Garuda Purana | हिंदू धर्म के अठारह (18) पुराणों में से एक गरूड़ पुराण हैं जिनके मुख्य देवता भगवान विष्णु हैं. गरुड़ पुराण में मृत्यु और उसके बाद कि स्थिति का वर्णन करने के साथ पितृ दोष के कारणों के साथ इनसे होने वाली समस्याओं का भी उल्लेख किया गया. धार्मिक मान्यता है कि पितृ दोष बहुत ही कष्टकारी होता है और अगर किसी को पितृ दोष लग जाएं तो उसको अपने जीवन में कई तरह के परेशानियों से जूझना पड़ता है तो वहीं गरुड़ पुराण में वर्णित किया गया है कि पितृ दोष सिर्फ कुछ सालों तक नहीं बल्कि कई पीढ़ियों तक चलता है तो आइए विस्तार से जानते हैं गरुड़ पुराण में बताए गए पितृ दोष के रहस्य को.
पितृ दोष क्यों लगता हैं :
गरुड़ पुराण के अनुसार पितृ दोष (Pitra Dosh) तब लगता है जब घर में किसी सदस्य की अचानक मृत्यु हो जाएं और उसका अंतिम संस्कार या श्राद्ध कर्म सही तरीके से नहीं किया जाएं तो उसकी आत्मा को शांति नहीं मिल पाती और यह पितृ दोष का कारण बनती है इसके अलावा अगर पितरों का अपमान किया जाएं या फिर किसी पूर्वज के कुछ अधूरा कार्य या फिर इच्छाएं बाकी रह गई हैं तो इन्ही कारणों से वंशजों को विशेषकर घर के मुखिया को पितृ दोष का सामना करना पड़ता है.
पितृ दोष कितने समय तक चलता है :
गरुड़ पुराण के अनुसार अगर कोई व्यक्ति पितृ दोष से पीड़ित होता है तो उसका असर केवल उसी व्यक्ति तक ही सीमित नहीं रहता बल्कि उसके साथ रहने वाले परिवार के सदस्यों पर भी पड़ता है. मान्यता है कि घर के मुखिया पर लगा पितृ दोष के कारण से घर के बाकी सदस्य को भी किसी न किसी समस्या से सामना करना पड़ता हैं और अगर पितृ दोष का निवारण नहीं किया जाएं तो पितृ दोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती हैं. गरुड़ पुराण में बताया गया है कि पितृ दोष का प्रभाव लगभग सात ( 7) पीढ़ियों तक चलता है और यह दोष मनुष्य के कर्मों और पितरों के प्रति किए गए कार्यों पर निर्भर करता है.पितृ दोष आमतौर पर सात पीढ़ियों तक रहने केवजह से वंश को आगे बढ़ाने में समस्याएं आने के साथ ही पितृ दोष लगे घर में बार – बार संतानों की अचानक मृत्यु भी होने की संभावना रहती हैं.
जन्मकुंडली से कैसे पता चलता है कि पितृ दोष लगा है :
ज्योतिष शास्त्र में पितृ दोष का कारण जब किसी की कुंडली के लग्न भाव और पांचवे भाव में सूर्य मंगल और शनि विराजमान होते हैं तो पितृ दोष बनाते हैं इसके साथ कुंडली के अष्टम भाव में गुरु और राहु एक साथ आकर बैठते है तब भी पितृ दोष का निर्माण होता हैं.जब कुंडली में राहु केंद्र में या त्रिकोण में मौजूद होता है तो पितृ दोष बनता है इसके साथ जब सूर्य, चंद्रमा और लग्नेश का राहु से संबंध बनता है तब किसी की कुंडली में पितृ दोष बनता है तो वही गरुड़ पुराण के अनुसार अगर घर के मुखिया ने किसी जीव – जंतु, सांप या फिर किसी कमजोर और असहाय व्यक्ति की हत्या या फिर उस पर अत्याचार किया हो तब भी पितृ दोष लगता हैं.
घर के मुखिया पर पितृ दोष लगने का क्या होता हैं :
गरुड़ पुराण के अनुसार घर के मुखिया पर पितृ दोष लगने से परिवार में कई प्रकार की समस्याएं होने लगती है.घर के मुखिया पर पितृ दोष लगने पर वह अधिकांश समय क्रोध, निराशा और तनाव से घिरा हुआ रहता है. घर में कलह क्लेश बढ़ने लगते हैं जिससे कि सदस्यों के मध्य स्नेह और प्रेम समाप्त होने लगते हैं इसके साथ ही वंश आगे बढ़ाने में समस्याएं होती या फिर संतान होने पर उसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं. घर के बाकी सदस्यों को करियर और करोबार में सफलता नहीं मिल पाती हैं इसके अलावा धन की कमी होने के अलावा संचित धन भी टिक नहीं पाता है. पितृ दोष घर के मुखिया की फैसले की सोच पर भी असर डालता है और वह अक्सर ऐसे फैसला ले लेता है जिससे कि उसके परिवार की सुख – समृद्धि और शांति पर भी असर पड़ता है.
पितृ दोष को दूर करने के उपाय को :
गरुड़ पुराण के अनुसार पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने के साथ प्रत्येक अमावस्या पर गरीब और ज़रूरतमंद व्यक्ति को दान देना चाहिए इसके अलावा ब्राह्मणों को भोजन कराना, सामर्थ्यनुसार दान दक्षिणा देना भी पितृ दोष को कम करने में मदद करता हैं. पीपल के वृक्ष में पितरों का वास माना गया है इसलिए रोजाना पीपल वृक्ष में जल अर्पित करना और परिक्रमा करने से भी पितृ दोष से मुक्ति मिलती हैं तो वही गरुड़ पुराण में भागवत पुराण का पाठ कराना पितृ दोष से मुक्ति पाने का सर्वश्रेष्ठ उपाय को बताया गया है इसके साथ ही शाम के समय पितरों के नाम का दीया जलाना भी शुभ होता हैं. धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितरों का आव्हान करके गाय, कुत्ता, कौवा और अन्य जीव जंतु को रोटी खिलाने से भी पितृ दोष को दूर किया जाता हैं.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) किस पुराण में मृत्यु और उसके बाद की स्थिति का वर्णन किया गया है ?
गरुड़ पुराण.
2) गरुड़ पुराण के अनुसार पितृ दोष कितनी पीढ़ियों तक चलता है ?
सात पीढ़ी.
3) गरुड़ पुराण के अनुसार पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए किसका पाठ करना सर्वश्रेष्ठ हैं ?
भागवत पुराण.
4) भगवान विष्णु किस पुराण के मुख्य देवता हैं ?
गरुड़ पुराण.
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