Dussehra | सनातन धर्म में दशहरे पर्व का बहुत महत्व होता है. यह पर्व हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाई जाती है और इस दिन को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता हैं. कहा जाता हैं कि दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी को देखना बहुत ही शुभ माना जाता है क्योंकि पौराणिक मान्यता है कि नीलकंठ पक्षी को दशहरे के दिन देखने से भाग्योदय होने के साथ दरिद्रता भी दूर होती हैं यही कारण है कि इस दिन हर कोई इसको देखने की कामना करते हैं इसके अलावा नीलकंठ पक्षी को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी माना गया है.
दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी को देखने के रहस्य और धार्मिक महत्व :
1) आइए जानते हैं इसके पौराणिक महत्व को :
विष्णु पुराण के अनुसार नीलकंठ (Neelkanth) पक्षी भगवान विष्णु का वाहन माना गया है तो वहीं शिव पुराण में नीलकंठ पक्षी को भगवान शिव का गण कहा गया है इसके साथ ही गर्ग संहिता और गरुड़ पुराण में नीलकंठ पक्षी को शुभ और मंगलकारी बतलाकर वंदना किया गया है. मान्यता है कि जब श्रीराम ने जब रावण का वध किया तो उनके ऊपर ब्राह्मण हत्या का दोष लगा और इस दोष से मुक्त होने के लिए भगवान श्रीराम ने भगवान शिव की कठोर तपस्या एवं पूजा अर्चना किया था तब भगवान शिव, श्रीराम की इस तरह की तपस्या और पूजा अर्चना देखकर खुश हुए तब उन्होंने धरती पर नीलकंठ पक्षी का रूप धारण करके भगवान श्रीराम को दर्शन दिया जिसके फलस्वरूप राम जी को ब्राह्मण हत्या दोष से मुक्ति मिली थी तो वही अन्य धार्मिक ग्रँथों में दुर्गा माता की सहचरी के रूप में नीलकंठ पक्षी को माना गया है और मान्यता है कि शारदीय नवरात्र समाप्ति होने पर जब दुर्गा माता वापस कैलाश धाम को लौटती हैं तो नीलकंठ उनका मार्गदर्शन करता है.
2) भगवान शिव और बुराई पर अच्छाई का जीत का प्रतीक :
धर्म शास्त्रों के अनुसार नीलकंठ को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है और नीलकंठ पक्षी को भगवान शिव का स्वरूप माना गया है क्योंकि समुंद्र मंथन के समय जब देवताओं और राक्षसों ने अमृत को प्राप्त करने के लिए समुंद्र मंथन किया गया जिससे कि उसमें से निकला हलाहल विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया था जिसके कारण से उनका कंठ नीला हो गया इसलिए भगवान शिव को नीलकंठ भी कहा जाता हैं ऐसे में नीलकंठ पक्षी को दशहरे के दिन देखना शुभ संकेत होने के साथ माना जाता है कि इस पक्षी के दर्शन से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होने के साथ जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जिससे कि आने वाले समय में सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ ही जीवन में सफलता भी मिलती हैं तो वही हिन्दू परंपरा और धार्मिक मान्यतानुसार दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी को देखना बहुत ही शुभ संकेत माना जाता है क्योंकि इसका दर्शन महिषासुर, चंड – मुंड, शुंभ – निशुंभ और भगवान श्रीराम का रावण पर विजय के रूप में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता हैं.
3) नीलकंठ पक्षी के दर्शन से विवाह के योग का बनना :
मान्यता है कि नीलकंठ को दशहरे के दिन को देखने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती है जिससे कि विवाह का योग बनते हैं इसलिए विवाह योग्य व्यक्ति को दशहरे के दिन नीलकंठ के अवश्य दर्शन करना चाहिए.
4) सकारात्मक ऊर्जा का संचार का होना :
नीलकंठ को सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है इसलिए इसके दर्शन से नकारात्मक ऊर्जा दूर होने के साथ ही जीवन में खुशहाली का आगमन होता है.
5) नीलकंठ पक्षी के दर्शन करने के धार्मिक महत्व को :
दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी को देखने से जीवन में सुख – सौभाग्य में वृद्धि होती हैं.धार्मिक मान्यता है कि जिसके घर ने नीलकंठ पक्षी आता है उस घर में धन की देवी माँ लक्ष्मी हमेशा के लिए वास करती है जिससे कि धन की कभी भी कमी नहीं होती हैं तो वही यह भी माना जाता है कि दशहरे के दिन किसी कठिन से कठिन काम से निकलने पर अगर नीलकंठ के दर्शन हो जाता है तो दुर्गा माता और भगवान शिव की कृपा से उस कार्य का पूरा होना तय माना जाता है.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) दशहरे के दिन किस पक्षी को देखना शुभ माना जाता है ?
नीलकंठ पक्षी.
2) नीलकंठ पक्षी किस भगवान का प्रतीक माना जाता है ?
भगवान शिव.
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