Parshuram | परशुराम जी भगवान विष्णु को छठवें अवतार माने जाते हैं, शास्त्रों के अनुसार परशुराम जी का जन्म वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था, इस दिन को अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता हैं उनके पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था और इनके चार बड़े भाई थे. परशुराम जी को न्याय देवता मानने के साथ इन्हें आवेशावतार भी कहा जाता है. इसी आवेश (क्रोधित) स्वभाव तथा पितृ भक्ति के कारण एक दिन उन्होंने अपनी माता का सिर काट दिया था.
एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि उनके पिता ने उन्हें उनकी ही माता का सिर काटने का आदेश दिया, तो चलिय जानते है इस रहस्य को की आखिर परशुराम ने अपनी माता का सिर क्यों काटा.
Parshuram | क्यों काटा अपनी माता का सर परशुराम जी ने
एक बार परशुराम की माँ रेणुका आश्रम के पास नदी में स्नान करने गयी थी वहां पर उन्होंने राजा चित्ररथ को अन्य अप्सराओं के साथ स्नान और क्रीड़ा करते देखा. राजा चित्ररथ दिखने में बहुत ही सुंदर और आकर्षक शरीर वाले थे उनको अप्सराओं के साथ क्रीड़ा करते देखकर रेणुका का मन विचलित हो गया और वह चित्ररथ को मोहक नज़रों से देखती रही इसी कारण उन्हें स्नान करके वापस आश्रम में आने में देरी हो गयी. जब रेणुका स्नान करके वापस आश्रम लौटी तो उनके हाव भाव बदले थे क्योंकि उनके मन में अभी भी वही दृश्य चल रहा था, चूँकि ऋषि जमदग्नि एक महान मुनि और तपस्वी थे तो उन्होंने अपने तप के बल पर रेणुका की मनोस्थिति व मनोभाव को भी जान लिया. यह देखकर उन्हें इतना क्रोध आया कि उन्होंने अपने सबसे बड़े पुत्र को अपनी माँ का गला काट देने का आदेश दिया. उनका सबसे बड़ा पुत्र अपनी माँ के प्रेम में ऐसा नहीं कर पाया इसी प्रकार उन्होंने दूसरे और तीसरे पुत्र को आदेश दिया, लेकिन वे दोंनो भी मातृ प्रेम में ऐसा नहीं कर पाए. एक तरफ तो माँ की हत्या का पाप लगता तो दूसरी तरफ पिता की आज्ञा ना मानने का पाप लगता एक तरह से एक धर्म संकट ही था फिर भी उन्होंने मातृ हत्या करने से मना कर दिया.
अपने पुत्रों के द्वारा स्वयं की ऐसी अवहेलना किये जाने पर ऋषि जमदग्नि को बहुत की क्रोध आया और इसी क्रोध में अपने तीनों पुत्रों को श्राप दिया कि वे तीनों अपना विवेक, बुद्धि और सभी ज्ञान खो देंगें. इसके बाद ऋषि जमदग्नि ने अपने सबसे छोटे पुत्र परशुराम को अपनी माँ रेणुका का सिर को काटने को कहा. पिता का आदेश मिलते ही परशुराम ने बिना देर किए एक पल में ही अपनी माँ के सिर को काट दिया जिससे माँ निष्प्राण हो गयी, ये देखकर परशुराम के पिता जमदग्नि बहुत ही प्रसन्न हुए और इसी प्रसन्नता से परशुराम को वरदान मांगने को कहा. यहां पर परशुराम ने समझदारी से काम लेते हुए अपने पिता से तीन वर मांगे. पहले वर में उन्होंने अपनी मां को पुनः जीवित करने को कहा, दूसरी वर में उन्होंने मांगा की उनकी माँ को उनकी हत्या की स्मृति ना रहे और तीसरे वर में उन्होंने अपने तीनों भाइयों का विवेक और बुद्धि मांग ली. ऋषि जमदग्नि अपने पुत्र की समझदारी से बहुत प्रसन्न हुए और इसी प्रसन्नता में तीनों वरदान दे दिया. परशुराम जी की माँ पुनः जीवित हो गयी इसके बाद सब कुछ फिर सामान्य हो गयी. भगवान परशुराम ने अपनी माँ रेणुका को पुनः जीवित तो करवा लिया किन्तु उनके ऊपर मातृ हत्या का पाप लग चुका था इससे मुक्ति के लिए उन्होंने भगवान शिव की कठिन तपस्या किया और मातृ हत्या के पाप से मुक्ति पाई.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
भगवान विष्णु के छठे अवतार कौन हैं ?
परशुराम जी
परशुराम जी के माता और पिता का क्या नाम है?
परशुराम जी के पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था
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