Maa Vaishno Devi Mandir | माँ वैष्णो देवी का विश्व प्रसिद्ध और पवित्र मंदिर जम्मू – कश्मीर के कटरा शहर से तेरह (13) किलोमीटर की दूरी पर त्रिकुटा पर्वत पर स्थित हैं जो कि लगभग 5,200 फीट ऊंचा हैं. पर्वत के गुफा के भीतर तीन पवित्र पिंडियां हैं, दाई ओर माँ काली, बाई ओर माँ सरस्वती और मध्य में माँ लक्ष्मी और इन तीनों पिंडियों को सम्मिलित रूप को वैष्णो देवी कहा जाता हैं वैष्णो देवी माँ के दर्शन करने के लिए लाखों भक्त हर साल त्रिकुटा पर्वत पर आते हैं. हिंदू धर्म में इस मंदिर का बहुत ही विशेष धार्मिक महत्व है, विशेषकर अर्द्धकुंवारी मंदिर की ऐसी धार्मिक मान्यता है कि जो भी भक्त माँ वैष्णो देवी की यात्रा करते हैं उसको अर्द्धकुंवारी मंदिर के दर्शन अवश्य करना चाहिए तो चलिए जानते हैं माँ वैष्णो देवी के मंदिर से जुड़े रहस्यों को.
जानें माँ वैष्णो देवी मंदिर के अर्द्धकुंवारी मंदिर के बारे में :
माँ वैष्णो देवी मंदिर से जुड़े कई रहस्य है जिनमे से एक है एक गुफा जिसको “गर्भजून गुफा” कहा जाता हैं और इसी गर्भजून गुफा को अर्द्धकुंवारी मंदिर कहा जाता हैं. कहा जाता हैं कि जो भी भक्त इस गुफा के दर्शन करता है उसके जीवन में सुख व समृद्धि का आगमन होने के साथ वह जीवन – मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है. इस रहस्यमयी गुफा दिखने में छोटी है लेकिन इस गुफा से हर तरह के भक्त आसानी से बिना किसी परेशानी से निकल जाता हैं इसको को लेकर मान्यता है कि माँ वैष्णो देवी इसी गुफा में नौ महीने तक छिपकर तपस्या किया था ठीक उसी प्रकार से जैसे एक शिशु अपनी माँ के गर्भ में रहता है यही कारण से यह धार्मिक मान्यता है कि इस गुफा में प्रवेश करने से महिलाओं को गर्भावस्था और प्रसव के समय कष्टों का सामना करना नहीं पड़ता हैं.
जानें किससे छिपकर माँ ने गुफा में बिताएं थे नौ महीने :
पौराणिक कथानुसार एक बार त्रिकुटा पर्वत पर एक सुंदर कन्या को देखकर राक्षस भैरवनाथ उनको पकड़ने के लिए दौड़ा किंतु वह कन्या वायु रूप में स्वयं को बदलकर त्रिकुटा पर्वत पर पहुँची और एक गुफा के भीतर माँ ने नौ महीने तक तपस्या किया कहा जाता है कि माँ जिस समय गुफा में रहकर तपस्या कर रही थी उस समय हनुमान जी गुफा के द्वार पर पहरा दे रहें थे. नौ महीने के पश्चात भैरवनाथ माँ को ढूढ़ते हुए गुफा तक आया तब एक साधु ने भैरवनाथ को बताया कि वह कोई साधारण कन्या नहीं बल्कि वह आदिशक्ति जगदम्बा हैं इसलिए तुम उस महाशक्ति का पीछा करना छोड़ दो लेकिन राक्षस भैरवनाथ ने साधु की बात नहीं मानी.
माँ तब गुफा की दूसरी ओर से रास्ता बनाकर बाहर निकली थी और यह गुफा आज भी अर्द्धकुंवारी और गर्भजून के नाम से प्रचलित है. इसके बाद गुफा से निकलकर देवी का रूप धारण करके उस कन्या ने भैरवनाथ को वापस जाने को कहकर पुनः गुफा में चली गई लेकिन भैरवनाथ नहीं माना और वह गुफा में प्रवेश करना चाहा तब गुफा के द्वार पर पहरा दे रहे हनुमानजी ने उसे चेतावनी दिया फिर भी भैरवनाथ नहीं माना तब माँ ने महाकाली का रूप धारण करके राक्षस भैरवनाथ का वध किया.
वध के बाद भैरवनाथ को अपनी भूल का पश्चाताप हुआ और उसने माँ से क्षमायाचना किया. माँ वैष्णो देवी जानती थी कि इस हमला के पीछे भैरव का मुख्य उद्देश्य मोक्ष को प्राप्त करने की थी. तब माँ वैष्णो देवी ने न केवल भैरवनाथ को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति दिया बल्कि उसको वरदान देते हुए कहा कि मेरे दर्शन तब तक पूरे नहीं माने जाएंगे जब तक कोई भक्त मेरे दर्शन के बाद तुम्हारे दर्शन नहीं करेगा.
धार्मिक मान्यता है कि भैरवनाथ जा धड़ शरीर से अलग होकर तीन किलोमीटर दूर गिरा था और यही स्थान वर्तमान समय में भैरव मंदिर से प्रसिद्ध है कहा जाता है कि जो भक्त माँ वैष्णो देवी के दर्शन के लिए त्रिकुटा पर्वत पर जाता है वो इनका दर्शन के पश्चात भैरव मंदिर भी अवश्य जाता हैं तभी उसकी यात्रा सफल मानी जाती हैं.
माँ वैष्णो देवी मंदिर के महत्त्व :
जम्मू कश्मीर के कटरा में माँ वैष्णो देवी का मंदिर हिंदू धर्म में एक पवित्र तीर्थ स्थल माना गया है जिसकी मान्यता है कि जो भी भक्त माँ वैष्णो देवी के दर्शन करने जाता है उसके सभी कष्ट दूर होने के साथ देवी माँ का आशीर्वाद व कृपा मिलसे सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
उम्मीद है कि आपको मां वैष्णो देवी मंदिर के रहस्यों से जुड़ा हुआ यह लेख पसन्द आया होगा तो इसे अधिक से अधिक अपने परिजनों और दोस्तों के बीच शेयर करें और ऐसे ही अन्य धार्मिक स्थलों से जुड़े रहस्यों को पढ़ने के लिए जुड़े रहें madhuramhindi.com के साथ.
FAQ – सामान्य प्रश्न
1) माँ वैष्णो देवी का मंदिर किस पर्वत पर स्थित हैं ?
त्रिकुटा पर्वत
2) त्रिकुटा पर्वत किस शहर में हैं ?
जम्मू कश्मीर के कटरा शहर.
3) माँ वैष्णो देवी किससे छिपकर गुफा में नौ महीने तपस्या किया था ?
राक्षस भैरवनाथ.
4) माँ वैष्णो देवी किस गुफा में नौ महीने तपस्या किया था ?
गर्भजून गुफा या अर्द्धकुंवारी मंदिर.
5) माँ वैष्णो देवी के तपस्या के दौरान गुफा के बाहर कौन पहरा दे रहे थे ?
हनुमान जी.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.