Mangal Kalash | हिंदू धर्म में सभी धार्मिक कार्यों में कलश का बहुत विशेष महत्व है, चाहे किसी भी मांगलिक काम को शुभारंभ करना हो या फिर नया व्यापार शुरू करना हो इसके अलावा नव वर्ष आरंभ, गृह प्रवेश दिवाली पूजन, यज्ञ अनुष्ठान, दुर्गा पूजा नवरात्रि आदि के अवसर पर सबसे पहले कलश की स्थापना की जाती है और उसके बाद ही शुभ काम को शुरू किया जाता है. कलश शुभ और मंगल कामनाओं का प्रतीक होता है मान्यता है कि कलश के मुख में भगवान विष्णु कंठ में भगवान शिव और मूल में भगवान ब्रह्माजी जी का और कलश के मध्य भाग में दैवीय मातृ शक्तियां का वास होता हैं इसके अलावा कलश में सभी देवी देवताओं और तीर्थ का वास भी माना जाता है. कलश को संपन्नता और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना जाता है खासकर नवरात्रि के दिनों में मंदिरों तथा घरों में कलश स्थापना किया जाता है मान्यता है कि इससे नौ देवियों की विशेष कृपा व आशीर्वाद बनी रहती है.
Mangal Kalash | वास्तु के अनुसार मंगल कलश की स्थापना कैसे की जाए :
वास्तु (Vastu) के अनुसार पूजा में उपयोग होने वाले मंगल कलश की स्थापना हमेशा ईशान कोण में की जाती है. ईशान कोण पर जहां कलश को स्थापित करना है वहां मिट्टी का वेदी को बनाएं और फिर उस पर हल्दी से अष्टदल बनाकर उसके ऊपर कलश को रखें अब कलश में जल भरकर उसमें एक सिक्का, दूर्वा, चंदन, सुपारी, हल्दी, अक्षत, लौंग, इलायची और पान को डालें इसके पश्चात कलश पर आम के पत्ते रखकर उसके मुख पर नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर रख दें और उसके बाद कलश पर रोली या कुमकुम से स्वस्तिक को बनाएं मान्यता है कि कलश पर बनाएं जाने वाले स्वस्तिक का चिन्ह चार युगों का प्रतीक होता है. स्वस्तिक बनाने के बाद कलश पर कलावा या रक्षा सूत्र (मोली) बांधे इसके बाद पंचोपचार से कलश की विधिवत पूजन करें माना जाता है कि इससे व्यक्ति को सभी दुखों से मुक्ति मिलती हैं.
Rules for establishing Mangal Kalash | मंगल कलश स्थापना करने के नियम को :
पूजा में इस्तेमाल होने वाला मंगल कलश हमेशा सोना चांदी तांबे या फिर मिट्टी का बना होना चाहिए कभी भी पूजा के लिए लोहे के कलश को इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. जिस स्थान पर मंगल कलश को स्थापित करना है उसे स्थान पर पहले गंगाजल के छीटें मारकर उस स्थान को पवित्र करके तभी उस स्थान पर मंगल कलश को स्थापित करें लेकिन ध्यान रखें कि कलश को हमेशा उत्तर या उत्तर पूर्व दिशा में रखें मान्यता है कि इससे घर में सभी देवी देवताओं का आगमन होता है और शुभ फलों की भी प्राप्ति होती है.
Mangal Kalash Ka Mahatv | मंगल कलश को स्थापना करने के महत्व :
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंगल कलश स्थापित करने से व्यक्ति के सभी संकट दूर हो जाते हैं और साथ ही से घर में सुख समृद्धि भी बनी रहती है मान्यता है कि घर में कलश स्थापना करने से मां लक्ष्मी का वास हमेशा घर में बना रहता है जिससे की आर्थिक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता और साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा का भी संचार होता है. माना जाता है की कलश के मुख में विष्णु जी का वास होता है और कंठ में भगवान शिव और मूल में ब्रह्माजी स्थित होते हैं और इसके साथ ही कलश के मध्य में देवी मातृ शक्तियों का वास रहता है. कलश में भरा हुआ पवित्र जल इस बात का इशारा करता है कि हमारा मन भी जल की तरह हमेशा शीतल स्वच्छ और निर्मल बना रहे और साथ ही भक्त क्रोध, लोभ, मोह, माया, ईर्ष्या और घृणा जैसी बुरी भावनाओं से भी दूर रहे.
पौराणिक कथाओं में कलश की पवित्रता और दिव्यता का वर्णन मिलता है जैसे समुद्र मंथन में देवताओं और असुरों द्वारा मंदराचल पर्वत को मथने से अमृत कलश निकला था. ऋग्वेद में सोम पूरित और अथर्ववेद में घी और अमृत पूरित कलश का उल्लेख मिलता है.माना जाता है कि जीवन से लेकर मृत्यु तक कलश का अनेक रूपों में प्रयोग किया जाता है.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
मंगल कलश को किस दिशा में स्थापित करना चाहिए ?
उत्तर या उत्तर पूर्व दिशा में.
मंगल कलश के मुख में किस भगवान का वास होता है ?
भगवान विष्णु.
कलश को घर में स्थापित करने से किस ऊर्जा का संचार होता है ?
सकारात्मक ऊर्जा.
कलश के मध्य में किनका वास होता हैं ?
दैवीय मातृ शक्तियां .
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