Aparajita Stotra | हिंदू धर्म में अपराजिता स्रोत एक विशेष प्रार्थना है जिसको मां दुर्गा भगवती की अपराजिता रूप की उपासना और आराधना के लिए किया जाता है. धार्मिक मान्यता हैं कि अपराजिता स्तोत्र को पढ़ने से साधक को शक्ति मिलने के साथ उसकी किसी भी तरह की भय, विपत्ति और नकारात्मक शक्तियों से यह स्रोत मुक्त भी करता है. पौराणिक कथानुसार देवता भी इस देवी अपराजिता की आराधना उपासना करते थे यहां तक की ब्रह्मा, विष्णु, महेश नियमित रूप से देवी का ध्यान करते थे. अपराजिता स्तोत्र संस्कृत में रचित है और इसमें भगवती दुर्गा के शक्ति और शौर्य का उल्लेख करने के साथ इसका भी जिक्र किया गया है कि भगवान विष्णु की एक शक्ति है जिसको किसी अन्य विद्या द्वारा पराजित नहीं किया जा सकता है.
अपराजिता स्रोत को पढ़ने और सुनने के लाभ :
1) हर तरह की बाधाओं से छुटकारा मिलना :
अपराजिता स्रोत को पढ़ने या फिर सुनने से दुःस्वप्न, दुरारिष्ट के अलावा अन्य विध्न बाधाएं शांत होने के साथ इसका पाठ इन सबसे मुक्ति भी दिलाता है.
2) सकारात्मक ऊर्जा को प्राप्त करना :
अपराजिता स्त्रोत को पढ़ने से व्यक्ति को बहुत अधिक मात्रा में सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती हैं जिससे कि भूत – प्रेत बाधाओं के साथ नकारात्मक शक्तियों के अलावा असाध्य रोगों विशेष तौर पर कैंसर जैसे बीमारी से रक्षा होती हैं.
3) सभी प्रकार के शत्रुओं पर विजय प्राप्त होना :
अपराजिता स्त्रोत को नियमित पाठ करने से हर प्रकार के शत्रुओं, तंत्र – मंत्र के प्रभावों का शमन होता है जिससे कि वे पराजित होते है और किसी भी प्रकार के विध्न पर विजय दिलाता है.
4) दोष निवारण :
अपराजिता स्त्रोत को पढ़ने से नवग्रह दोष, कालसर्प दोष, पितृ दोष और मांगलिक दोष जैसे कई प्रकार के दोषों से मुक्ति मिलती हैं.
5) शारिरिक और मानसिक स्वास्थ्य में लाभ :
अपराजिता स्त्रोत को पढ़ने या फिर सुनने से रोग और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलने के साथ ही शारिरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता हैं.
6) सरकारी और कानूनी कार्यों में सफलता प्राप्त होना :
अपराजिता स्त्रोत को मुकदमों में जीत दिलाने के साथ सरकारी कार्यों में विजय प्राप्त करने के लिए यह एक अचूक उपाय बताया गया है.
7) मनोकामनाएं की पूर्ति और प्रजनन क्षमता में वृद्धि होना :
अपराजिता स्त्रोत को नियमित रूप से पढ़ने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ इसके पाठ से निःसंतान को संतान की भी प्राप्ति होने के साथ ही जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता हैं.
अपराजिता स्त्रोत को पढ़ने के नियम :
1) शरीर और मन की शुद्धि के लिए पूजा से पहले स्नानादि करके साफ और स्वच्छ वस्त्र को धारण करना चाहिए.
2) लाल ऊनी आसन पर बैठें और अपने समक्ष एक चौकी पर दुर्गा माँ की मूर्ति या फिर तस्वीर को स्थापित करें.
3) माँ दुर्गा को स्थापित करने के बाद इनके सामने सरसों या फिर तिल के तेल का दीपक जलाकर देवी माँ को आठ गुलाब, गुड़हल या फिर लाल कनेर पुष्प को अर्पित करके प्रसाद के तौर में फल और मिठाई को चढ़ाएं.
4) इसके बाद हाथ में जल लेकर अपराजिता विनियोग करके जल को भूमि पर छोड़ दें और इसके पश्चात ध्यानपूर्वक और श्रद्धा से अपराजिता स्त्रोत का पाठ धीमें ओर स्पष्ट शब्दों में पढ़ें.
5) अपराजिता स्त्रोत को विशेषकर शुक्रवार के दिन से शुरुआत करना चाहिए और इसे सुबह की पूजा के समय पढ़ना बहुत शुभ माना गया है.
6) पूजा के अंत में देवी माँ की आरती उतारे और माँ की मूर्ति के चारों ओर प्रदक्षिणा करके प्रणाम करें और अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए देवी माँ से प्रार्थना करें.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) अपराजिता स्त्रोत में किस देवी माँ की शक्ति और शौर्य का उल्लेख किया गया है ?
माँ भगवती दुर्गा.
2) अपराजिता का मतलब क्या होता है ?
जिसे कोई पराजित नहीं किया जा सकता.
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