Shivling | शिवलिंग भगवान शिव का निराकार रूप है जो शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक होने के साथ यह ब्रह्मांड की समग्रता भी माना जाता है. शिवलिंग तो वैसे कई प्रकार के होते है और हर एक शिवलिंग की अपनी विशेषता और उनकी पूजा का अलग – अलग महत्व होता हैं लेकिन शिवपुराण और अन्य शास्त्रों में पारद और स्फटिक शिवलिंग को खास तौर पर फलदायक माना गया है. धार्मिक मान्यतानुसार शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर अपनी कृपा अपने भक्तों पर बरसाते हैं विशेषकर सावन मास में भगवान शिव की पूजा, शिवलिंग पर जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने का विशेष महत्व होता हैं. शिवलिंग तरह – तरह के होते हैं और हर किसी की अपनी एक अलग विशेषता और महत्व भी होता हैं.
जानते हैं शिवलिंग के प्रकार और इनकी पूजा के महत्व को :
Know the types of Shivling and the importance of worshipping them –
1) स्वयंभू शिवलिंग :
स्वयंभू शिवलिंग प्राकृतिक रूप से प्रकट होने वाले शिवलिंग होते हैं जैसे कि देश के सभी ज्योतिर्लिंगों स्वयंभू शिवलिंग है जिनकी पूजा का विशेष महत्व होने के साथ यह बहुत ही पवित्र और शुभ भी माना जाता है. मान्यता है कि इनके दर्शन करने से पुण्य की प्राप्ति होने के साथ ही मोक्ष की कामना भी पूर्ण होती हैं.
2) स्फटिक शिवलिंग :
स्फटिक शिवलिंग क्वार्टज क्रिस्टल से बने होते हैं और यह अपनी शुद्धता एवं पारदर्शिता के लिए पहचाने जाते हैं. यह शिवलिंग सकारात्मक ऊर्जा को विकिरण करने के साथ यह ध्यान और एकाग्रता में भी सहायता करता है मान्यता है कि स्फटिक शिवलिंग को घर में रखने और नियमित रूप से इसकी पूजा करना बहुत ही शुभ होता है और इसकी पूजा करने से मानसिक शांति मिलने के साथ ही सभी इच्छाएं भी पूर्ण होती हैं.
3) पारद शिवलिंग :
पारद शिवलिंग पारे को ठोस करके बनाया जाता हैं यही कारण है कि इसे पारद शिवलिंग कहा जाता हैं जिनकी महिमा का वर्णन शिव पुराण में मिलता है और इसको बहुत ही शुभ के साथ शक्तिशाली भी माना गया है जिसकी पूजा करने से सिद्धियों और मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता हैं. मान्यता है कि पारद शिवलिंग की पूजा करने से जीवन में सुख – समृद्धि , अच्छी स्वास्थ्य मिलने के साथ ही सभी प्रकार के नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति भी मिलती हैं.
4) पार्थिव शिवलिंग :
मिट्टी से बनाएं गए शिवलिंग को पार्थिव शिवलिंग कहा जाता हैं और इनका निर्माण एवं पूजा मनोकामनाएं को पूर्ण करने के लिए किया जाता हैं विशेषकर सावन माह में पार्थिव शिवलिंग का निर्माण पूजा करने के लिए और रुद्राभिषेक के लिए किया जाता हैं तो वही विशेष उद्देश्यों की पूर्ति के लिए भी पार्थिव शिवलिंग की पूजा को बहुत ही लाभकारी माना जाता हैं.
5) नर्मदेश्वर शिवलिंग :
नर्मदा नदी से प्राकृतिक रूप से प्राप्त होने वाले शिवलिंग नर्मदेश्वर शिवलिंग कहलाता है और इसको स्वयंभू शिवलिंग के समान ही पवित्र और पूजनीय माना जाता है धार्मिक मान्यता के अनुसार नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा के लिए किसी भी तरह की कोई विशेष विधान करने की आवश्यकता नहीं होती हैं और इसकी पूजा से बहुत ही लाभ की प्राप्ति होती हैं.
6) धातु निर्मित शिवलिंग :
धातु से कई तरह के शिवलिंग बनाएं जाते हैं जैसे कि सोना, चांदी, पीतल, तांबा और अष्टधातु से बने शिवलिंग और यह भी बहुत ही पूजनीय होते हैं मान्यता है कि मोक्ष और ज्ञान को पाने के लिए इन धातुओं से बने शिवलिंग का निर्माण और इनका पूजन किया जाता हैं.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) स्वयंभू शिवलिंग किसे कहा गया है ?
बारह ज्योतिर्लिंगों को.
2) शिवपुराण में किस शिवलिंग की महिमा का वर्णन किया गया है ?
पारद शिवलिंग.
3) पार्थिव शिवलिंग किससे बनाया जाता हैं ?
मिट्टी से.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.