दिन गुरुवार की सुबह 02 बजकर 28 मिनट से लेकर 25 जुलाई 2025 दिन शुक्रवार की रात्रि के 12 बजकर 40 मिनट तक.
साल 2025 में छत्तीसगढ़ का लोकपर्व हरेली तिहार 24 जुलाई दिन गुरुवार को मनाई जाएगी.
जानते हैं हरेली तिहार कैसे मनाया जाता है :
हरेली तिहार छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार होता है जो कि हर साल सावन माह के कृष्ण पक्ष अमावस्या को यहाँ के रहने वाले मिलजुलकर बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं. सावन के इस महीने में धान की रोपनी होती है और छत्तीसगढ़ के किसान अपने खेतों में जाकर धान रोपकर अपना काम पूरा करने के बाद घर आकर कृषि से जुड़े सारे उपकरणों की साफ – सफाई करके अपने कुलदेवी की पूजा जिसमें अक्षत मीठा को चढ़ाकर धूप और दीपक जलाकर करते है. इस दिन घरों में पकवान बनाकर उसका भी भोग लगाकर इस प्रसाद को गाय, भैंस और अन्य पालतू जानवर को खिलाया जाता है. मान्यता है कि इससे इन जानवरों को कोई भी बीमारी नहीं होती हैं. हरेली तिहार के दिन सभी लोग अपने – अपने दरवाजे पर नीम की टहनी तोड़कर टांग दिया करते हैं और इसी त्यौहार के दिन सुबह से ही बच्चे से लेकर युवा 20 से 25 फिट गेंड़ी बनाकर उस पर चढ़ते हुए पूरे गांव में घूमते हैं.
हरेली तिहार क्यों मनाया जाता हैं :
छत्तीसगढ़ के प्रमुख त्यौहारों में एक हरेली तिहार है जिससे यहां के लोग बहुत ही उत्साह के साथ मनाए करते हैं इस दिन सभी किसान अपने खेत में इस्तेमाल होने वाले सभी उपकरणों और औजारों को साफ – सफाई करने के बाद अपने खेतों में जाकर धान के बीज या फिर अन्य उगने वाले फसल होते हैं उसे बोया जाता है. जब बीज को बोया जाता है उस समय सभी किसान पूजा की सभी सामग्रियों को लेकर पूजा करके प्रार्थना किया जाता हैं कि हम जो भी फसल को बो रहें है वह फसल अच्छी हो. माना जाता है कि हरेली तिहार के दिन पूजा करने से पर्यावरण शुद्ध रहने के साथ सुरक्षित होता है जिससे जो भी फसल उगती है तो उसे किसी भी तरह की कोई भी बीमारी नहीं लगती हैं तो वही हरेली तिहार मनाने के पीछे मान्यता है कि इस त्यौहार को मनाने से फसल पर हानिकारक कीट का कोई प्रभाव नही पड़ता जिससे कि अनेकों बीमारियां नहीं होती हैं.
हरेली तिहार के महत्व :
हरेली तिहार मनाने से फसल अच्छी उगती है और फसलों को किसी भी तरह की कोई बीमारी नहीं लगती हैं. कहा जाता है कि इस त्यौहार को मनाने से पर्यावरण शुद्ध रहने के साथ ही सुरक्षित रहता हैं और इस तिहार के दिन खेतों में जाकर फसलों के साथ एक कांटे वाले पौधें को लगाकर उसे फूलों और मीठे अक्षत से पूजा करने से हानिकारक किट और कई बीमारियों से फसल का बचाव होता है. मान्यता है कि हरेली तिहार के दिन खेतों में जाकर उगे हुए फसल का पूजन दीपक धूप को जलाकर करने से घर में धन की देवी माँ लक्ष्मी का वास होता है जिससे कि घर में कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं होती हैं.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) हरेली तिहार को किस राज्य का पहला त्यौहार कहा जाता हैं ?
छत्तीसगढ़.
2) पंचाग के अनुसार हरेली तिहार कब मनाया जाता हैं ?
सावन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या.
3) साल 2025 में हरेली तिहार कब मनाया जाएगा ?
24 जुलाई 2025 दिन गुरुवार.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.