Shrimad Bhagvat Geeta | श्रीमद्भागवत गीता को हिंदुओं का दिव्य ग्रँथ कहा जाता हैं. श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण के दिए गए उन उपदेशों का उल्लेख किया गया है जो उन्होंने कुरुक्षेत्र की भूमि पर खड़े होकर महाभारत युद्ध के समय अर्जुन को दिए थे. भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा दिया गया उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितना द्वापर युग में था. श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता के उपदेशों के द्वारा बताया कि जो व्यक्ति गीता को उपदेशों को पढ़कर भली भांति समझ लें तो वह व्यक्ति जीवन में कभी असफल नहीं हो सकता, वैसे अपने स्वभाव से ही व्यक्ति असफल होता है हालांकि अगर व्यक्ति सही समय पर अपने इन स्वभावों में सुधार नहीं पाता है तो वह कभी भी अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता हैं.
जानते हैं उन व्यक्ति के बारे में जिनको किसी काम में सफलता नहीं मिलती :
1) अशांत मन वाला व्यक्ति :
श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं – हे अर्जुन ! इस संसार में कुछ ऐसे व्यक्ति होते हैं जिसका मन किसी न किसी कारण से अशांत रहते हैं तो ऐसे व्यक्ति जिसका मन निरंतर अशांत रहता हो वह कभी भी सही निर्णय लेने में सक्षम नहीं होते हैं.
2) डरपोक और कमजोर व्यक्ति :
श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हुए कहते हैं – हे अर्जुन ! जो मनुष्य स्वभाव से डरपोक और कमजोर होते हैं वह कभी भी अपने जीवन में सफलता प्राप्त नही कर सकते. ऐसे मनुष्य अपने लक्ष्य को हासिल करने में सदैव असफल होते हैं क्योंकि डरपोक और कमजोर स्वभाव के व्यक्ति हर कार्य को अपने भाग्य पर छोड़ देते हैं.
3) दूसरों पर भरोसा करने वाला व्यक्ति :
भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता में अर्जुन को उपदेश देते हुए कहते हैं – हे अर्जुन ! जो मनुष्य दूसरों पर विश्वास और भरोसा करता है और उसी के साथ खुद भी चलता है तो ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में कभी सफल नहीं हो पाते हैं क्योंकि दूसरों के साथ चलने से न ही उसे अपना लक्ष्य मिलता है और ना ही प्रसन्नता मिलती हैं इसलिए अर्जुन मनुष्य को दूसरों पर विश्वास करने से अधिक अपने कर्म पर भरोसा व विश्वास रखना चाहिए.
4) मन पर काबू नहीं रखने वाला व्यक्ति :
श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हुए कहते हैं – हे अर्जुन ! व्यक्ति का मन बड़ा ही चंचल होता है वह एक स्थान पर टिक नहीं सकता हैं और जो व्यक्ति अपने मन पर काबू नहीं रख सकता है वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में रह जाते हैं इसलिए अर्जुन व्यक्ति को कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए मन को नियंत्रण में रखना बहुत आवश्यक होता हैं.
5) क्रोधी स्वभाव वाला व्यक्ति :
भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता का उपदेश देते हुए अर्जुन से कहते हैं – हे अर्जुन ! जो व्यक्ति क्रोधी स्वभाव का होता है वह कभी भी अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकता है. ऐसे व्यक्ति क्रोध में गलत फैसले लेने पर मजबूर हो जाता है जिसके वजह से उसका बना बनाया काम भी कभी कभी बिगड़ जाता हैं.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) हिंदुओं का दिव्य ग्रँथ किसे कहा जाता हैं ?
श्रीमद्भागवत गीता .
2) श्रीमद्भागवत गीता में किसने किसको उपदेश दिया है ?
भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.