Brahma ji | सनातन धर्म त्रिमूर्ति के रूप में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा होती हैं. मान्यता है कि ब्रह्मा सृष्टि के रचयिता, विष्णु संरक्षक और शिव संहारक हैं यानि तीनों का व्यापक महत्व हैं. ब्रह्मा जी वेद ज्ञान के प्रचारक भी माने जाते हैं क्योंकि भागवत पुराण के अनुसार जिस क्षण समय और ब्रह्याण्ड का जन्म हुआ था, उसी क्षण ब्रह्मा हरि के नाभि से निकले एक कमल के पुष्प से उभरे ब्रह्मा जी के चार मुख और चार भुजाएं है प्रत्येक भुजा में एक एक वेद है. व्यास द्वारा लिखित पुराणों के अनुसार ब्रह्माजी के पांच मुख थे लेकिन पांचवां मुख भगवान शंकर ने क्रोध में आकर काट दिया.
Brahma ji | ब्रह्मा जी के पांचवे मुख का रहस्य
तो चलिय जानते है इस रहस्य को आखिर क्यों काटा भगवान शंकर ने ब्रह्मा के पांचवे मुख को.शास्त्र के अनुसार कहा जाता हैं कि ब्रह्मा जी ने सृजन के दौरान ही सरस्वती को उत्पन्न किया था वह मेधावी होने के साथ बेहद खूबसूरत थीं और ब्रह्मा जी उसकी सुंदरता से मुग्ध हो गए और उनके प्रति आकर्षित हो गए तथा उन्हे टकटकी लगा कर निहारने लगे, सरस्वती ने ब्रह्मा की दृष्टि से बचने हर कोशिश की किन्तु असफल रहीं कहा जाता है कि सरस्वती में हज़ारों जानवरों में बदल जाने की शक्ति थी और उन्होंने ब्रह्मा जी से बचने के लिए ऐसा किया भी लेकिन ब्रह्माजी ने जानवर रूप में भी उन्हें परेशान करना नही छोड़ा. सरस्वती को पिता के पूरी तरह मनोभाव का पता चला तो वह आकाश में छिप गई लेकिन ब्रह्माजी का पांचवा मुख ऊपर की ओर था उन्होंने उससे सरस्वती को खोज निकाला इसके बाद ब्रह्मा जी ने सरस्वती से शादी कर ली अपनी बेटी से शादी नैतिक अपराध था ,इसे देखते हुए सभी देवताओं ने भगवान शंकर से आग्रह किया कि वह ब्रह्मा को दंडित करें क्रोध में भगवान शंकर ने ब्रह्मा जी के पांचवें मुख को काट दिया.
शास्त्र अनुसार भगवान शंकर ने इसके अलावा भी ब्रह्मा जी शाप के रूप में दंड दिया जिसके मुताबिक त्रिदेवों में शामिल होने के बाद भी ब्रह्माजी की पूजा उपासना नहीं होगी यही वजह है कि आज भी हर जगह शिव और विष्णु की पूजा होती है लेकिन ब्रह्माजी को उपेक्षित रखा जाता हैं.यहां एक बात स्पष्ट किया जाये की ब्रह्माजी ने अपने मन से 10 पुत्रों को जन्म दिया जिन्हें मानसपुत्र कहा जाता है, ये मानस पुत्र है – अत्रि, अंगिरस, पुलस्त्य, मरीचि, पुलह, क्रतु, वशिष्ठ, दक्ष और नारद.
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